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SC On NALSA: पूरे देश में महिला एकीकृत सहायता प्रणाली लागू करने की याचिका पर SC ने NALSA से रिपोर्ट मांगी

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 16, 2023, 8:02 AM IST

वकील सत्य मित्रा के माध्यम से दायर याचिका में तर्क दिया गया कि यह एक 'सफल परियोजना' है. उन्होंने इसे पूरे देश में लागू करने की मांग करते हुए कहा है कि यह पिछले तीन वर्षों से जम्मू-कश्मीर और छत्तीसगढ़ में पायलट आधार पर काम कर रहा है.

women help integrated system
प्रतिकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में हिंसा की शिकार महिलाओं तक न्याय की पहुंच को सुनिश्चित करने के लिए एनएएलएसए की महिला एकीकृत सहायता प्रणाली को लागू करने की याचिका पर राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) से रिपोर्ट मांगी है.

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने शुक्रवार को याचिका पर सुनवाई की. याचिकाकर्ताओं द नेशनल फेडरेशन ऑफ सोसाइटीज फॉर फास्ट जस्टिस और अमन सत्या काचरू ट्रस्ट का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंसाल्वेस ने पीठ के समक्ष कहा कि जम्मू-कश्मीर और छत्तीसगढ़ में परिणाम असाधारण रहे हैं.

पीठ ने कहा कि कई बार पायलट परियोजनाएं शुरू की जाती हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि परियोजना को एक ही बार में पूरे देश में लागू किया जा सकता है. पीठ ने कहा कि एनएएलएसए एक बजट के तहत भी काम करता है, जो सरकार द्वारा उपलब्ध कराया जाता है और उन मापदंडों के तहत यह काम करता है.

पीठ ने कहा कि मामले पर आगे बढ़ने से पहले वह इस योजना के संबंध में एनएएलएसए से रिपोर्ट मांगना चाहेगी, जिसे याचिकाकर्ता पूरे देश में लागू करने की मांग कर रहा है. पीठ ने मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद तय की है. वकील सत्य मित्रा के माध्यम से दायर याचिका में तर्क दिया गया कि यह एक 'सफल परियोजना' है. जो पिछले तीन वर्षों से जम्मू-कश्मीर और छत्तीसगढ़ में पायलट आधार पर चल रही है. याचिका में कहा गया है कि इससे वहां की महिलाओं को अपेक्षाकृत काफी लाभ पहुंचा है. इसलिए इस योजना को पूरे देश में लागू किया जाना चाहिए.

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याचिका में कहा गया है कि यह परियोजना एनएएलएसए की याचिकाकर्ताओं, छत्तीसगढ़ के महिला एवं बाल विकास विभाग और जम्मू-कश्मीर के समाज कल्याण विभाग के साथ साझेदारी में कार्यान्वित की जा रही है. याचिका में कहा गया है कि यह 181 महिला हेल्पलाइन, एनएएलएसए कानूनी सहायता हेल्पलाइन 15100 और अन्य सभी सरकारी योजनाओं की एक प्रौद्योगिकी एकीकृत प्रणाली है जो हिंसा की शिकार महिलाओं और लड़कियों को आपराधिक न्याय प्रणाली तक परेशानी मुक्त पहुंच प्रदान करने के लिए है.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में हिंसा की शिकार महिलाओं तक न्याय की पहुंच को सुनिश्चित करने के लिए एनएएलएसए की महिला एकीकृत सहायता प्रणाली को लागू करने की याचिका पर राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) से रिपोर्ट मांगी है.

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने शुक्रवार को याचिका पर सुनवाई की. याचिकाकर्ताओं द नेशनल फेडरेशन ऑफ सोसाइटीज फॉर फास्ट जस्टिस और अमन सत्या काचरू ट्रस्ट का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंसाल्वेस ने पीठ के समक्ष कहा कि जम्मू-कश्मीर और छत्तीसगढ़ में परिणाम असाधारण रहे हैं.

पीठ ने कहा कि कई बार पायलट परियोजनाएं शुरू की जाती हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि परियोजना को एक ही बार में पूरे देश में लागू किया जा सकता है. पीठ ने कहा कि एनएएलएसए एक बजट के तहत भी काम करता है, जो सरकार द्वारा उपलब्ध कराया जाता है और उन मापदंडों के तहत यह काम करता है.

पीठ ने कहा कि मामले पर आगे बढ़ने से पहले वह इस योजना के संबंध में एनएएलएसए से रिपोर्ट मांगना चाहेगी, जिसे याचिकाकर्ता पूरे देश में लागू करने की मांग कर रहा है. पीठ ने मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद तय की है. वकील सत्य मित्रा के माध्यम से दायर याचिका में तर्क दिया गया कि यह एक 'सफल परियोजना' है. जो पिछले तीन वर्षों से जम्मू-कश्मीर और छत्तीसगढ़ में पायलट आधार पर चल रही है. याचिका में कहा गया है कि इससे वहां की महिलाओं को अपेक्षाकृत काफी लाभ पहुंचा है. इसलिए इस योजना को पूरे देश में लागू किया जाना चाहिए.

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याचिका में कहा गया है कि यह परियोजना एनएएलएसए की याचिकाकर्ताओं, छत्तीसगढ़ के महिला एवं बाल विकास विभाग और जम्मू-कश्मीर के समाज कल्याण विभाग के साथ साझेदारी में कार्यान्वित की जा रही है. याचिका में कहा गया है कि यह 181 महिला हेल्पलाइन, एनएएलएसए कानूनी सहायता हेल्पलाइन 15100 और अन्य सभी सरकारी योजनाओं की एक प्रौद्योगिकी एकीकृत प्रणाली है जो हिंसा की शिकार महिलाओं और लड़कियों को आपराधिक न्याय प्रणाली तक परेशानी मुक्त पहुंच प्रदान करने के लिए है.

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