नई दिल्ली : देश और दुनिया के इतिहास में यूं तो कई महत्वपूर्ण घटनाएं 24 मार्च की तारीख के नाम दर्ज हैं लेकिन बीते बरस 24 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना के कहर के कारण देशभर में लॉकडाउन लगाने की घोषणा करके इस दिन को इतिहास में जगह बनाने की एक बड़ी वजह दे दी.
देश में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों का आंकड़ा 500 से पार होने के बाद यह एहतियाती कदम उठाया गया था.
जनता कर्फ्यू
19 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से 22 मार्च को सुबह सात से रात नौ बजे तक 'जनता कर्फ्यू' लगाने और सभी से घर में रहने की अपील की.
प्रकोप के दौरान विभिन्न क्षेत्रों द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना के लिए उन्होंने लोगों से शाम पांच बजे अपने आंगन-बालकनियों के सामने इकट्ठा होने और पांच मिनट के लिए थाली-ताली बजाने का आग्रह किया.
लॉकडाउन 1
- 24 मार्च को पीएम मोदी ने 21 दिनों की अवधि के लिए उस दिन की मध्यरात्रि से देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की. लॉकडाउन के दौरान लोगों के घरों से बाहर निकलने पर रोक लगा दी गई. सिर्फ स्वास्थ्यकर्मी, पुलिस, पत्रकार, सफाईकर्मी और जरूरी सुविधाएं देने वालों को बाहर निकलने की अनुमति थी.
- पीएम मोदी ने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के लिए 15 हजार करोड़ रुपये की सहायता की भी घोषणा की.
- 26 मार्च को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने लॉकडाउन से प्रभावित लोगों के लिए 17 हजार करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की.
- लॉकडाउन का अचानक ऐलान करने के लिए और लोगों को तैयारी का पर्याप्त समय न देने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना भी होती रही.
क्या बंद रहा-
- परिवहन सेवाएं - सड़क, हवाई और रेल, महानगरों में मेट्रो-लोकल ट्रेन को प्रतिबंधित कर दिया गया.
- स्कूल-कॉलेज, औद्योगिक कारखाने, खेल, धार्मिक आयोजन, सरकारी दफ्तर, प्रायवेट कंपनियां, सिनेमा हॉल, धार्मिक स्थल, शॉपिंग मॉल बंद कर दिए गए.
- इस दौरान काम करने का तरीका बदला. आईटी कंपनियों समेत कई कंपनियों ने वर्क फ्रॉम होम (घर से काम) का विकल्प चुना.
क्या खुला रहा-
- बैंक और एटीएम, पेट्रोल पंप, किराने, फल-सब्जी, दवाई की दुकान, फूड डिलिवरी जैसी सेवाएं जारी रहीं.
- तीन अप्रैल को प्रधानमंत्री ने देशवासियों से पांच अप्रैल को पूरे देश में नौ मिनट के लिए रोशनी बंद करने और मोमबत्ती, दीया या मोबाइल की फ्लैश लाइट जलाने की अपील की.
लॉकडाउन 2
- 14 अप्रैल को प्रधानमंत्री मोदी ने लॉकडाउन के दूसरे चरण की घोषणा की. 15 अप्रैल से तीन मई तक के लिए दूसरे चरण का लॉकडाउन लागू कर दिया गया.
- 16 अप्रैल को संक्रमण की गंभीरता को देखते हुए अलग-अलग इलाकों को रेड जोन, ग्रीन जोन, ऑरेंज जोन और हॉटस्पॉट की श्रेणी में बांटा गया. ग्रीन जोन में रहने वालों को पाबंदियों में सबसे ज्यादा छूट मिली.
- सरकार अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्रा 'वंदे भारत मिशन' के तहत विदेश में फंसे भारतीयों को वतन वापस लाई.
तबलीगी जमात और विवाद
अप्रैल की शुरुआत में दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में तबलीगी जमात के एक धार्मिक कार्यक्रम में जुटे लोगों को लेकर खूब विवाद हुआ. तबलीगी जमात के कई सदस्य और मरकज में शामिल हुए कई लोग देश के अलग-अलग हिस्सों में कोरोना वायरस संक्रमित पाए गए. अस्पताल में नर्सों के सामने ही कपड़े उतारने के कारण छह लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई.
प्रवासी मजदूरों का पलायन
- लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों, बेघर और गरीब लोगों के सामने रोजी-रोटी की विकट समस्या आ खड़ी हुई. काम छिनने के बाद बेरोजगार हुए हजारों मजदूर महानगरों से पैदल ही अपने गांव जाने को मजबूर हो गए. इनमें छोटे-छोटे बच्चे, गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग और दिव्यांग भी शामिल थे.
- पैदल घर जा रहे मजदूरों की कभी सड़क हादसों की चपेट में आने से तो कभी भूख-प्यास और लंबे सफर के कारण मौत हो गई. प्रवासी मजदूरों के पलायन को लेकर केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की आलोचना हुई.
