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विभाजन पर बोले भागवत, जो बिखरा, उसे एकीकृत करना राष्ट्रीय कर्तव्य - पुस्तक विमोचन कार्यक्रम मोहन भागवत

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि '... जो बिखरा हुआ था उसे एकीकृत करना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है.' इसी कार्यक्रम में भागवत ने कहा है कि विभाजन एक कभी न भूलने वाली पीड़ा है. इसलिए पीएम को भी 14 अगस्त के दिन कहना पड़ता है कि इस अध्याय को भूलना नहीं चाहिए. विभाजन को लेकर भागवत ने कहा कि जो खंडित हुआ उसे जोड़ना सबका राष्ट्रीय कर्तव्य है.

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आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत
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Published : Nov 25, 2021, 10:08 PM IST

Updated : Nov 25, 2021, 10:33 PM IST

नई दिल्ली : आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि '... जो बिखरा हुआ था उसे एकीकृत करना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है.' इसी कार्यक्रम में भागवत ने कहा है कि विभाजन एक कभी न भूलने वाली पीड़ा है. उन्होंने कहा कि जो खंडित हुआ उसे अखंड बनाना पड़ेगा, यही हमारा राष्ट्रीय, धार्मिक और मानवीय कर्तव्य है. विभाजन को लेकर भागवत ने कहा कि खून की नदियां न बहें, इसके लिए विभाजन का प्रस्ताव स्वीकार किया गया. नहीं करने पर जितना खून बहता उससे कई गुना खून उस समय बहा और आज तक बह रहा है.

उन्होंने कहा कि एक बात साफ है कि विभाजन का उपाय, उपाय नहीं था. इससे न भारत सुखी है, न जिन्होंने इस्लाम के नाम पर विभाजन की मांग की वे सुखी हैं. भागवत ने कहा कि विभाजन की उत्पत्ति उस मानसिकता से होती है कि हम तुमसे अलग हैं. भारत नाम की प्रवृत्ति कहती है कि जितना तुम्हारा अलगाव है अपने पास रखो. तुम अलग हो इसलिए अलग होने की जरूरत नहीं, झगड़े की बात नहीं है. मिलकर चलें. उन्होंने कहा कि विभाजन इस्लाम के आक्रमण के अलावा ब्रिटिश के आक्रमण और ऐसे ही कई अन्य हमलों का नतीजा है.

भागवत ने नोएडा में एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में विभाजन पर कई बातें कहीं. मोहन भागवत ने कहा कि इतिहास का समग्रता में अध्ययन होना चाहिए और यह हमेशा याद भी रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत को स्वतंत्रता पूरी दुनिया को कुछ देने के लिए मिली है.

  • #WATCH | Speaking on the partition at a book launch event in Noida, RSS chief Mohan Bhagwat said, "...It is our national duty to integrate what was disintegrated."

    (Video: RSS) pic.twitter.com/evOVShMZPK

    — ANI UP (@ANINewsUP) November 25, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

बकौल भागवत, पूरी दुनिया को कुछ देने लायक हम तब बनेंगे जब इतिहास के दुराध्याय को पलटकर हम अपने परम वैभव का मार्ग चुनें. यह हम सबका कर्तव्य बनता है. उन्होंने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री संविधान से बंधे हैं. उनको सारी जनता को संभालकर ले जाना है. वास्तविक परिस्थिति का भान उन्हें रखना पड़ता है.

भागवत ने कहा कि दुनिया के सब लोगों के साथ मेल-जोल रखकर चलना पड़ता है. उन्होंने कहा कि पीएम को भी 14 अगस्त के दिन यह कहना पड़ता है कि इस अध्याय को भुलना नहीं चाहिए. उन्होंने कहा कि यह कोई राजनीति का विषय नहीं, अस्तित्व का सवाल है.

उन्होंने कहा कि हमारा अस्तित्व दुभंग होकर चल नहीं सकता. भागवत ने कहा कि मेरा अस्तित्व भारत के अस्तित्व साथ है. मैं एक कुटुंब का हिस्सा हूं, कुटुंब समाज का हिस्सा है, और कुटुंब समाज का हिस्सा है. समाज भारत का हिस्सा है. भारत दुभंग है, तो समाज, परिवार सब दुभंग हैं. इसके दुष्परिणाम भुगतने पड़ते हैं.

