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आवारा कुत्तों में रेबीज का संक्रमण बढ़ा, स्वास्थ्य विभाग ने जारी की चेतावनी

केरल के कासरगोड में कुत्ते के काटने से एक बच्चे की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग ने चेतावनी जारी की है. दरअसल उस इलाके में ये रेबीज का संक्रमण (Rabies infection) तेजी से फैल रहा है, जल्द ही स्कूल खुलने वाले हैं ऐसे में अभिभावकों में चिंता है.

आवारा कुत्तों में रेबीज का संक्रमण
आवारा कुत्तों में रेबीज का संक्रमण
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Published : Oct 9, 2021, 4:58 PM IST

कासरगोड (केरल) : कासरगोड जिले में आवारा कुत्तों में रेबीज वायरस फैलने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से सावधानी बरतने की अपील की है. आवारा कुत्ते के हमले के बाद 7 साल के बच्चे की हाल ही में रेबीज से मौत हो गई थी. बच्चे के चेहरे पर गंभीर चोटें आईं और इलाज के बावजूद उसने रेबीज संक्रमण के कारण दम तोड़ दिया था.

स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि अगर किसी को आवारा कुत्ते के नाखून लगते हैं या दांत लगते हैं तो उसे तुरंत चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए. छाती और चेहरे के ऊपर काटने या खरोंचने की चोटें बहुत गंभीर हो सकती हैं.

स्वास्थ्य विभाग की ओर से कहा गया कि पालतू जानवरों के मालिक भी अपने जानवरों को रेबीज रोधी टीका अवश्य लगवाएं. के सभी सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध हैं. दरअसल जिले में मनुष्यों, अन्य पालतू जानवरों पर कुत्तों के हमले बढ़ रहे हैं. आवारा कुत्ते इसलिए भी बढ़ रहे हैं क्योंकि लोग सड़कों के किनारे कचरा फेंक रहे हैं.

कुछ दिन पहले पीलीकोड में आवारा कुत्तों ने सैकड़ों मुर्गियों को मार डाला था. अधिकारी असहाय बैठे हैं क्योंकि उनके पास आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने का कोई साधन नहीं है. अब जब एक नवंबर से बच्चों के स्कूल खुलने वाले हैं, ऐसे में अभिभावकों में चिंता है. स्थानीय लोगों ने अधिकारियों से इस मुद्दे का तत्काल समाधान खोजने का आग्रह किया है.

जानिए क्या है रेबीज

रेबीज एक जूनोटिक बीमारी है (एक बीमारी जो जानवरों से मनुष्यों में फैलती है) जो वायरस के कारण होती है. यह रोग घरेलू और जंगली जानवरों को प्रभावित करता है और संक्रामक सामग्री के निकट संपर्क के माध्यम से लोगों में फैलता है. यह आमतौर पर लार, काटने या खरोंच के माध्यम से फैलता है.

रेबीज वाले कुत्तों से एशिया और अफ्रीका में 3 अरब से अधिक लोगों को खतरा है. अधिकांश मौतें गरीब ग्रामीण इलाकों में होती हैं जहां उचित पोस्ट-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस तक पहुंच सीमित या न के बराबर होती है.

रेबीज के लक्षण

रेबीज के पहले लक्षण सामान्य कमजोरी या बेचैनी, बुखार या सिरदर्द सहित फ्लू के सकता है. ये लक्षण कई दिनों तक रह सकते हैं. काटने के स्थान पर बेचैनी या चुभन या खुजली महसूस हो सकती है, जो कुछ ही दिनों में मस्तिष्क की शिथिलता, चिंता, भ्रम जैसे तीव्र लक्षणों में बदल जाती है. जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है पीड़ित का व्यवहार बदलने लगता है. मतिभ्रम, हाइड्रोफोबिया (पानी का डर) और अनिद्रा का अनुभव हो सकता है.

रेबीज से बचाव

  • जंगली जानवरों से दूरी बनाकर रखें.
  • किसी भी जानवर के काटने, खेल-खेल में उसके दांत लगने या उसके नाखून से त्वचा पर खरोच आने पर पहले उस स्थान को अच्छे से साबुन से धोएं और तुरंत जाकर चिकित्सक से रेबीज का टीका लगवाएं.
  • अपने पालतू जानवरों का टीकाकरण करवाएं.
  • पालतू जानवरों को सड़क पर रहने वाले जानवरों से बचा कर रखें.
  • घर के आसपास रहने वाले पालतू या सड़क पर रहने वाले जानवरों के व्यवहार में यदि आपको कुछ अंतर नजर आए या फिर आप खतरा महसूस करें, तो तुरंत अपने आसपास के स्थानीय पशु नियंत्रण विभाग को सूचित करें.
  • अपने पालतू जानवरों के स्वास्थ्य की समय-समय पर जांच करवाते रहें.

