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सिर्फ लद्दाख ही नहीं, साइबर स्पेस में भी भारत-चीन के बीच जंग - बिजली क्षेत्र की 10 भारतीय संस्थाओं पर साइबर हमला

एलएसी पर भारत-चीन के बीच सैन्य गतिरोध के साथ ही दो एशियाई दिग्गजों के बीच साइबर स्पेस में एक और लड़ाई चल रही है. अमेरिका की साइबर सुरक्षा फर्म की एक रिपोर्ट में युद्ध की हाइब्रिड प्रकृति को रेखांकित किया गया है. पढ़ें वरिष्ठ पत्रकार संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट...

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Published : Mar 1, 2021, 4:36 PM IST

Updated : Mar 1, 2021, 4:43 PM IST

नई दिल्ली : यह अब साफ हो गया है कि मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में मोर्चा खुलने के अलावा भारत-चीन के टकराव ने साइबर स्पेस में भी जगह बना ली है. जहां भारत के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को लक्षित करने का खुलासा किया गया है. न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में यह बताया गया है कि चीन के that RedEcho नामक मालवेयर ने बिजली क्षेत्र की 10 भारतीय संस्थाओं और दो भारतीय बंदरगाहों पर निर्देशित साइबर हमले किए.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दोनों पक्षों द्वारा साइबर जासूसी की गतिविधियां देखने को मिली हैं. रिपोर्ट ने 2020 में संदिग्ध भारतीय राज्य प्रायोजित समूह सिडविंडर द्वारा चीनी सैन्य और सरकारी संस्थाओं को निशाना बनाने की भी जानकारी दी गई है. 19 पन्ने की खोजी अनुसंधान आधारित रिपोर्ट 'रिकॉर्डेड फ्यूचर' द्वारा तैयार की गई है, जो कि अमेरिका की एक निजी साइबर विश्लेषण फर्म है.

तीव्र गति के साइबर एस्केलेशन में जून से नवंबर 2020 तक भारत सरकार ने आशंकाओं के आधार पर 200 से अधिक चीनी एप्स पर प्रतिबंध लगा दिया था. आरोप था कि उनका उपयोग भारतीय नागरिकों का डाटा एकत्र करने के लिए किया जा सकता है और संभवतः चीनी सरकार को लाभ पहुंचाने के साथ ही जासूसी के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

लक्षित भारतीय बिजली क्षेत्र की इकाइयों में चार क्षेत्रीय भार प्रेषण केंद्र (RLDCs), दो राज्य भार प्रेषण केंद्र (SLDC) शामिल थे. जबकि लक्षित बंदरगाह मुंबई पोर्ट ट्रस्ट और VO चिदंबरनार पोर्ट ट्रस्ट थे. यह रिपोर्ट मुंबई में अक्टूबर 2020 के एक पावर आउटेज के लिंक पर भी इशारा करती है, जो कि SLDC में मालवेयर की उपस्थिति के कारण हुआ था.

साइबर हमलों में 'शैडोपैड' का इस्तेमाल किया जाता है, जो की मॉड्यूलर बैकडोर टूल है. जिसका इस्तेमाल चीनी सुरक्षा मंत्रालय (MSS) और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) से संबद्ध समूहों व इनके साथ जुड़े समूहों में किया जाता है. 'रिकॉर्डेड फ्यूचर' ने वर्तमान में कम से कम 5 चीनी खतरे की गतिविधि समूहों की पहचान की है. जो शैडोपैड का उपयोग करती हैं और इनमें कुख्यात APT41 और टोंटो टीम शामिल है.

यह भी पढ़ें-कोरोना टीका : जानिए पीएम मोदी के बाद किन लोगों ने लगवाई वैक्सीन

भारत और चीन वर्तमान में सैन्य, राजनयिक और राजनीतिक स्तरों पर बातचीत के माध्यम से डी-एस्केलेशन प्रयास में लगे हुए हैं. बीते साल लद्दाख की गलवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) को लेकर पैदा हुए तनाव के बाद दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. इसमें भारत के 20 जवान शहीद हुए थे, जबकि चीन पक्ष के भी कई सैनिक मारे गए थे. फिलहाल, दोनों देशों के बीच तनाव कम होता दिख रहा है, पिछले दिनों दोनों देशों की सेनाएं, एलएसी से पीछे हटी हैं.

