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जानें कौन हैं नक्सलियों की कैद से जवान राकेश्वर सिंह को छुड़ाने वाले धर्मपाल सैनी

कोबरा बटालियन के जवान राकेश्वर सिंह को नक्सलियों ने रिहा कर दिया है. मध्यस्थता टीम में सबसे बुजुर्ग और प्रतिष्ठित पद्मश्री धर्मपाल सैनी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. ईटीवी भारत आपको बता रहा है कि आखिर कौन हैं धर्मपाल सैनी.

धर्मपाल सैनी
धर्मपाल सैनी
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Published : Apr 8, 2021, 10:42 PM IST

जगदलपुर : नक्सलियों ने लापता जवान राकेश्वर सिंह मनहास को छोड़ दिया है. तीन अप्रैल को हुए पुलिस-नक्सली मुठभेड़ के बाद कोबरा बटालियन के जवान राकेश्वर सिंह को नक्सलियों ने अगवा कर लिया था. गुरुवार को मध्यस्थता के लिए गई 11 सदस्यीय टीम के समक्ष देर शाम नक्सलियों ने जन अदालत लगाकर जवान को रिहा कर दिया. मध्यस्थता के लिए गए इस टीम में सबसे बुजुर्ग और प्रतिष्ठित धर्मपाल सैनी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है.

सामजसेवी हैं धर्मपाल सैनी 'ताऊ जी'
91 साल के धर्मपाल सैनी को राज्य में ताऊ जी के नाम से जाना जाता है. धर्मपाल सैनी एक समाजसेवी के साथ-साथ माता रुकमणी कन्या आश्रम का संचालन करते हैं. जगदलपुर शहर के साथ-साथ बस्तर संभाग के नक्सल प्रभावित इलाकों में उनके आश्रम संचालित होते हैं. धर्मपाल सैनी के आश्रम में पढ़कर कई बालिकाओं ने राष्ट्रीय खेलों में प्रथम पुरस्कार जीतकर बस्तर का नाम रोशन किया है.

नक्सलियों के बीच पद्मश्री धर्मपाल सैनी

बस्तर में शिक्षा की अलख जला रहे धर्मपाल सैनी
धर्मपाल सैनी भी एक खिलाड़ी रह चुके हैं. मध्य प्रदेश के धार जिले में रहने वाले धर्मपाल सैनी आज से चार दशक पहले बस्तर आए और यहां शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की. जब ताऊ जी 1976 में बस्तर में आए, तो यहां साक्षरता दर 1 फीसदी के आस-पास थी. साक्षरता दर को 65 फीसदी पहुंचाने में सैनी के योगदान को नकारा नहीं जा सकता. यही वजह है कि साक्षरता दर को सुधारने के साथ-साथ बस्तर के आदिवासी लड़कियों के लिए माता रुकमणी देवी आश्रम के अंतर्गत उन्होंने एक के बाद एक कुल 37 आवासीय स्कूल खोले हैं. इनमें से कई स्कूल नक्सल समस्या से बुरी तरह प्रभावित इलाकों में भी हैं.

1992 में धर्मपाल सैनी को मिला था पद्मश्री
समाज सेवा के कार्यों के लिए धर्मपाल को 1992 में पद्मश्री भी मिल चुका है. धर्मपाल सैनी अपने उत्कृष्ट कार्य के लिए कई बार सम्मानित हुए हैं. उन्हें विभिन्न सामाजिक संगठनों और समाजसेवियों की ओर से भी सम्मानित किया गया है. धर्मपाल सैनी इंद्रावती बचाओ मंच के सदस्य भी हैं. बस्तर के विकास के लिए उन्होंने काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

राज्य सरकार ने मध्यस्थता के लिए चुना
यही वजह रही कि धर्मपाल सैनी को राज्य सरकार ने मध्यस्थता के लिए न्योता दिया. जिसके बाद धर्मपाल सैनी गोंडवाना समाज के अध्यक्ष तेलाम बोरैया के साथ बीजापुर पहुंचे. यहां 11 सदस्य टीम के साथ अगवा किए जवान को रिहा कराने के लिए निकल पड़े. 11 सदस्य टीम का नेतृत्व धर्मपाल सैनी ने ही किया. नक्सलियों ने आखिरकार मध्यस्थता कर रही टीम के साथ चर्चा कर जवान को सही सलामत रिहा कर दिया. इस रिहाई के लिए धर्मपाल सैनी समेत पूरे 11 सदस्य टीम की जमकर तारीफ हो रही है.

