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आंध्र प्रदेश में करंट लगने से शरीर के अंग हुए खराब, फिर भी नहीं मानी हार, कैट में सफलता हासिल की - दिव्यांग छात्र कैट में सफलता हासिल की

आंध्र प्रदेश के रहने वाले एक दिव्यांग छात्र ने प्रतिष्ठित कैट की परीक्षा में सफलता हासिल की. उसने विषम परिस्थितियों में यह सफलता हासिल की जो छात्रों के लिए प्रेरणास्रोत है.

Etv BharatResponsibilities damaged body parts yet did not give up achieved success in CAT
Etv Bharatकरंट लगने से शरीर के अंग हुए खराब, फिर भी नहीं मानी हार, कैट में सफलता हासिल की
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Published : May 14, 2023, 12:46 PM IST

विशाखापत्तनम: तमाम बाधाओं के बावजूद अदम्य साहस और उत्साह दिखाते हुए आंध्र प्रदेश में नरसीपतनम के समीप एक सुदूर गांव के 27 वर्षीय दिव्यांग छात्र ने प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईएम), अहमदाबाद में दाखिले के लिए होने वाली देश की कठिन परीक्षाओं में से एक कैट में सफलता अर्जित की है.पेद्दा बोडेपल्ली गांव के रहने वाले द्वारापुदी चंद्रमौली को 2018 में टिन की छत से अपनी छोटी बहन की अंगूठी निकालने की कोशिश करते हुए करंट लग गया था जिससे उनके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था.

चंद्रमौली ने एजेंसी से कहा, 'मैं लोहे की छड़ की मदद से अंगूठी निकालने की कोशिश कर रहा था जिसे हमारे घर से सटी बिजली की तारों के चुंबकीय बल ने खींच लिया और मुझे करंट लग गया. उसके बाद मेरे शरीर के अंग खराब हो गए.' काकीनाडा में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाला चंद्रमौली तीन महीने तक अस्पताल में भर्ती रहा. उसे अपना भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा था तभी उसके पिता के एक मित्र तथा एक शुभचिंतक ने उसे कानून की पढ़ाई करने की सलाह दी, जिससे उसके अंदर भविष्य में न्यायिक मजिस्ट्रेट बनने की आकांक्षा पैदा हुई.

इसके बाद चंद्रमौली ने अनाकापल्ली में एलएलबी पाठ्यक्रम में दाखिला लिया. हालांकि, उसकी उम्मीदों को तब झटका लगा जब उसे मालूम चला कि मौजूदा नियमों के अनुसार, केवल वही दिव्यांग व्यक्ति मजिस्ट्रेट बन सकता है जिसका कम से कम एक हाथ काम कर रहा हो. इसके बावजूद चंद्रमौली ने अपने परिवार का सहयोग करने के लिए ई-वाणिज्य कंपनी अमेजन के साथ काम करना शुरू कर दिया. आईआईएम-कलकत्ता से पढ़ाई करने वाले एक मित्र से बात करने के बाद उसके मन में विचार आया कि क्यों न वह कठिन कैट परीक्षा पास करके एमबीए करें.

ये भी पढ़ें- A Village Of Doctors : आंध्र प्रदेश का यह गांव जहां हैं डॉक्टर ही डॉक्टर

चंद्रमौली ने कहा, 'इसके बाद मैंने 'रोधा' यूट्यूब चैनल के जरिए कैट परीक्षा की तैयारी शुरू की जो निशुल्क अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराता है. अपनी नौकरी के बाद मैं कैट के लिए तैयारी करता था.' कैट की कोचिंग पर एक रुपया भी खर्च किए बिना चंद्रमौली ने भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक में सफलता हासिल की. कैट परीक्षा के नतीजे दिसंबर 2022 में घोषित किए गए और आगामी अकादमिक वर्ष के लिए छात्रों की अंतिम सूची हाल में आयी है. जून में भारत के शीर्ष बिजनेस स्कूल में दाखिल लेने के लिए तैयार चंद्रमौली ने कहा कि वह दाखिले की औपचारिकताएं पूरी करने के लिए अपनी मां को साथ लेकर जाएंगे और उसे अपने उज्ज्वल भविष्य की उम्मीद है.

(पीटीआई-भाषा)

विशाखापत्तनम: तमाम बाधाओं के बावजूद अदम्य साहस और उत्साह दिखाते हुए आंध्र प्रदेश में नरसीपतनम के समीप एक सुदूर गांव के 27 वर्षीय दिव्यांग छात्र ने प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईएम), अहमदाबाद में दाखिले के लिए होने वाली देश की कठिन परीक्षाओं में से एक कैट में सफलता अर्जित की है.पेद्दा बोडेपल्ली गांव के रहने वाले द्वारापुदी चंद्रमौली को 2018 में टिन की छत से अपनी छोटी बहन की अंगूठी निकालने की कोशिश करते हुए करंट लग गया था जिससे उनके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था.

चंद्रमौली ने एजेंसी से कहा, 'मैं लोहे की छड़ की मदद से अंगूठी निकालने की कोशिश कर रहा था जिसे हमारे घर से सटी बिजली की तारों के चुंबकीय बल ने खींच लिया और मुझे करंट लग गया. उसके बाद मेरे शरीर के अंग खराब हो गए.' काकीनाडा में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाला चंद्रमौली तीन महीने तक अस्पताल में भर्ती रहा. उसे अपना भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा था तभी उसके पिता के एक मित्र तथा एक शुभचिंतक ने उसे कानून की पढ़ाई करने की सलाह दी, जिससे उसके अंदर भविष्य में न्यायिक मजिस्ट्रेट बनने की आकांक्षा पैदा हुई.

इसके बाद चंद्रमौली ने अनाकापल्ली में एलएलबी पाठ्यक्रम में दाखिला लिया. हालांकि, उसकी उम्मीदों को तब झटका लगा जब उसे मालूम चला कि मौजूदा नियमों के अनुसार, केवल वही दिव्यांग व्यक्ति मजिस्ट्रेट बन सकता है जिसका कम से कम एक हाथ काम कर रहा हो. इसके बावजूद चंद्रमौली ने अपने परिवार का सहयोग करने के लिए ई-वाणिज्य कंपनी अमेजन के साथ काम करना शुरू कर दिया. आईआईएम-कलकत्ता से पढ़ाई करने वाले एक मित्र से बात करने के बाद उसके मन में विचार आया कि क्यों न वह कठिन कैट परीक्षा पास करके एमबीए करें.

ये भी पढ़ें- A Village Of Doctors : आंध्र प्रदेश का यह गांव जहां हैं डॉक्टर ही डॉक्टर

चंद्रमौली ने कहा, 'इसके बाद मैंने 'रोधा' यूट्यूब चैनल के जरिए कैट परीक्षा की तैयारी शुरू की जो निशुल्क अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराता है. अपनी नौकरी के बाद मैं कैट के लिए तैयारी करता था.' कैट की कोचिंग पर एक रुपया भी खर्च किए बिना चंद्रमौली ने भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक में सफलता हासिल की. कैट परीक्षा के नतीजे दिसंबर 2022 में घोषित किए गए और आगामी अकादमिक वर्ष के लिए छात्रों की अंतिम सूची हाल में आयी है. जून में भारत के शीर्ष बिजनेस स्कूल में दाखिल लेने के लिए तैयार चंद्रमौली ने कहा कि वह दाखिले की औपचारिकताएं पूरी करने के लिए अपनी मां को साथ लेकर जाएंगे और उसे अपने उज्ज्वल भविष्य की उम्मीद है.

(पीटीआई-भाषा)

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