पानीपत: लगातार बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने एनसीआर क्षेत्र में कोयले से संचालित उद्योगों पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया है साथ-साथ जनरेटर चलाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है. उद्यमियों को पीएनजी और बायोगैस पर उद्योगों को संचालित करने के निर्देश दिए गए हैं, लेकिन पीएनजी पर टेक्सटाइल उद्योग का उत्पादन कई गुना महंगा पड़ रहा है.
टेक्सटाइल उत्पाद हुआ महंगा: फैक्ट्री से लेकर ग्राहक तक पहुंचने वाला कंबल या टेक्सटाइल का कोई भी उत्पाद महंगा हो चुका है. डॉमेस्टिक मार्केट के प्रधान सुरेश बवेजा ने बताया कि पिछले साल कंबल का रेट 180 रुपए प्रति किलो था जो अब की बार बढ़कर ₹230 प्रति किलो तक पहुंच गया है. अब सीधे-सीधे मार ग्राहक के ऊपर पड़ेगी. इस बार डोमेस्टिक मार्केट में ग्राहक की भी कमी देखी जा रही है, क्योंकि उत्पादन महंगा होने के चलते ग्राहक भी मार्केट में काम पहुंच रहा है. सरकार को चाहिए कि पानीपत के उद्योग को बढ़ावा देने के लिए जल्द ही कॉमन बॉयलर लगाया जाए ताकि उत्पादन सस्ता भी हो और ज्यादा भी हो.
बायोमास के बॉयलर को बदलने में 30 लाख खर्च: पानीपत डाईंग एसोसिएशन के प्रेसिडेंट भीम राणा ने बताया कि वायु प्रदूषण एक बहुत बड़ा मुद्दा है. एक्यूआई को देखते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने कोयले से संचालित सभी उद्योगों को बंद कर दिया है. कोयले की वजह इन्हें बायोफ्यूल और पीएनजी पर शिफ्ट करने के निर्देश दिए हैं. कुछ उद्योगपतियों ने तो अपने उद्योगों को पीएनजी पर शिफ्ट कर लिया और कुछ उद्योगपतियों ने अपने उद्योग को बायोमास पर शिफ्ट कर दिया बायोमास के बॉयलर को बदलने के लिए भी 30 लख रुपए का खर्च आता है और पीएनजी और बायोफ्यूल कोयले से ज्यादा महंगा पड़ता है जिसके कारण उत्पादन भी महंगे हो जाते हैं और डोमेस्टिक या एक्सपोर्ट मार्केट तक पहुंचाने पहुंचाने उनकी कीमत में भी बढ़ोतरी हो जाती है.
कॉमन बॉयलर प्रोजेक्ट को लेकर सर्वे: उद्योगपति सूरत के टेक्सटाइल उद्योग से प्रतिस्पर्धा करने और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की कार्रवाई से बचने के लिए कॉमन बॉयलर की मांग वर्षों से कर रहे हैं. ताकि उन्हें पीएनजी और बायो फ्यूल से छुटकारा मिल सके. इससे प्रदूषण भी नियंत्रित रहेगा. सरकार से एक साल पहले इस प्रोजेक्ट को हरी झंडी मिलने के बाद भी यह प्रोजेक्ट अधर में लटका हुआ है. कॉमन बॉयलर प्रोजेक्ट को लेकर सर्वे करने के लिए हरियाणा राज्य औद्योगिक और बुनियादी ढांचा विकास निगम ने एक एजेंसी को काम सौंपा है. इस एजेंसी को बड़ा बॉयलर लगाने और उद्योग तक बॉयलर से स्टीम पहुंचाने और कनेक्शन देने और इससे शहर के पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव संबंधी सर्वे करके रिपोर्ट देनी है, लेकिन जिस एजेंसी को बड़ा बॉयलर की फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार करनी है अब तक उसने यह रिपोर्ट नहीं सोपी है. जबकि, 31 जुलाई तक एजेंसी को यह रिपोर्ट हरियाणा राज्य औद्योगिक और बुनियादी ढांचा विकास निगम को सौंपनी थी.
कीमतों में बढ़ोतरी: बता दें कि पोलर पहले 100 रुपए प्रति की किलो मिलता था लेकिन अब 120 रुपए प्रति किलो मिल रहा है. वहीं, मिंक पहले 180 रुपए प्रति किलो मिलता था अब 200 रुपए प्रति किलो मलि रहा है. इसके साथ ही सुपर सॉफ्ट पहले 200 रुपए प्रति किलो मिलता था, लेकिन अब इसका भाव 240 रुपए प्रति किलो हो गया है.
क्या है कॉमन बॉयलर?: बड़े बॉयलर से सभी फैक्ट्री तक स्टीम यानी भाप पाइप लाइन के जरिए पहुंचाई जाएगी. इस बॉयलर से प्रदूषण भी कम होगा, जिन फैक्ट्री तक यह स्टीम पहुंचेगी उनसे बॉयलर हटा दिए जाएंगे. इस बॉयलर को लगाने के लिए सरकार से हरी झंडी भी मिल चुकी है. सेक्टर- 29 पार्ट 2 में 30 एकड़ भूमि को भी चिह्नित कर लिया गया है. करीब 400 करोड़ रुपए की लागत से 2 साल में यह प्रोजेक्ट सूरत में चीन की तर्ज पर तैयार किया जाना है.
फिर पिछड़ सकता है भारत का कंबल उद्योग: उद्यमियों का कहना है कि वर्ष 2020 में भारत के कंबल उद्योग ने विश्व के सबसे बड़े कंबल उद्योग का हब कहे जाने वाले चीन को पछाड़ कर पहला स्थान हासिल कर लिया था. अगर बायोफ्यूल और पीएनजी पर ही अपने उद्योग को चलना पड़ा तो हम एक बार फिर चीन से पिछड़ सकते हैं, क्योंकि चीन का कंबल अपनी जगह फिर से मार्केट में बना लेगा. सस्ता होने के कारण लोग उसे खरीदना पसंद करेंगे.
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