- 29 अप्रैल को दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों और अन्य लोगों को आने-जाने के लिए कुछ बस सेवाएं शुरू की गईं. वहीं श्रमिक स्पेशल ट्रेनें भी चलाई गईं.
डॉक्टरों पर हमले
देश के अलग-अलग हिस्सों से डॉक्टरों और स्वास्थकर्मियों पर लगातार हमले की खबरें भी आईं. इसके बाद केंद्र सरकार संक्रामक बीमारी कानून, 1987 में संशोधन करके एक अध्यादेश लाई, जिसमें स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला करने या उनकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर जेल की सजा और भारी जुर्माने का प्रावधान किया गया.
लॉकडाउन 3
- चार मई से 17 मई तक तीसरे चरण का लॉकडाउन लागू किया गया. इस दौरान लगातार सुस्त हो रही अर्थव्यवस्था और गिरते राजस्व के मद्देनजर सरकार ने शराब की दुकानें खोलने को मंजूरी दे दी.
- छूट मिलते ही शराब के दुकानों पर भारी भीड़ और लंबी लाइनें देखी गईं. इसके बाद कुछ राज्य सरकारों ने शराब के दाम कई गुना बढ़ा दिए तो कई राज्यों में होम डिलिवरी की सुविधा उपलब्ध कराई गई.
- 12 मई को प्रधानमंत्री मोदी ने 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' के तहत 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया.
लॉकडाउन 4
कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सरकार ने लॉकडाउन बढ़ाकर 31 मई तक कर दिया. इस दौरान रात सात बजे से सुबह सात बजे तक नाइट कर्फ्यू लगाया गया. सभी सार्वजनिक जगहों और दफ्तरों में मास्क पहनना अनिवार्य किया गया. विवाह समारोहों में 50 लोगों और अंतिम संस्कार में 20 लोगों के शामिल होने की अनुमति दी गई.
लॉकडाउन 5 या अनलॉक 1
देश में एक जून से 30 जून तक लॉकडाउन 5 लागू हुआ, जिसे अनलॉक 1 भी नाम दिया गया. सरकार ने लॉकडाउन में काफी हद तक ढील दी. गृह मंत्रालय की गाइडलाइंस के बाद कई राज्यों ने दूसरे राज्यों से आने-जाने वाले लोगों के लिए सीमा खोल दी और इंटर-स्टेट परिवहन को मंजूरी दी. 200 पैसेंजर ट्रेनों का परिचालन शुरू किया गया.
अनलॉक 2
सरकार ने एक जुलाई से 31 जुलाई तक के लिए अनलॉक के दूसरे चरण की घोषणा की. इस दौरान 15 जुलाई से केंद्र और राज्य सरकारों के ट्रेनिंग इस्ंटीट्यूट दोबारा खोले जाने, दुकानों में पांच से ज्यादा लोगों के जाने की अनुमति दी गई.
अनलॉक 3
सरकार ने एक अगस्त से 31 अगस्त तक अनलॉक 3 का एलान किया. इस दौरान रात में आवागमन और पांच अगस्त से योग संस्थान, जिम के खुलने की अनुमति दी गई.
अनलॉक 4
एक सितंबर से 30 सितंबर तक के लिए अनलॉक 4 लगाया गया. इसमें सामाजिक, शैक्षणिक, खेल, मनोरंजन, सांस्कृतिक, धार्मिक, राजनीतिक कार्यक्रम और अन्य सभाओं में 100 लोगों के शामिल होने की छूट दी गई. सात सितंबर से मेट्रो रेल शुरू करने की अनुमति दी गई.
अनलॉक 5
एक अक्टूबर से अनलॉक 5 लागू किया गया. इस दौरान 15 अक्टूबर से सिनेमा हॉल, मल्टीप्लेक्स, स्विमिंग पूल और एंटरटेनमेंट पार्क खोलने की अनुमति दी गई. स्कूल और कोचिंग संस्थान खोलने का फैसला राज्य सरकारों को दिया गया.
संसद सत्र-चुनाव
- कोरोना वायरस महामारी के कारण संसद का शीतकालीन सत्र रद्द हुआ. संसद के दो सत्रों पर भी कोरोना वायरस महामारी का असर पड़ा. पहले मार्च में बजट सत्र को छोटा करना पड़ा और फिर सितंबर में मानसून सत्र को तय समय से पहले ही समाप्त कर दिया गया.
- मुख्य कारण बड़ी संख्या में सांसदों का कोरोना वायरस से संक्रमित पाया जाना रहा. मानसून सत्र के दौरान 30 से अधिक सांसद संक्रमित पाए गए थे.
- आजाद भारत के इतिहास में चौथी बार संसद के शीतकालीन सत्र को निरस्त किया गया. इससे पहले 1975, 1979 और 1984 में शीतकालीन सत्र नहीं बुलाया गया था.कोरोना काल में बिहार में विधान सभा और कई राज्यों में नगर निकाय चुनाव संपन्न हुए.
