लंदन/नई दिल्ली : पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाला मामले में भगौड़ा घोषित हीरा व्यापारी नीरव मोदी पर शिंकजा कसता जा रहा है. नीरव के भारत प्रत्यर्पण पर निर्णायक फैसला अगले साल सात और आठ जनवरी में हो जाएगा. लंदन के वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट में प्रत्यर्पण को लेकर मंगलवार को हुई सुनवाई में चीफ मजिस्ट्रेट एमा अर्बुथनॉट ने नीरव की रिमांड 29 दिसंबर तक बढ़ा दी.
बता दें कि मुख्य मजिस्ट्रेट एमा अर्बुथनॉट ने उसकी हिरासत की अवधि और 28 दिन यानी 29 दिसम्बर तक बढ़ा दी.
मजिस्ट्रेट ने मोदी से कहा, वीडियो लिंक के जरिये एक और संक्षिप्त सुनवाई होगी और इसके बाद मामले में दलीलों को सौंपना बंद करने से पहले केवल एक सप्ताह का समय है.
प्रत्यर्पण मामले में अंतिम सुनवाई दो दिन, अगले साल सात और आठ जनवरी को निर्धारित की गई है, जब जिला न्यायाधीश सैमुअल गूजी कुछ सप्ताह बाद अपना फैसला सुनाने से पहले दोनों पक्षों की ओर से दलीलों को सुनेंगे.
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बता दें कि कोरोना प्रोटोकॉल के मद्देनजर इस बार भी नीरव मोदी वैंड्सवर्थ जेल से वीडियो लिंक के जरिये पेश हुआ. चीफ मजिस्ट्रेट एम्म अर्बथनॉट ने सुनवाई के दौरान नीरव मोदी को बताया कि अब बस एक और छोटी सी सुनवाई होगी और उसके बाद कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी.
जिला न्यायाधीश सैमुअल गूजी ने तीन नवम्बर को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा पेश कुछ गवाहों के बयानों की स्वीकार्यता के खिलाफ और पक्ष में दलीलें सुनीं थी.
इसके बाद न्यायाधीश ने कहा था कि वह खुद को किंगफिशर एयरलाइंस के पूर्व प्रमुख विजय माल्या के प्रत्यर्पण मामले में ब्रिटिश अदालतों के फैसलों से 'बंधा हुआ' मानते हैं.
भारतीय अधिकारियों की ओर से बहस करते हुए क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने कहा कि कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 161 के तहत गवाहों के बयान सहित अन्य साक्ष्य ब्रिटिश अदालत के लिए आवश्यक सीमा को पूरा करते हैं.
गौरतलब है कि नीरव मोदी भारत में पीएनबी के साथ करीब दो अरब डॉलर के घोटाला मामले में वांछित हैं.