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1.55 लाख से ज्यादा जिंदगियां बचा चुका है एनडीआरएफ, जानें इसके स्थापना के पीछे की कहानी - राष्ट्रीय आपदा मोचन बल

NDRF Raising Day : आपदा को रोकना नामुकिन है. लेकिन संभावित आपदा पूर्व तैयारियां और आपदा के तुरंत बाद जितनी जल्दी प्रभावित क्षेत्र में राहत व बचाव कार्य समुचित संसाधनों की मदद से चलाया जायेगा, उतनी अधिक जिंदगियों को सुरक्षित किया जा सकता है. पढ़ें पूरी खबर...

NDRF Raising Day
एनडीआरएफ स्थापना दिवस
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 19, 2024, 11:31 AM IST

Updated : Jan 19, 2024, 11:50 AM IST

हैदराबाद : भारत भौगोलिक रूप से विवधता वाला देश है. एक ओर भारत में प्राकृतिक संसाधनों की भरमार है, वहीं दूसरी ओर प्राकृति व मानवीय गतिविधियों के कारण देश का अलग-अलग हिस्सा किसी न किसी आपदा से जूझ रहा होता है. भूकंप, बाढ़, भूस्खलन, अतिवृष्टि, आग, रेल-सड़क-वायु-जल मार्ग में होने वाले बड़े हादसों सहित अन्य आपदों का दायरा कई बार काफी व्यापक हो जाता है. जिला व राज्य स्तरीय एजेंसियों के पास उपलब्ध संसाधन, कर्मी या विशेषज्ञता की कमी के कारण संबंधित आपदा से निपटना संभव नहीं हो पाता है. ऐसी स्थिति में संबंधित राज्य/केंद्र शासित एजेंसियों के अनुरोध पर राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स-एनडीआरएफ) मौके पर पहुंचती है.

देश में अलग-अलग हिस्सों में होने वाली प्राकृतिक आपदों में बड़ी संख्या में लोग प्रभावित होते थे. संबंधित राज्य सरकारों की एजेंसियों व केंद्रीय सुरक्षा बलों की विशेषज्ञता संबंधित आपदों से निपटने में कई बार कम पड़ जाता था. इसी को ध्यान में रखकर तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 (The Disaster Management Act 2005) की धारा 44 के तहत एनडीआरएफ स्थापित किया गया. 19 जनवरी 2006 एनडीआरएफ अस्तित्व में आया. इसके बाद से हर साल हर साल इस डेट को एनडीआरएफ स्थापना दिवस मनाया जाता है.

16 बटालियन में 18000 कर्मी एनडीआरएफ में दे रहे हैं सेवाएं
स्थापना के समय में एनडीआरएफ की 8 बटालियनें थीं. आज के समय बटालियनों की संख्या 16 है. प्रत्येक बटालियन में 1149 कर्मी होते हैं. इस हिसाब से 18348 के करीब एनडीआरएफ की क्षमता है. इनमें ज्यादातर कर्मी बीएसएफ, सीआईएसएफ, सीआरपीएफ, आईटीबीपी, असम राइफल्स के जवान होते हैं. इन्हें एनडीआरएफ के लिए निशेष प्रशिक्षण दिया जाता है. हर बटालियन में 18 विशेषज्ञ और 45 बचाव दल के कर्मी अनिवार्य रूप से होते हैं. इनमें इंजीनियर, टेक्नीकल कर्मी, डॉग स्क्वायड और मेडिकल टीम के सदस्य होते हैं. एनडीआरएफ प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं से निपटने में सक्षम है. एनडीआएरएफ केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन होते हैं. एनडीआरएफ के प्रशासनिक प्रमुख डीजी एनडीआरएफ होते हैं. ज्यादातर भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी इस पद को संभालते हैं.

