पानीपत: भारत में समलैंगिक विवाह पर राजनीति जारी है. हरियाणा के पानीपत के समालखा के पट्टीकल्याणा में आरएसएस की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा संघ की बैठक के तीसरे दिन सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले भारत में समलैंगिक शादी पर अपना रुख स्पष्ट किया है.
वहीं, अब आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने भी इस बारे में केंद्र सरकार का समर्थन किया है. होसबाले ने कहा कि, 'भारतीय चिंतन या यूं कहें कि हिंदू दर्शन में विवाह एक संस्कार है. यह सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं है. यह कोई कॉन्ट्रेक्ट या दो इंडीविजुअल लोगों के एन्जॉयमेंट की चीज नहीं है. इसे विवाह कहते हैं, हां साथ कोई भी रहे वो अलग है.'
उन्होंने कहा कि, 'हिंदू दर्शन में विवाह हजारों वर्षों से एक संस्कार के के रूप में देखा जाता है. इस संस्कार का अर्थ ये है दो अलग-अलग विपरीत लिंग के लोग एक साथ शादी करते हैं और एक साथ रहते हैं वे सिर्फ अपने एन्जॉयमेंट के लिए नहीं हैं, बल्कि वे एक परिवार बसाते हैं और वह समाज और ग्राम के हित में होता है. इसलिए हमारे यहां हिंदू धर्म में विवाह की पद्धति और रस्में हैं उसका अर्थ यह होता है को दो लोग इकट्ठे इसलिए आ रहे हैं, क्योंकि उन्हें समाज के लिए कुछ अच्छा करना है. गृहस्थ आश्रम में प्रवेश करने वाले दंपति के ऊपर इन आदर्श की पूति करने की जिम्मेदारी होती है. समाज के जो रिवाज है, जो वर्षों से चली आ रही है, संघ उसके साथ है.'
केंद्र सरकार ने हलफनामे में समलैंगिक विवाह का विरोध किया है. शादी की धारणा मुख्य रूप से विपरीत लिंग के दो व्यक्तियों के बीच एक संबंध के रूप में प्रचलित है. केंद्र ने कहा है कि समलैंगिक विवाह सामाजिक नैतिकता और भारतीय लोकाचार के अनुरूप नहीं है. इसका असर भारतीय सामजिक स्थिति और संस्कृति पर पड़ेगा.
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