नई दिल्ली : यह अब साफ हो गया है कि मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में मोर्चा खुलने के अलावा भारत-चीन के टकराव ने साइबर स्पेस में भी जगह बना ली है. जहां भारत के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को लक्षित करने का खुलासा किया गया है. न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में यह बताया गया है कि चीन के that RedEcho नामक मालवेयर ने बिजली क्षेत्र की 10 भारतीय संस्थाओं और दो भारतीय बंदरगाहों पर निर्देशित साइबर हमले किए.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दोनों पक्षों द्वारा साइबर जासूसी की गतिविधियां देखने को मिली हैं. रिपोर्ट ने 2020 में संदिग्ध भारतीय राज्य प्रायोजित समूह सिडविंडर द्वारा चीनी सैन्य और सरकारी संस्थाओं को निशाना बनाने की भी जानकारी दी गई है. 19 पन्ने की खोजी अनुसंधान आधारित रिपोर्ट 'रिकॉर्डेड फ्यूचर' द्वारा तैयार की गई है, जो कि अमेरिका की एक निजी साइबर विश्लेषण फर्म है.

तीव्र गति के साइबर एस्केलेशन में जून से नवंबर 2020 तक भारत सरकार ने आशंकाओं के आधार पर 200 से अधिक चीनी एप्स पर प्रतिबंध लगा दिया था. आरोप था कि उनका उपयोग भारतीय नागरिकों का डाटा एकत्र करने के लिए किया जा सकता है और संभवतः चीनी सरकार को लाभ पहुंचाने के साथ ही जासूसी के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

लक्षित भारतीय बिजली क्षेत्र की इकाइयों में चार क्षेत्रीय भार प्रेषण केंद्र (RLDCs), दो राज्य भार प्रेषण केंद्र (SLDC) शामिल थे. जबकि लक्षित बंदरगाह मुंबई पोर्ट ट्रस्ट और VO चिदंबरनार पोर्ट ट्रस्ट थे. यह रिपोर्ट मुंबई में अक्टूबर 2020 के एक पावर आउटेज के लिंक पर भी इशारा करती है, जो कि SLDC में मालवेयर की उपस्थिति के कारण हुआ था.

साइबर हमलों में 'शैडोपैड' का इस्तेमाल किया जाता है, जो की मॉड्यूलर बैकडोर टूल है. जिसका इस्तेमाल चीनी सुरक्षा मंत्रालय (MSS) और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) से संबद्ध समूहों व इनके साथ जुड़े समूहों में किया जाता है. 'रिकॉर्डेड फ्यूचर' ने वर्तमान में कम से कम 5 चीनी खतरे की गतिविधि समूहों की पहचान की है. जो शैडोपैड का उपयोग करती हैं और इनमें कुख्यात APT41 और टोंटो टीम शामिल है.

यह भी पढ़ें-कोरोना टीका : जानिए पीएम मोदी के बाद किन लोगों ने लगवाई वैक्सीन

भारत और चीन वर्तमान में सैन्य, राजनयिक और राजनीतिक स्तरों पर बातचीत के माध्यम से डी-एस्केलेशन प्रयास में लगे हुए हैं. बीते साल लद्दाख की गलवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) को लेकर पैदा हुए तनाव के बाद दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. इसमें भारत के 20 जवान शहीद हुए थे, जबकि चीन पक्ष के भी कई सैनिक मारे गए थे. फिलहाल, दोनों देशों के बीच तनाव कम होता दिख रहा है, पिछले दिनों दोनों देशों की सेनाएं, एलएसी से पीछे हटी हैं.

Last Updated : Mar 1, 2021, 4:43 PM IST
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