नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में कोयला ब्लॉक आवंटन मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुवाई वाली बेंच कर रही है. ताजा घटनाक्रम में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के लिए दो विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किए गए हैं.
चीफ जस्टिस एसए बोबडे की पीठ ने एडिशनल सॉलीसिटर जनरल (एएसजी) मनिंदर सिंह और अधिवक्ता राजेश बत्रा को कोयला आवंटन के मामले में ईडी की ओर से नियुक्त किया.
तुषार मेहता ने सुझाए दो नाम
बता दें कि पिछली सुनवाई में, शीर्ष अदालत को सूचित किया गया था कि वकील आरएस चीमा ईडी के लिए अपनी सेवाएं पहले की तरह जारी नहीं रख पाएंगे. इस पर अपनी प्रतिक्रया देते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत में मनिंदर सिंह और राजेश बत्रा के नामाें का सुझाव दिया था.
सरकारी नहीं, स्वतंत्र व्यक्ति करे पैरवी
जानकारी के अनुसार, अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में सरकार के वकीलों को लेकर आपत्ति जताई थी. उनका कहना था कि इस मामले में एक स्वतंत्र व्यक्ति को अदालत में बहस करनी चाहिए.
प्रशांत भूषण की आपत्तियां खारिज
हालांकि, भूषण की आपत्तियों से इतर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा सुझाए गए दो नाम- एएसजी मनिंदर सिंह और अधिवक्ता राजेश बत्रा ही ईडी की ओर से विशेष लोक अभियोजक होंगे. ईडी की ओर से दायर आवेदन पर प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यन की पीठ ने निर्देश जारी किए.
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मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत हैं मामले
ईडी ने कोयला ब्लॉक आवंटन के मामलों से जुड़े धनशोधन निवारण कानून, 2002 के तहत मामलों के अभियोजन के लिए नए विशेष लोक अभियोजक की नियुक्ति का निर्देश देने का आग्रह किया था.
सभी पक्षों ने कहा- अनुभवी वकील हों नियुक्त
पीठ ने कहा कि हालांकि किसी के नाम पर सहमति नहीं बन पाई लेकिन पेश होने वाले सभी पक्षों के वकीलों ने इस बात पर सहमति दी कि उच्चतम न्यायालय को ईमानदार छवि के निचली अदालत के अनुभवी वकील को नियुक्त करना चाहिए. पीठ ने कहा कि विशेष लोक अभियोजक और उनका मार्गदर्शन करने एवं कार्यवाहियों के संचालन के लिए एक वरिष्ठ वकील को नामित करना चाहिए, ऐसा सभी पक्षों का मानना है.
चीमा की सेवाओं की प्रशंसा
एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, 'नवनियुक्त अभियोजकों के पदभार ग्रहण करने के बाद आर एस चीमा को छुट्टी दी जा सकती है. यह अदालत आरएस चीमा की सेवाओं की प्रशंसा करती है.'
अधिकारियों की कमी और बढ़ती उम्र के कारण परेशानी
गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने वरिष्ठ वकील आरएस चीमा को 2014 में विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया था. चीमा ने अपनी उम्र और सहयोग करने वाले विधि अधिकारियों की कमी का हवाला देते हुए जिम्मेदारी से मुक्त करने का आग्रह किया था.