भारत से लेकर तुर्किये तक लाखों जिंदगियां बचा चुका है एनडीआरएफ
एनडीआरएफ के महानिदेशक अतुल करवाल के अनुसार लगातार बहुमूल्य मानव जीवन को बचा रहा है. उनके अनुसार बहुत ही कम समय में एनडीआरएफ 1.55 लाख से ज्यादा लोगों की जिंदगियों को बचा चुका है. भारत व अन्य देशों में विभिन्न अभियानों के दौरान एनडीआरएफ 7.88 लाख से ज्यादा लोगों को आपदाग्रस्त इलाके से सुरक्षित बाहर निकाल चुका है. 2011 में जापान में आये ट्रिपल डिजास्टर, 2015 में नेपाल में भूकंप और 2023 में तुर्किये में भूकंप में एनडीआरएफ के अभियानों को विश्व स्तर पर सराहा गया.

आपदा के प्रकार

प्राकृतिक आपदा

  1. चक्रवात
  2. सुनामी
  3. लू
  4. शीतलहर
  5. वज्रपात
  6. भूस्खसलन
  7. भूकंप
  8. बाढ़
  9. शहरी बाढ़

मानव निर्मित आपदा

  1. रासायनिक खतरा
  2. नाभिकीय खतरा
  3. जैविक खतरा

एनडीआरएफ की 16 बटालियन हैं. ये बटालिन 15 राज्यों में स्थित हैं. आपदा के समय बेहतर समन्वय के लिए बटालियनों का कार्यक्षेत्र निर्धारित है. बटालियनों के पास संबंधित क्षेत्र में संभावित आपदाओं के अनुरूप उपकरणों से लैस किया गया है.

  1. असम
  2. पंजाब
  3. बिहार
  4. महाराष्ट्र
  5. गुजरात
  6. ओडिशा
  7. तमिलनाडु
  8. उत्तराखंड
  9. आंध्र प्रदेश
  10. उत्तर प्रदेश
  11. पश्चिम बंगाल
  12. हिमाचल प्रदेश
  13. अरुणाचल प्रदेश
  14. दिल्ली एनसीआर
  15. जम्मू और कश्मीर

आपदा के बाद महामारी का खतरा
आपदा से निपटने के लिए इसके बारे में सही जानकारी जरूरी है. इस काम में एनडीआरएफ बेहतर तरीके से काम कर है. बता दें की आपदा से बचाव के लिए तीन स्तरीय तैयारी जरूरी है. पहला, संभावित आपदा से निपटने के लिए पूर्व में तैयारी जरूरी है. वहीं पूर्व की तैयारी के आधार पर आपदा के दौरान प्रभावित इलाका में पहुंच कर लोगों को राहत पहुंचाना जरूरी है. वहीं आपदा के प्रभावित लोगों तक भोजन-पानी और चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना जरूरी है. वहीं आपदा के दौरान मृत लोगों के शवों का निपटारा समय करना सबसे बड़ी चुनौती होती है. इसमें थोड़ी सी चुक महामारी का कारण बन सकता है.

नागपुर में बन रहा अंतरराष्ट्रीय स्तर का एनडीआरएफ एकेडमी
महाराष्ट्र के नागपुर में राष्ट्रीय आपदा अनुक्रिया बल अकादमी, नागपुर (NDRF Academy Nagpur) में बनाया जा रहा है. 2 जनवरी 2020 को परिसर की आधारशिला रखी गई है. इसके निर्माण पर 400 करोड़ आवंटित किया गया है. सरकार का लक्ष्य इसे विश्व स्तरीय संस्थान के रूप में विकसित करना है. भारत के अलावा शार्क व पड़ोसी देशों के अधिकारी और कर्मियों को प्रशिक्षित किया जायेगा. परिसर को परमाणु और जैविक खतरों से निपने के लिए प्रशिक्षण स्थल के रूप में तैयार किया जायेगा. 2025 तक परिसर पूरी तरह से तैयार होने की उम्मीद है.