रद्द हुए टूर्नामेंट्स
- ऑस्ट्रेलिया में होने वाला आईसीसी पुरुष टी 20 विश्व कप
- जापान में होने वाला टोक्यो 2020 ओलंपिक
- विंबलडन टेनिस चैंपियनशिप 2020
- यूरोलीग बास्केटबॉल और यूरोकप
- उज्बेकिस्तान में होने वाली वेटलिफ्टिंग एशियन चैंपियनशिप
- पैरालंपिक
दुनिया में कोरोना का पहला मामला
कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत संक्रमण के रूप में चीन के वुहान शहर में दिसंबर 2019 में हुई. यहां बहुत से लोगों को निमोनिया होने लगा और देखा गया की पीड़ित लोगों में से अधिकतर वुहान सी फूड मार्केट में मछलियां और जीवित पशु बेचते हैं.
चीनी वैज्ञानिकों ने बाद में कोरोना वायरस की एक नई नस्ल की पहचान की जिसे 2019-nCoV प्रारंभिक पदनाम दिया गया.
भारत में पहला कोरोना संक्रमित
भारत में कोरोना वायरस से संक्रमण का पहला मामला 30 जनवरी 2020 को सामने आया था. पहला मामला दक्षिण भारतीय राज्य केरल से सामने आया था. भारत में इस वायरस का पहला शिकार 20 साल की एक युवती थी. कोरोना पॉजिटिव पाए जाने से पहले 25 जनवरी 2020 को ही वह चीन से वापस लौटी थी.
12 मार्च को एक 76 वर्षीय बुजुर्ग, जो सऊदी अरब से लौटे थे, की जान चली गई. यह देश में कोरोना वायरस से होने वाली पहली मौत थी. देश में कोरोना से कई मशहूर हस्तियों जैसे पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, पूर्व केंद्रीय मंत्री अहमद पटेल, असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरूण गोगोई, यूपी के मंत्री और पूर्व क्रिकेटर चेतन चौहान आदि का निधन हुआ.
सावधानियां और बदलाव
कोरोना वायरस ने आज मानव की जीवनशैली में बहुत हद तक बदलाव ला दिया है. इससे निपटने के लिए दुनियाभर में लोगों ने बहुत अधिक सावधानी बरती. लोगों ने सरकार की अपील के बाद सोशल डिस्टेंसिंग रखना शुरू किया. मुंह पर मास्क लगाना, हाथों को सैनेटाइज करना, हाथों को बार-बार साबुन से धोना, खांसी या छींक आने पर मुंह और नाक को ढंकना शुरू किया.
आरोग्य सेतु एप
सरकार ने दो अप्रैल को कोरोना वायरस से संबंधित आरोग्य सेतु (Aarogya Setu) मोबाइल एप लॉन्च किया. इस एप के जरिए संक्रमित लोगों की लोकेशन को ट्रैक किया जा सकता है और यूजर्स कोरोना संक्रमित के संपर्क में है या नहीं, की जानकारी मिलती है.
कोरोना की जांच
संदिग्ध व्यक्ति के टेस्ट की हामी भरने के बाद उसके ऊपरी और निचले श्वससन ट्रैक से सेल और खून के नमूने इकट्ठे किए जाते हैं और उसे दो से आठ डिग्री सेल्सियस के तापमान में रखा जाता है और बाद में टेस्टिंग लैब में भेजा जाता है.
कोरोना वायरस के लक्षण-
- बुखार
- खांसी या गला सूखना
- सांस लेने में तकलीफ
वैक्सीन ड्राई रन
स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा 20 दिसंबर 2020 को ड्राई रन को लेकर दिशानिर्देश जारी किए गए. केंद्र के ड्राई-रन का मकसद देश के सभी राज्यों में एक साथ कई लोगों को डमी वैक्सीन देना था. इससे आधिकारिक तंत्र की तैयारियों का पता लगाने में मदद मिली और अभियान में काम आने वाले डिजिटल आईटी साइट की खामियों को दूर करने में सफलता मिली. दो जनवरी को देशव्यापी ड्राई रन का आयोजन किया गया था.
टीकाकरण में कड़ी चुनौती
भारत के पास सामूहिक टीकाकरण अभियान चलाने का कई दशकों का अनुभव है. टीकाकरण के क्षेत्र में प्राप्त विशाल अनुभव के बावजूद देश कोविड-19 टीकाकरण में कड़ी चुनौती का सामना करने जा रहा है.
टीकारण की शुरुआत
देश में कोविड-19 रोधी टीकाकरण अभियान की शुरूआत 16 जनवरी को हुई थी और सबसे पहले डाक्टरों सहित स्वास्थ्य कर्मियों को टीका लगाया गया. इसके बाद कोविड के खिलाफ अग्रिम मोर्चे पर तैनात कर्मियों को टीकाकरण अभियान के तहत लाया गया.
एक मार्च को अगले चरण में 60 वर्ष से अधिक आयु और गंभीर बीमारियों से ग्रसित 45 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को टीकाकरण के दायरे में लाया गया था. वहीं, 45 साल से अधिक आयु के लोगों के टीकाकरण के लिए एक अप्रैल से को-विन पर पंजीकरण शुरू होगा.