नई दिल्ली : भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) देश में नकली भारतीय मुद्रा नोट (FICN) को बढ़ाने की पाकिस्तान की इंटर सर्विस इंटेलिजेंस (आईएसआई) की साजिश से निपटने के लिए बांग्लादेश में सुरक्षा एजेंसियों के साथ समन्वय कर रही है. दरअसल भारत की प्रमुख आतंकवाद विरोधी एजेंसी की जांच में पता चला है कि आईएसआई समर्थित सिंडीकेट भारत में एफआईसीएन को बढ़ावा देने के लिए बांग्लादेश के रास्ते का इस्तेमाल कर रहे हैं.
एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को नई दिल्ली में 'ईटीवी भारत' को बताया कि इस अवैध धंधे में शामिल लोगों ने असम, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश को भी केंद्र बिंदु बनाया है, जहां से वे विभिन्न राज्यों में FICN पहुंचा रहे हैं. शुक्रवार को लखनऊ की NIA की विशेष अदालत ने FICN रैकेट में शामिल दो लोगों को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई है.
अब्दुल सलाम और जियाउल हक नाम के दो व्यक्तियों को उनकी संलिप्तता के लिए दोषी ठहराया गया. 2018 में उत्तर प्रदेश सरकार के विशेष कार्य बल ने हसनगंज से 4,60,000 रुपये का FICN जब्त किया था. इससे पहले गुरुवार को छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में एनआईए की विशेष अदालत ने भी सात लोगों को एफआईसीएन कारोबार में शामिल होने के लिए दोषी ठहराया और सजा सुनाई.
2019 में छत्तीसगढ़ में आरोपी व्यक्ति से 7,39,000 रुपये की नकली भारतीय मुद्रा, स्टांप पेपर और अन्य सामग्री बरामद की गई थी. हाल ही में NIA ने FICN रैकेट चलाने के संबंध में पश्चिम बंगाल-गोलाबगंज और सुल्तानगंज में दो स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया था. यह मामला दो व्यक्तियों के कब्जे से 3,46,000 रुपये अंकित मूल्य के एफआईसीएन की बरामदगी से संबंधित था. अधिकारी ने कहा, 'आरोपियों से पूछताछ में पता चला है कि एफआईसीएन कारोबार से जुड़ा सिंडिकेट भारत-बांग्लादेश सीमा का इस्तेमाल नकली भारतीय मुद्रा को भारत में लाने के लिए करता है.'
जांच में पता चला कि आईएसआई के अलावा, कुछ अंतरराष्ट्रीय आपराधिक गिरोह भी भारत में एफआईसीएन की तस्करी में शामिल हैं. बांग्लादेश में अधिकारियों ने पिछले साल नवंबर में दो बांग्लादेशी नागरिकों फातिमा अख्तर और शेख मोहम्मद अबू तालाब को एफआईसीएन की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया था. तलाशी अभियान के दौरान सुरक्षा एजेंसियों ने 7.35 करोड़ रुपये की बड़ी मात्रा में जाली नोट भी बरामद किया.
FICN की तस्करी के लिए सिंडिकेट का मार्ग: आईएसआई और उससे संबद्ध एजेंसियां, FICN को पाकिस्तान में छापने के बाद भारत में पहुंचाती हैं. सिंडिकेट बांग्लादेश और नेपाल सीमा के साथ ही दुबई, बैंकॉक, हांगकांग और कोलंबो को जोड़ने वाले कुछ अन्य मार्गों के माध्यम से ऐसी नकली मुद्रा को पहुंचा रही हैं. नकली भारतीय मुद्रा का प्रचलन भारतीय अधिकारियों के लिए चिंता का प्रमुख कारण बन गया है. 2016 की विमुद्रीकरण (नोटबंदी) प्रक्रिया का उद्देश्य भारतीय बाजार में काले धन को खत्म करना और FICN रैकेट को ध्वस्त करना था.
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 2021-22 के दौरान, बैंकिंग क्षेत्र में पाए गए कुल FICN में से 6.9 प्रतिशत RBI में और 93.1 प्रतिशत अन्य बैंकों में पाए गए. रिपोर्ट के अनुसार, नकली नोटों में पिछले वर्ष की तुलना में 2021-22 में 10.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है. 500 रुपये के नकली नोट में 102 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
पढ़ें- एसटीएफ ने नकली नोट बनाने वाले बाप-बेटे को दबोचा
पढ़ें- मुंबई में सात करोड़ रुपये मूल्य के नकली नोट बरामद, सात गिरफ्तार