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Hyderabad Liberation Day : हैदराबाद लिबरेशन डे आज, जानें ऑपरेशन पोलो के बाद कैसे और क्या कुछ हुआ बदलाव

आज हैदराबाद मुक्ति दिवस (Hyderabad Liberation Day Today) है. हैदराबाद देश के इतिहास में प्रमुख स्थान रखता है. ऑपरेशन पोलो (Operation Polo) ने हैदराबाद के इतिहास (History of Hyderabad) में महत्वपूर्ण भूमिक निभाई थी. पढ़ें पूरी खबर..

Hyderabad Liberation Day Today
हैदराबाद मुक्ति दिवस
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 17, 2023, 2:10 AM IST

Updated : Oct 15, 2023, 10:16 AM IST

हैदरबाद : आज हैदराबाद मुक्ति दिवस है, जिसे हैदराबाद लिबरेशन डे के नाम से भी जाना जाता है. यह इतिहास की एक अकेली घटना है, जिसपर अलग-अलग राजनीतिक दृष्टिकोण से टारगेट कर समानांतर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. 17 सितंबर को केंद्र सरकार की ओर से 'हैदराबाद मुक्ति दिवस' और तेलंगाना सरकार की ओर से 'राष्ट्रीय एकता दिवस' के रूप में मनाया जा रहा है. अगले साल विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर भाजपा और तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) तेलंगाना के मतदाताओं को लुभाने के अपने प्रयासों में संवेदनाएं जगाने के लिए प्रतिस्पर्धा कर रही हैं. वहीं कांग्रेस की ओर 16-17 सितंबर को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक भी हैदराबाद में हो रही है. 17 सितंबर को बैठक के समापन के बाद पार्टी के बड़े नेता एक रैली को भी संबोधित करेंगे. अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, इसे ध्यान में रखकर यहां की राजनीति में दखल रखने वाली प्रमुख पार्टियां वोटरों को साधने के प्रयास में हैं.

  • Without India's Iron Man Sardar Vallabhbhai Patel Ji, the annexation of the vast Telangana, Kalyan Karnataka, and Marathwada region would have remained a mirage for a long time.

    On the occasion of Hyderabad Liberation Day, I paid floral tribute to the great son of Mother India. pic.twitter.com/0UwNyPf7Fv

    — Amit Shah (@AmitShah) September 17, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">
  • On Hyderabad Liberation Day, I extend my heartfelt best wishes to the people of Telangana, Hyderabad-Karnataka & Marathwada region.

    This day marks the unwavering patriotism of the people of Hyderabad and commemorates their unyielding struggle to set themselves free from the… pic.twitter.com/DmY8ZQLqeQ

    — Amit Shah (@AmitShah) September 17, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

हैदराबाद का भारत में विलय
17 सितंबर 1948 को हैदराबाद के निजाम मीर उस्मान अली खान (आसफ जाही राजवंश की सातवीं पीढ़ी) ने भारतीय सेना की कार्रवाई के बाद आत्मसमर्पण कर दिया था, जिसे 'ऑपरेशन पोलो' के नाम से जाना जाता है. आमतौर पर यह माना जाता है कि यही वह दिन था जब हैदराबाद भारतीय संघ का हिस्सा बना. लेकिन यह बिलकुल गलत है. हैदराबाद का भारत में विलय 26 जनवरी, 1950 को हुआ जब निजाम को हैदराबाद राज्य का 'राजप्रमुख' (Rajpramukh of Hyderabad State) बनाया गया.

  • Commemorating 'Hyderabad Liberation Day', Union Home Minister and Minister of Cooperation Sh. Amit Shah, accompanied by DG #CRPF, inspected the parade featuring CRPF & CISF and also addressed the gathering in the presence of other dignitaries. pic.twitter.com/3i7b2IL7r0

    — 🇮🇳CRPF🇮🇳 (@crpfindia) September 17, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">
  • VIDEO | "Patriotic leaders like KM Munshi and Sardar Patel were responsible for the liberation of Hyderabad," says Union Home minister @AmitShah on Hyderabad Liberation Day. pic.twitter.com/lYzmL9iHwl

    — Press Trust of India (@PTI_News) September 17, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