एनडीआरएफ के प्रोत्साहन के लिए विभिन्न पुरस्कार

  1. वीरता के लिए पुलिस पदक
  2. जीवन रक्षा पदक
  3. विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक
  4. सराहनीय सेवा के लिए पुलिस पदक
  5. जीवन बचाने के लिए प्रधान मंत्री पुलिस पदक
  6. अति उत्कृष्ट सेवा पदक
  7. उत्कृष्ट सेवा पदक
  8. केंद्रीय गृह मंत्री का विशेष परिचालन पदक

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हैदराबाद : भारत भौगोलिक रूप से विवधता वाला देश है. एक ओर भारत में प्राकृतिक संसाधनों की भरमार है, वहीं दूसरी ओर प्राकृति व मानवीय गतिविधियों के कारण देश का अलग-अलग हिस्सा किसी न किसी आपदा से जूझ रहा होता है. भूकंप, बाढ़, भूस्खलन, अतिवृष्टि, आग, रेल-सड़क-वायु-जल मार्ग में होने वाले बड़े हादसों सहित अन्य आपदों का दायरा कई बार काफी व्यापक हो जाता है. जिला व राज्य स्तरीय एजेंसियों के पास उपलब्ध संसाधन, कर्मी या विशेषज्ञता की कमी के कारण संबंधित आपदा से निपटना संभव नहीं हो पाता है. ऐसी स्थिति में संबंधित राज्य/केंद्र शासित एजेंसियों के अनुरोध पर राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स-एनडीआरएफ) मौके पर पहुंचती है.

देश में अलग-अलग हिस्सों में होने वाली प्राकृतिक आपदों में बड़ी संख्या में लोग प्रभावित होते थे. संबंधित राज्य सरकारों की एजेंसियों व केंद्रीय सुरक्षा बलों की विशेषज्ञता संबंधित आपदों से निपटने में कई बार कम पड़ जाता था. इसी को ध्यान में रखकर तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 (The Disaster Management Act 2005) की धारा 44 के तहत एनडीआरएफ स्थापित किया गया. 19 जनवरी 2006 एनडीआरएफ अस्तित्व में आया. इसके बाद से हर साल हर साल इस डेट को एनडीआरएफ स्थापना दिवस मनाया जाता है.

16 बटालियन में 18000 कर्मी एनडीआरएफ में दे रहे हैं सेवाएं
स्थापना के समय में एनडीआरएफ की 8 बटालियनें थीं. आज के समय बटालियनों की संख्या 16 है. प्रत्येक बटालियन में 1149 कर्मी होते हैं. इस हिसाब से 18348 के करीब एनडीआरएफ की क्षमता है. इनमें ज्यादातर कर्मी बीएसएफ, सीआईएसएफ, सीआरपीएफ, आईटीबीपी, असम राइफल्स के जवान होते हैं. इन्हें एनडीआरएफ के लिए निशेष प्रशिक्षण दिया जाता है. हर बटालियन में 18 विशेषज्ञ और 45 बचाव दल के कर्मी अनिवार्य रूप से होते हैं. इनमें इंजीनियर, टेक्नीकल कर्मी, डॉग स्क्वायड और मेडिकल टीम के सदस्य होते हैं. एनडीआरएफ प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं से निपटने में सक्षम है. एनडीआएरएफ केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन होते हैं. एनडीआरएफ के प्रशासनिक प्रमुख डीजी एनडीआरएफ होते हैं. ज्यादातर भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी इस पद को संभालते हैं.

भारत से लेकर तुर्किये तक लाखों जिंदगियां बचा चुका है एनडीआरएफ
एनडीआरएफ के महानिदेशक अतुल करवाल के अनुसार लगातार बहुमूल्य मानव जीवन को बचा रहा है. उनके अनुसार बहुत ही कम समय में एनडीआरएफ 1.55 लाख से ज्यादा लोगों की जिंदगियों को बचा चुका है. भारत व अन्य देशों में विभिन्न अभियानों के दौरान एनडीआरएफ 7.88 लाख से ज्यादा लोगों को आपदाग्रस्त इलाके से सुरक्षित बाहर निकाल चुका है. 2011 में जापान में आये ट्रिपल डिजास्टर, 2015 में नेपाल में भूकंप और 2023 में तुर्किये में भूकंप में एनडीआरएफ के अभियानों को विश्व स्तर पर सराहा गया.

