वाराणसी: कानपुर के गैंगस्टर विकास दुबे के साथी प्रभात मिश्रा उर्फ कार्तिकेय के एनकाउंटर के दो साल पुराने प्रकरण में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission) ने यूपी के पुलिस-प्रशासन की रिपोर्ट की जांच और परीक्षण करने का आदेश डायरेक्टर जनरल इन्वेस्टिगेशन (director general investigation) को दिया है. साथ ही चार हफ्ते में इसकी रिपोर्ट पेश करने के निर्देश भी जारी किए है.
दरअसल, कानपुर के बिकरू कांड के बाद पुलिस मुठभेड़ में विकास दुबे के अलावा उसके शागिर्दों में शामिल प्रभात मिश्रा उर्फ कार्तिकेय जुलाई 2020 में मारा गया था. इसे लेकर वाराणसी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के एडवोकेट अंशुमान त्रिपाठी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी. एडवोकेट अंशुमान त्रिपाठी के अनुसार, विकास दुबे की गैंग का अपराधी बताकर प्रभात मिश्रा 16 वर्षीय नाबालिग का एनकाउंटर कानपुर में किया गया था. पुलिस का कहना था कि प्रभात हथकड़ी पहन कर भाग रहा था, जबकि प्रभात को पुलिस ने फरीदाबाद से गिरफ्तार किया था.
एडवोकेट अंशुमान त्रिपाठी के अनुसार, पुलिस के द्वारा डीके बसु और जोगिंदर कुमार के केस में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन नहीं किया गया था. एडवोकेट की शिकायत पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश के डीजीपी, कानपुर के डीएम-एसएसपी से पोस्टमार्टम रिपोर्ट, बैलिस्टिक रिपोर्ट और इंक्वेस्ट रिपोर्ट तलब की थी. आयोग के आदेश के क्रम में उतर प्रदेश सरकार द्वारा सभी रिपोर्ट भेजी गई थी. एडवोकेट अंशुमान त्रिपाठी ने बताया कि मानवाधिकार आयोग ने सभी रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद पूरे एनकाउंटर की जांच और परीक्षण अपने डायरेक्टर जनरल इन्वेस्टिगेशन से कराने का आदेश पारित किया है. साथ ही चार हफ्तों में रिपोर्ट मांगी है.
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