ऐतिहासिक अभिलेख क्या कहते हैं

  • ऑपरेशन पोलो : हैदराबाद के खिलाफ पुलिस कार्रवाई 1948 (पहला खंड), एसएन प्रसाद की ओर से लिखित संभवतः उस समय दक्कन में हुई उथल-पुथल का सबसे प्रामाणिक संदर्भ है. यह केंद्रीय रक्षा मंत्रालय के ऐतिहासिक प्रभाग द्वारा तैयार किया गया. इसमें बताया गया है कि हैदराबाद के निजाम भारत के साथ सम्मानजनक समझौता करने के लिए उत्सुक थे. 23 सितंबर 1948 को, 'हैदराबाद की स्थिति के सच्चे तथ्य' (The True Facts Of The Hyderabad Situation) में ऑपरेशन पोलो के बारे में विस्तार से जानकारी शामिल किया गया है.
  • ऑपरेशन पोलो में मरने वालों की संख्या क्या थी : आपरेशन पोलो के दौरान 42 भारतीय सेनिकों की मौत हुई थी. 97 घायल हुए और 24 लापता हुए थे. वहीं हैदराबाद सेना (निजाम की सेना) की तरफ से 490 लोग मारे गए और 122 घायल हुए थे. इसके अलावा, 2727 रजाकार (भाड़े के लड़ाके) मारे गए. इसके अलाव 102 रजाकार घायल हुए और 3364 पकड़े गए थे. इतिहासकारों का कहना है कि धर्म या पंथ की परवाह किए बिना नागरिक आबादी के प्रति भारतीय बलों के अनुकरणीय व्यवहार के साथ अप्रतिरोध्य प्रगति ने शुरुआत में ही गुरिल्ला प्रतिरोध को खत्म कर दिया और लंबे समय तक चलने वाले प्रतिरोध को रोक दिया.
Hyderabad Liberation Day
ऑपरेशन पोलो का एक दृश्य (फाइल फोटो)
  • ऑपरेशन पोलो का अंत कैसे हुआ : 18 अक्टूबर, 1948 को मेजर जनरल जे.एन. भारतीय सेना के चौधरी को हैदराबाद राज्य का सैन्य गवर्नर नियुक्त किया गया. हालांकि वह सशस्त्र बलों और पुलिस के प्रभारी थे, लेकिन उनके पास अन्य विभागों पर अत्यधिक अधिकार थे. बता दें कि यह नाम के लिए एक सैन्य सरकार थी, लेकिन इसने नागरिक सरकार के तरीके से कार्य किया. इतिहासकारों के अनुसार हैदराबाद राज्य में मार्शल लॉ कभी लागू नहीं किया गया था.
Hyderabad Liberation Day
हैदराबाद लिबरेशन डे (फाइल फोटो)
  • नागरिक प्रशासन की शुरूआत में क्या शामिल था : 29-30 अक्टूबर 1948 को सरदार वल्लभभाई पटेल; वीपी मेनन, भारत सरकार के राज्य मंत्रालय में राजनीतिक सलाहकार; और मेजर जनरल चौधरी ने मुंबई में मुलाकात की और हैदराबाद में लोकतांत्रिक संस्थानों को शीघ्रता से स्थापित करने का निर्णय लिया. इस दौरान राज्य को भारतीय संघ में पूर्ण विलय के उपायों पर सहमति बनी. हालांकि निजाम ने विलय पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए थे, लेकिन उनके द्वारा भारतीय संविधान को स्वीकार करना विलय के बराबर माना गया था. इस तरह हैदराबाद भारतीय संघ में शामिल हो गया.
Hyderabad Liberation Day
भारत के तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल (फाइल फोटो)
  • हैदराबाद के पहले सीएम बने से मुल्लाथ कडिंगी वेलोडी : राज्य मंत्रालय में सचिव मुल्लाथ कडिंगी वेलोडी (वेलोडी) को 1 दिसंबर 1949 से मेजर जनरल चौधरी के उत्तराधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया था. बदले में निजाम ने सैन्य प्रशासन को समाप्त करते हुए राज्यमंत्री मुल्लाथ कडिंगी वेलोडी को हैदराबाद का मुख्यमंत्री (M K Vellodi) बना दिया. 26 जनवरी 1950 को भारत गणराज्य के गणराज्य बनने पर - निजाम ने हैदराबाद राज्य के राजप्रमुख के रूप में शपथ ली, और आम चुनावों के बाद 23 मार्च 1951 को उनके द्वारा पहली विधान सभा खोली गई.

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हैदरबाद : आज हैदराबाद मुक्ति दिवस है, जिसे हैदराबाद लिबरेशन डे के नाम से भी जाना जाता है. यह इतिहास की एक अकेली घटना है, जिसपर अलग-अलग राजनीतिक दृष्टिकोण से टारगेट कर समानांतर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. 17 सितंबर को केंद्र सरकार की ओर से 'हैदराबाद मुक्ति दिवस' और तेलंगाना सरकार की ओर से 'राष्ट्रीय एकता दिवस' के रूप में मनाया जा रहा है. अगले साल विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर भाजपा और तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) तेलंगाना के मतदाताओं को लुभाने के अपने प्रयासों में संवेदनाएं जगाने के लिए प्रतिस्पर्धा कर रही हैं. वहीं कांग्रेस की ओर 16-17 सितंबर को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक भी हैदराबाद में हो रही है. 17 सितंबर को बैठक के समापन के बाद पार्टी के बड़े नेता एक रैली को भी संबोधित करेंगे. अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, इसे ध्यान में रखकर यहां की राजनीति में दखल रखने वाली प्रमुख पार्टियां वोटरों को साधने के प्रयास में हैं.

  • Without India's Iron Man Sardar Vallabhbhai Patel Ji, the annexation of the vast Telangana, Kalyan Karnataka, and Marathwada region would have remained a mirage for a long time.

    On the occasion of Hyderabad Liberation Day, I paid floral tribute to the great son of Mother India. pic.twitter.com/0UwNyPf7Fv

    — Amit Shah (@AmitShah) September 17, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">
  • On Hyderabad Liberation Day, I extend my heartfelt best wishes to the people of Telangana, Hyderabad-Karnataka & Marathwada region.