आपदा के प्रकार

प्राकृतिक आपदा

  1. चक्रवात
  2. सुनामी
  3. लू
  4. शीतलहर
  5. वज्रपात
  6. भूस्खसलन
  7. भूकंप
  8. बाढ़
  9. शहरी बाढ़

मानव निर्मित आपदा

  1. रासायनिक खतरा
  2. नाभिकीय खतरा
  3. जैविक खतरा

एनडीआरएफ की 16 बटालियन हैं. ये बटालिन 15 राज्यों में स्थित हैं. आपदा के समय बेहतर समन्वय के लिए बटालियनों का कार्यक्षेत्र निर्धारित है. बटालियनों के पास संबंधित क्षेत्र में संभावित आपदाओं के अनुरूप उपकरणों से लैस किया गया है.

  1. असम
  2. पंजाब
  3. बिहार
  4. महाराष्ट्र
  5. गुजरात
  6. ओडिशा
  7. तमिलनाडु
  8. उत्तराखंड
  9. आंध्र प्रदेश
  10. उत्तर प्रदेश
  11. पश्चिम बंगाल
  12. हिमाचल प्रदेश
  13. अरुणाचल प्रदेश
  14. दिल्ली एनसीआर
  15. जम्मू और कश्मीर

आपदा के बाद महामारी का खतरा
आपदा से निपटने के लिए इसके बारे में सही जानकारी जरूरी है. इस काम में एनडीआरएफ बेहतर तरीके से काम कर है. बता दें की आपदा से बचाव के लिए तीन स्तरीय तैयारी जरूरी है. पहला, संभावित आपदा से निपटने के लिए पूर्व में तैयारी जरूरी है. वहीं पूर्व की तैयारी के आधार पर आपदा के दौरान प्रभावित इलाका में पहुंच कर लोगों को राहत पहुंचाना जरूरी है. वहीं आपदा के प्रभावित लोगों तक भोजन-पानी और चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना जरूरी है. वहीं आपदा के दौरान मृत लोगों के शवों का निपटारा समय करना सबसे बड़ी चुनौती होती है. इसमें थोड़ी सी चुक महामारी का कारण बन सकता है.

नागपुर में बन रहा अंतरराष्ट्रीय स्तर का एनडीआरएफ एकेडमी
महाराष्ट्र के नागपुर में राष्ट्रीय आपदा अनुक्रिया बल अकादमी, नागपुर (NDRF Academy Nagpur) में बनाया जा रहा है. 2 जनवरी 2020 को परिसर की आधारशिला रखी गई है. इसके निर्माण पर 400 करोड़ आवंटित किया गया है. सरकार का लक्ष्य इसे विश्व स्तरीय संस्थान के रूप में विकसित करना है. भारत के अलावा शार्क व पड़ोसी देशों के अधिकारी और कर्मियों को प्रशिक्षित किया जायेगा. परिसर को परमाणु और जैविक खतरों से निपने के लिए प्रशिक्षण स्थल के रूप में तैयार किया जायेगा. 2025 तक परिसर पूरी तरह से तैयार होने की उम्मीद है.

एनडीआरएफ के प्रोत्साहन के लिए विभिन्न पुरस्कार

  1. वीरता के लिए पुलिस पदक
  2. जीवन रक्षा पदक
  3. विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक
  4. सराहनीय सेवा के लिए पुलिस पदक
  5. जीवन बचाने के लिए प्रधान मंत्री पुलिस पदक
  6. अति उत्कृष्ट सेवा पदक
  7. उत्कृष्ट सेवा पदक
  8. केंद्रीय गृह मंत्री का विशेष परिचालन पदक

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Last Updated : Jan 19, 2024, 11:50 AM IST
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