तूतीकोरिन: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Union Minister Nirmala Sitharaman) ने शनिवार को जिले के आदिचनल्लूर में एक पुरातत्व संग्रहालय की आधारशिला रखी. इसके बाद मीडिया को संबोधित करते मणिपुर हिंसा को लेकर संसद में विपक्ष के रुख पर निशाना साधा.
निर्मला सीतारमण ने कहा कि 'मणिपुर में पहली बार दंगे नहीं हो रहे हैं, 2013 में भी मणिपुर में ऐसा ही दंगा हुआ था. उस वक्त गांवों को दवाइयां तक नहीं मिलती थीं. तब केंद्रीय गृह मंत्री वहां नहीं गए थे. लेकिन अब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तीन दिन तक वहां रुके और मणिपुर के हालात की समीक्षा की. उसके आधार पर वहां क्या हो रहा है, गृह मंत्री इस पर बात करने को तैयार हैं. लेकिन विपक्ष का कहना है कि प्रधानमंत्री को बोलना चाहिए.' उन्होंने कहा, 'विपक्षी दलों ने वहां जाकर देखा है. यदि आप उन्हें इसके बारे में बताते हैं, तो वे इसके बारे में बात करने से इनकार कर देते हैं.'
आदिचनल्लूर में पुरातत्व संग्रहालय की आधारशिला रखी : इससे पहले केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जिले के आदिचनल्लूर में एक पुरातत्व संग्रहालय की आधारशिला रखी. आदिचनल्लूर उन पांच पुरातात्विक स्थलों में से एक है, जिसे केंद्रीय बजट 2020-21 में 'प्रतिष्ठित स्थलों' के रूप में विकसित करने की घोषणा की गई थी. यह तूतीकोरिन जिले के थमिराबरानी नदी के तट पर स्थित एक पुरातात्विक स्थल है.
वित्त मंत्री कार्यालय ने ट्वीट किया, 'संग्रहालय का मुख्य उद्देश्य थमिराबरानी घाटी के सांस्कृतिक परिदृश्य के हिस्से के रूप में पहचाने गए पुरातात्विक स्थलों के महत्व को स्थापित करना है.'
सीतारमण के साथ स्थानीय सांसद कनिमोई और अन्य लोग भी मौजूद थे. सीतारमण ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से किए एक अन्य ट्वीट में बताया कि इस संग्रहालय में उक्त स्थान से प्राप्त कलाकृतियों और पुरातत्व महत्व के सामान और इतिहास को प्रदर्शित किया जाएगा.
उन्होंने बताया कि संग्रहालय में विथिका, ऑडियो-विजुअल हाल, स्मृति चिह्न की दुकान और कैफेटेरिया भी होगा. विकास परियोजना के तहत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) तिरुचिरापल्ली परिक्षेत्र नए सिरे से पुरातत्व स्थल की खुदाई और खोज का काम करेगा.
सीतारमण के कार्यालय ने बताया, 'आदिचनल्लूर में कुंभ दाह संस्कार पद्धति की खोज सबसे पहले बर्लिन संग्रहालय के डॉ.जगोर ने 1876 में की थी. 1910 में अंग्रेज एलेक्सजेंडर रिया ने बड़ी संख्या में कलश की खोज की थी और साथ ही तांबे की वस्तुओं के साथ-साथ स्वर्ण राजचिह्न हासिल किए थे.' आदिचनल्लूर में दोबारा खुदाई 2003-04 और 2004-05 में हुई.
बयान में कहा गया, 'आदिचनल्लूर से 2004 में प्राप्त वस्तुओं की कार्बन डेटिंग पद्धति से जांच की गई जिससे पता चला कि वे एक हजार ईसा पूर्व से 600 ईसा पूर्व के बीच का है. 2005 में 169 मृदभांड मिले जिनमें मान हड्डियां थी और वे कम से कम 3800 साल पुरानी थी. आचिनल्लूर में 10 अक्टूबर 2021 को एक बार फिर पुरातत्व खुदाई की शुरुआत की गई.'
समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने पर ध्यान : इस बीच, आधिकारिक बयान में कहा गया कि सीतारमण ने कहा कि है कि सरकार भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है और इसी कड़ी में सरकार लगातार विदेश ले जाई गई आदिचनल्लूर की कलाकृतियों को वापस लाने का प्रयास कर रही है और मुख्य रूप से जर्मनी के बर्लिन में मौजूद कलाकृतियों को वापस लाने पर जोर है.
विज्ञप्ति में कहा गया कि अब तक सरकार के प्रयासों से 350 से अधिक प्राचीन कलाकृतियां और ऐतिहासिक महत्व की वस्तुएं भारत वापस लाई जा चुकी हैं. उन्होंने वर्तमान और भावी पीढ़ियों के लिए भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का सम्मान, संरक्षण और प्रदर्शन करने के लिए केंद्र द्वारा किए गए विभिन्न व्यापक प्रयासों पर भी प्रकाश डाला.
विज्ञप्ति में कहा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, सोमनाथ, काशी विश्वनाथ मंदिर सहित कई विरासत स्थलों का पुनरुद्धार किया गया है. उन्होंने कहा कि 3.4 करोड़ पृष्ठों वाली 3.3 लाख से अधिक पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण किया गया है.
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(एक्स्ट्रा इनपुट एजेंसी)