पढ़ें- World Rabies Day पर 51 कुत्तों को लगाया टीका, पालकों को किया गया जागरूक

पढ़ें- महाराष्ट्र: पालघर में एक महीने में करीब 100 लोगों को आवारा कुत्तों ने काटा

कासरगोड (केरल) : कासरगोड जिले में आवारा कुत्तों में रेबीज वायरस फैलने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से सावधानी बरतने की अपील की है. आवारा कुत्ते के हमले के बाद 7 साल के बच्चे की हाल ही में रेबीज से मौत हो गई थी. बच्चे के चेहरे पर गंभीर चोटें आईं और इलाज के बावजूद उसने रेबीज संक्रमण के कारण दम तोड़ दिया था.

स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि अगर किसी को आवारा कुत्ते के नाखून लगते हैं या दांत लगते हैं तो उसे तुरंत चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए. छाती और चेहरे के ऊपर काटने या खरोंचने की चोटें बहुत गंभीर हो सकती हैं.

स्वास्थ्य विभाग की ओर से कहा गया कि पालतू जानवरों के मालिक भी अपने जानवरों को रेबीज रोधी टीका अवश्य लगवाएं. के सभी सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध हैं. दरअसल जिले में मनुष्यों, अन्य पालतू जानवरों पर कुत्तों के हमले बढ़ रहे हैं. आवारा कुत्ते इसलिए भी बढ़ रहे हैं क्योंकि लोग सड़कों के किनारे कचरा फेंक रहे हैं.

कुछ दिन पहले पीलीकोड में आवारा कुत्तों ने सैकड़ों मुर्गियों को मार डाला था. अधिकारी असहाय बैठे हैं क्योंकि उनके पास आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने का कोई साधन नहीं है. अब जब एक नवंबर से बच्चों के स्कूल खुलने वाले हैं, ऐसे में अभिभावकों में चिंता है. स्थानीय लोगों ने अधिकारियों से इस मुद्दे का तत्काल समाधान खोजने का आग्रह किया है.

जानिए क्या है रेबीज

रेबीज एक जूनोटिक बीमारी है (एक बीमारी जो जानवरों से मनुष्यों में फैलती है) जो वायरस के कारण होती है. यह रोग घरेलू और जंगली जानवरों को प्रभावित करता है और संक्रामक सामग्री के निकट संपर्क के माध्यम से लोगों में फैलता है. यह आमतौर पर लार, काटने या खरोंच के माध्यम से फैलता है.

रेबीज वाले कुत्तों से एशिया और अफ्रीका में 3 अरब से अधिक लोगों को खतरा है. अधिकांश मौतें गरीब ग्रामीण इलाकों में होती हैं जहां उचित पोस्ट-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस तक पहुंच सीमित या न के बराबर होती है.

रेबीज के लक्षण

रेबीज के पहले लक्षण सामान्य कमजोरी या बेचैनी, बुखार या सिरदर्द सहित फ्लू के सकता है. ये लक्षण कई दिनों तक रह सकते हैं. काटने के स्थान पर बेचैनी या चुभन या खुजली महसूस हो सकती है, जो कुछ ही दिनों में मस्तिष्क की शिथिलता, चिंता, भ्रम जैसे तीव्र लक्षणों में बदल जाती है. जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है पीड़ित का व्यवहार बदलने लगता है. मतिभ्रम, हाइड्रोफोबिया (पानी का डर) और अनिद्रा का अनुभव हो सकता है.

रेबीज से बचाव

  • जंगली जानवरों से दूरी बनाकर रखें.
  • किसी भी जानवर के काटने, खेल-खेल में उसके दांत लगने या उसके नाखून से त्वचा पर खरोच आने पर पहले उस स्थान को अच्छे से साबुन से धोएं और तुरंत जाकर चिकित्सक से रेबीज का टीका लगवाएं.
  • अपने पालतू जानवरों का टीकाकरण करवाएं.
  • पालतू जानवरों को सड़क पर रहने वाले जानवरों से बचा कर रखें.
  • घर के आसपास रहने वाले पालतू या सड़क पर रहने वाले जानवरों के व्यवहार में यदि आपको कुछ अंतर नजर आए या फिर आप खतरा महसूस करें, तो तुरंत अपने आसपास के स्थानीय पशु नियंत्रण विभाग को सूचित करें.
  • अपने पालतू जानवरों के स्वास्थ्य की समय-समय पर जांच करवाते रहें.

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