  • #WATCH | Partition was no solution. Neither India is happy with it, nor those who demanded it in the name of Islam: RSS chief Mohan Bhagwat at a book launch event in Noida

    (Video: RSS) pic.twitter.com/fxIfsm4err

    — ANI UP (@ANINewsUP) November 25, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

भागवत ने कहा कि इन सबको ठीक करना है तो जो खंडित हुआ, उसे अखंड बनाना पड़ेगा. यह हमारा राष्ट्रीय, धार्मिक और मानवीय कर्तव्य है. उन्होंने कहा कि भारत के विभाजन में सबसे पहली बली मानवता की हुई.

(एएनआई)

नई दिल्ली : आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि '... जो बिखरा हुआ था उसे एकीकृत करना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है.' इसी कार्यक्रम में भागवत ने कहा है कि विभाजन एक कभी न भूलने वाली पीड़ा है. उन्होंने कहा कि जो खंडित हुआ उसे अखंड बनाना पड़ेगा, यही हमारा राष्ट्रीय, धार्मिक और मानवीय कर्तव्य है. विभाजन को लेकर भागवत ने कहा कि खून की नदियां न बहें, इसके लिए विभाजन का प्रस्ताव स्वीकार किया गया. नहीं करने पर जितना खून बहता उससे कई गुना खून उस समय बहा और आज तक बह रहा है.

उन्होंने कहा कि एक बात साफ है कि विभाजन का उपाय, उपाय नहीं था. इससे न भारत सुखी है, न जिन्होंने इस्लाम के नाम पर विभाजन की मांग की वे सुखी हैं. भागवत ने कहा कि विभाजन की उत्पत्ति उस मानसिकता से होती है कि हम तुमसे अलग हैं. भारत नाम की प्रवृत्ति कहती है कि जितना तुम्हारा अलगाव है अपने पास रखो. तुम अलग हो इसलिए अलग होने की जरूरत नहीं, झगड़े की बात नहीं है. मिलकर चलें. उन्होंने कहा कि विभाजन इस्लाम के आक्रमण के अलावा ब्रिटिश के आक्रमण और ऐसे ही कई अन्य हमलों का नतीजा है.

भागवत ने नोएडा में एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में विभाजन पर कई बातें कहीं. मोहन भागवत ने कहा कि इतिहास का समग्रता में अध्ययन होना चाहिए और यह हमेशा याद भी रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत को स्वतंत्रता पूरी दुनिया को कुछ देने के लिए मिली है.

  • #WATCH | Speaking on the partition at a book launch event in Noida, RSS chief Mohan Bhagwat said, "...It is our national duty to integrate what was disintegrated."

    (Video: RSS) pic.twitter.com/evOVShMZPK

    — ANI UP (@ANINewsUP) November 25, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

बकौल भागवत, पूरी दुनिया को कुछ देने लायक हम तब बनेंगे जब इतिहास के दुराध्याय को पलटकर हम अपने परम वैभव का मार्ग चुनें. यह हम सबका कर्तव्य बनता है. उन्होंने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री संविधान से बंधे हैं. उनको सारी जनता को संभालकर ले जाना है. वास्तविक परिस्थिति का भान उन्हें रखना पड़ता है.

भागवत ने कहा कि दुनिया के सब लोगों के साथ मेल-जोल रखकर चलना पड़ता है. उन्होंने कहा कि पीएम को भी 14 अगस्त के दिन यह कहना पड़ता है कि इस अध्याय को भुलना नहीं चाहिए. उन्होंने कहा कि यह कोई राजनीति का विषय नहीं, अस्तित्व का सवाल है.

उन्होंने कहा कि हमारा अस्तित्व दुभंग होकर चल नहीं सकता. भागवत ने कहा कि मेरा अस्तित्व भारत के अस्तित्व साथ है. मैं एक कुटुंब का हिस्सा हूं, कुटुंब समाज का हिस्सा है, और कुटुंब समाज का हिस्सा है. समाज भारत का हिस्सा है. भारत दुभंग है, तो समाज, परिवार सब दुभंग हैं. इसके दुष्परिणाम भुगतने पड़ते हैं.

  • #WATCH | Partition was no solution. Neither India is happy with it, nor those who demanded it in the name of Islam: RSS chief Mohan Bhagwat at a book launch event in Noida

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    — ANI UP (@ANINewsUP) November 25, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

भागवत ने कहा कि इन सबको ठीक करना है तो जो खंडित हुआ, उसे अखंड बनाना पड़ेगा. यह हमारा राष्ट्रीय, धार्मिक और मानवीय कर्तव्य है. उन्होंने कहा कि भारत के विभाजन में सबसे पहली बली मानवता की हुई.

(एएनआई)

Last Updated : Nov 25, 2021, 10:33 PM IST
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