ETV Bharat / bharat

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने वर्चुअल सुनवाई पर लगाई रोक, सुप्रीम कोर्ट पहुंचे वकील

उत्तराखंड उच्च न्यायालय (Uttrakhand High Court) द्वारा फिजीकल हीरिंग (physical hearing ) फिर से शुरू करने की अधिसूचना जारी करने के खिलाफ 5000 से अधिक वकीलों के साथ ऑल इंडिया ज्यूरिस्ट एसोसिएशन (All India Jurists Association) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का रुख किया है.

सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट
author img

By

Published : Aug 23, 2021, 3:31 PM IST

नई दिल्ली : उत्तराखंड उच्च न्यायालय (Uttrakhand High Court) ने 24 अगस्त से फिजीकल हीरिंग (physical hearing ) फिर से शुरू करने और वर्चुअल सुनवाई (virtual hearing) को रोकने के लिए एक अधिसूचना जारी की, जिसके खिलाफ 5000 से अधिक वकीलों के साथ ऑल इंडिया ज्यूरिस्ट एसोसिएशन (All India Jurists Association) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का रुख किया है.

याचिकाकर्ता का तर्क है कि वर्चुअल कोर्ट सुप्रीम कोर्ट के अनुसार न्याय का एक आसान और किफायती (accebile and affordable) रूप है और वकीलों को इस तरह फिजीकली पेश होने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है.

याचिकाकर्ता का कहना है कि न केवल उत्तराखंड उच्च न्यायालय के समक्ष, बल्कि वकीलों को बॉम्बे, केरला आदि जैसे कई उच्च न्यायालयों के समक्ष फिजीकल रूप से पेश होने के लिए मजबूर किया जा रहा है. वकीलों को प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढांचे की कमी (lack of technology and infrastructure) के आधार पर नहीं इस तरह पेश होने के लिए नहीं कहा जा सकता है.

याचिकाकर्ता ने आगे कहा, 'हम सूचना के युग में रहते हैं और एक तकनीकी क्रांति (technological revolution ) के साक्षी हैं, जो हमारे जीवन के लगभग हर पहलू में मौजूद है .

याचिका में कहा गया है कि न्याय तक पहुंच बढ़ाने और सुशासन को बढ़ावा देने के लिए राज्य द्वारा प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा सकता है.

पढ़ें - न्याय की आस: जानें कहां एक फौजी पिता ने 22 दिन से डीप फ्रीजर में रखा है बेटे का शव

याचिकाकर्ता ने यह सुनिश्चित करने के लिए उच्च न्यायालयों को निर्देश देने की भी अपील की है कि वकीलों को किसी मामले की कार्यवाही में भाग लेने से केवल इसलिए इनकार नहीं किया जाता है, क्योंकि उन्होंने वर्चुअल सुनवाई का विकल्प चुना है.

याचिकाकर्ता ने वर्चुअल सुनवाई में भाग लेने के अधिकार को मौलिक अधिकार (fundamental righ) घोषित करने की मांग की है.

नई दिल्ली : उत्तराखंड उच्च न्यायालय (Uttrakhand High Court) ने 24 अगस्त से फिजीकल हीरिंग (physical hearing ) फिर से शुरू करने और वर्चुअल सुनवाई (virtual hearing) को रोकने के लिए एक अधिसूचना जारी की, जिसके खिलाफ 5000 से अधिक वकीलों के साथ ऑल इंडिया ज्यूरिस्ट एसोसिएशन (All India Jurists Association) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का रुख किया है.

याचिकाकर्ता का तर्क है कि वर्चुअल कोर्ट सुप्रीम कोर्ट के अनुसार न्याय का एक आसान और किफायती (accebile and affordable) रूप है और वकीलों को इस तरह फिजीकली पेश होने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है.

याचिकाकर्ता का कहना है कि न केवल उत्तराखंड उच्च न्यायालय के समक्ष, बल्कि वकीलों को बॉम्बे, केरला आदि जैसे कई उच्च न्यायालयों के समक्ष फिजीकल रूप से पेश होने के लिए मजबूर किया जा रहा है. वकीलों को प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढांचे की कमी (lack of technology and infrastructure) के आधार पर नहीं इस तरह पेश होने के लिए नहीं कहा जा सकता है.

याचिकाकर्ता ने आगे कहा, 'हम सूचना के युग में रहते हैं और एक तकनीकी क्रांति (technological revolution ) के साक्षी हैं, जो हमारे जीवन के लगभग हर पहलू में मौजूद है .

याचिका में कहा गया है कि न्याय तक पहुंच बढ़ाने और सुशासन को बढ़ावा देने के लिए राज्य द्वारा प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा सकता है.

पढ़ें - न्याय की आस: जानें कहां एक फौजी पिता ने 22 दिन से डीप फ्रीजर में रखा है बेटे का शव

याचिकाकर्ता ने यह सुनिश्चित करने के लिए उच्च न्यायालयों को निर्देश देने की भी अपील की है कि वकीलों को किसी मामले की कार्यवाही में भाग लेने से केवल इसलिए इनकार नहीं किया जाता है, क्योंकि उन्होंने वर्चुअल सुनवाई का विकल्प चुना है.

याचिकाकर्ता ने वर्चुअल सुनवाई में भाग लेने के अधिकार को मौलिक अधिकार (fundamental righ) घोषित करने की मांग की है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.