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इस उपकरण से कर सकते हैं सिलेंडर से मेडिकल ऑक्सीजन के प्रवाह को नियंत्रित - flow of medical oxygen from the cylinder

आईआईटी-रोपड़ ने सिलेंडर से मेडिकल ऑक्सीजन के प्रवाह को नियंत्रित करने वाला उपकरण बनाया है. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Jul 20, 2021, 7:54 PM IST

चंडीगढ़ : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), रोपड़ के अनुसंधानकर्ताओं ने अपनी तरह का पहला ऐसा उपकरण विकसित किया है, जो मरीज के सांस लेने के दौरान सिलेंडर से मेडिकल ऑक्सीजन के प्रवाह को नियंत्रित कर सकता है.

संस्थान ने मंगलवार को एक बयान में कहा, यह उपकरण सांस लेने के दौरान मरीज को जरूरी मात्रा में ऑक्सीजन की आपूर्ति करता है और जब मरीज सांस छोड़ता है तब यह रूक जाता है, जिससे उस वक्त ऑक्सीजन (का प्रवाह) बच जाती है.

आईआइटी रोपड़ में बायोमेडिकल इंजीनियरिंग विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ आशीष साहनी ने कहा कि एमलेक्स (एएमएलईएक्स) एक ऐसी प्रणाली है जिसे खासतौर पर ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए विकसित किया गया है. यह मरीज के सांस लेने और छोड़ते समय ऑक्सीजन के प्रवाह को उसी अनुरूप रखता है. इससे बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन बचती है.

पढ़ें :- वैज्ञानिकों ने बनाया खास कार्बनिक पदार्थ, उपकरण खुद कर सकेंगे अपनी मरम्मत

बयान में कहा गया है, जैसा कि हमने देखा कि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान मेडिकल ऑक्सीजन की मांग कई गुना बढ़ गई थी, ऐसे में यह उपकरण अवांछित बर्बादी को रोकने में मदद करेगा.

आईआईटी रोपड़ के निदेशक राजीव आहूजा ने कहा कि यह उपकरण बैटरी और बिजली, दोनों से संचालित हो सकता है.

(पीटीआई-भाषा)

चंडीगढ़ : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), रोपड़ के अनुसंधानकर्ताओं ने अपनी तरह का पहला ऐसा उपकरण विकसित किया है, जो मरीज के सांस लेने के दौरान सिलेंडर से मेडिकल ऑक्सीजन के प्रवाह को नियंत्रित कर सकता है.

संस्थान ने मंगलवार को एक बयान में कहा, यह उपकरण सांस लेने के दौरान मरीज को जरूरी मात्रा में ऑक्सीजन की आपूर्ति करता है और जब मरीज सांस छोड़ता है तब यह रूक जाता है, जिससे उस वक्त ऑक्सीजन (का प्रवाह) बच जाती है.

आईआइटी रोपड़ में बायोमेडिकल इंजीनियरिंग विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ आशीष साहनी ने कहा कि एमलेक्स (एएमएलईएक्स) एक ऐसी प्रणाली है जिसे खासतौर पर ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए विकसित किया गया है. यह मरीज के सांस लेने और छोड़ते समय ऑक्सीजन के प्रवाह को उसी अनुरूप रखता है. इससे बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन बचती है.

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बयान में कहा गया है, जैसा कि हमने देखा कि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान मेडिकल ऑक्सीजन की मांग कई गुना बढ़ गई थी, ऐसे में यह उपकरण अवांछित बर्बादी को रोकने में मदद करेगा.

आईआईटी रोपड़ के निदेशक राजीव आहूजा ने कहा कि यह उपकरण बैटरी और बिजली, दोनों से संचालित हो सकता है.

(पीटीआई-भाषा)

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