जगदलपुर : नक्सलियों ने लापता जवान राकेश्वर सिंह मनहास को छोड़ दिया है. तीन अप्रैल को हुए पुलिस-नक्सली मुठभेड़ के बाद कोबरा बटालियन के जवान राकेश्वर सिंह को नक्सलियों ने अगवा कर लिया था. गुरुवार को मध्यस्थता के लिए गई 11 सदस्यीय टीम के समक्ष देर शाम नक्सलियों ने जन अदालत लगाकर जवान को रिहा कर दिया. मध्यस्थता के लिए गए इस टीम में सबसे बुजुर्ग और प्रतिष्ठित धर्मपाल सैनी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है.

सामजसेवी हैं धर्मपाल सैनी 'ताऊ जी'
91 साल के धर्मपाल सैनी को राज्य में ताऊ जी के नाम से जाना जाता है. धर्मपाल सैनी एक समाजसेवी के साथ-साथ माता रुकमणी कन्या आश्रम का संचालन करते हैं. जगदलपुर शहर के साथ-साथ बस्तर संभाग के नक्सल प्रभावित इलाकों में उनके आश्रम संचालित होते हैं. धर्मपाल सैनी के आश्रम में पढ़कर कई बालिकाओं ने राष्ट्रीय खेलों में प्रथम पुरस्कार जीतकर बस्तर का नाम रोशन किया है.

नक्सलियों के बीच पद्मश्री धर्मपाल सैनी

बस्तर में शिक्षा की अलख जला रहे धर्मपाल सैनी
धर्मपाल सैनी भी एक खिलाड़ी रह चुके हैं. मध्य प्रदेश के धार जिले में रहने वाले धर्मपाल सैनी आज से चार दशक पहले बस्तर आए और यहां शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की. जब ताऊ जी 1976 में बस्तर में आए, तो यहां साक्षरता दर 1 फीसदी के आस-पास थी. साक्षरता दर को 65 फीसदी पहुंचाने में सैनी के योगदान को नकारा नहीं जा सकता. यही वजह है कि साक्षरता दर को सुधारने के साथ-साथ बस्तर के आदिवासी लड़कियों के लिए माता रुकमणी देवी आश्रम के अंतर्गत उन्होंने एक के बाद एक कुल 37 आवासीय स्कूल खोले हैं. इनमें से कई स्कूल नक्सल समस्या से बुरी तरह प्रभावित इलाकों में भी हैं.

1992 में धर्मपाल सैनी को मिला था पद्मश्री
समाज सेवा के कार्यों के लिए धर्मपाल को 1992 में पद्मश्री भी मिल चुका है. धर्मपाल सैनी अपने उत्कृष्ट कार्य के लिए कई बार सम्मानित हुए हैं. उन्हें विभिन्न सामाजिक संगठनों और समाजसेवियों की ओर से भी सम्मानित किया गया है. धर्मपाल सैनी इंद्रावती बचाओ मंच के सदस्य भी हैं. बस्तर के विकास के लिए उन्होंने काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

राज्य सरकार ने मध्यस्थता के लिए चुना
यही वजह रही कि धर्मपाल सैनी को राज्य सरकार ने मध्यस्थता के लिए न्योता दिया. जिसके बाद धर्मपाल सैनी गोंडवाना समाज के अध्यक्ष तेलाम बोरैया के साथ बीजापुर पहुंचे. यहां 11 सदस्य टीम के साथ अगवा किए जवान को रिहा कराने के लिए निकल पड़े. 11 सदस्य टीम का नेतृत्व धर्मपाल सैनी ने ही किया. नक्सलियों ने आखिरकार मध्यस्थता कर रही टीम के साथ चर्चा कर जवान को सही सलामत रिहा कर दिया. इस रिहाई के लिए धर्मपाल सैनी समेत पूरे 11 सदस्य टीम की जमकर तारीफ हो रही है.

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