    This day marks the unwavering patriotism of the people of Hyderabad and commemorates their unyielding struggle to set themselves free from the… pic.twitter.com/DmY8ZQLqeQ

    — Amit Shah (@AmitShah) September 17, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

हैदराबाद का भारत में विलय
17 सितंबर 1948 को हैदराबाद के निजाम मीर उस्मान अली खान (आसफ जाही राजवंश की सातवीं पीढ़ी) ने भारतीय सेना की कार्रवाई के बाद आत्मसमर्पण कर दिया था, जिसे 'ऑपरेशन पोलो' के नाम से जाना जाता है. आमतौर पर यह माना जाता है कि यही वह दिन था जब हैदराबाद भारतीय संघ का हिस्सा बना. लेकिन यह बिलकुल गलत है. हैदराबाद का भारत में विलय 26 जनवरी, 1950 को हुआ जब निजाम को हैदराबाद राज्य का 'राजप्रमुख' (Rajpramukh of Hyderabad State) बनाया गया.

  • Commemorating 'Hyderabad Liberation Day', Union Home Minister and Minister of Cooperation Sh. Amit Shah, accompanied by DG #CRPF, inspected the parade featuring CRPF & CISF and also addressed the gathering in the presence of other dignitaries. pic.twitter.com/3i7b2IL7r0

    — 🇮🇳CRPF🇮🇳 (@crpfindia) September 17, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">
  • VIDEO | "Patriotic leaders like KM Munshi and Sardar Patel were responsible for the liberation of Hyderabad," says Union Home minister @AmitShah on Hyderabad Liberation Day. pic.twitter.com/lYzmL9iHwl

    — Press Trust of India (@PTI_News) September 17, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

ऐतिहासिक अभिलेख क्या कहते हैं

  • ऑपरेशन पोलो : हैदराबाद के खिलाफ पुलिस कार्रवाई 1948 (पहला खंड), एसएन प्रसाद की ओर से लिखित संभवतः उस समय दक्कन में हुई उथल-पुथल का सबसे प्रामाणिक संदर्भ है. यह केंद्रीय रक्षा मंत्रालय के ऐतिहासिक प्रभाग द्वारा तैयार किया गया. इसमें बताया गया है कि हैदराबाद के निजाम भारत के साथ सम्मानजनक समझौता करने के लिए उत्सुक थे. 23 सितंबर 1948 को, 'हैदराबाद की स्थिति के सच्चे तथ्य' (The True Facts Of The Hyderabad Situation) में ऑपरेशन पोलो के बारे में विस्तार से जानकारी शामिल किया गया है.
  • ऑपरेशन पोलो में मरने वालों की संख्या क्या थी : आपरेशन पोलो के दौरान 42 भारतीय सेनिकों की मौत हुई थी. 97 घायल हुए और 24 लापता हुए थे. वहीं हैदराबाद सेना (निजाम की सेना) की तरफ से 490 लोग मारे गए और 122 घायल हुए थे. इसके अलावा, 2727 रजाकार (भाड़े के लड़ाके) मारे गए. इसके अलाव 102 रजाकार घायल हुए और 3364 पकड़े गए थे. इतिहासकारों का कहना है कि धर्म या पंथ की परवाह किए बिना नागरिक आबादी के प्रति भारतीय बलों के अनुकरणीय व्यवहार के साथ अप्रतिरोध्य प्रगति ने शुरुआत में ही गुरिल्ला प्रतिरोध को खत्म कर दिया और लंबे समय तक चलने वाले प्रतिरोध को रोक दिया.
Hyderabad Liberation Day
ऑपरेशन पोलो का एक दृश्य (फाइल फोटो)
  • ऑपरेशन पोलो का अंत कैसे हुआ : 18 अक्टूबर, 1948 को मेजर जनरल जे.एन. भारतीय सेना के चौधरी को हैदराबाद राज्य का सैन्य गवर्नर नियुक्त किया गया. हालांकि वह सशस्त्र बलों और पुलिस के प्रभारी थे, लेकिन उनके पास अन्य विभागों पर अत्यधिक अधिकार थे. बता दें कि यह नाम के लिए एक सैन्य सरकार थी, लेकिन इसने नागरिक सरकार के तरीके से कार्य किया. इतिहासकारों के अनुसार हैदराबाद राज्य में मार्शल लॉ कभी लागू नहीं किया गया था.
Hyderabad Liberation Day
हैदराबाद लिबरेशन डे (फाइल फोटो)
  • नागरिक प्रशासन की शुरूआत में क्या शामिल था : 29-30 अक्टूबर 1948 को सरदार वल्लभभाई पटेल; वीपी मेनन, भारत सरकार के राज्य मंत्रालय में राजनीतिक सलाहकार; और मेजर जनरल चौधरी ने मुंबई में मुलाकात की और हैदराबाद में लोकतांत्रिक संस्थानों को शीघ्रता से स्थापित करने का निर्णय लिया. इस दौरान राज्य को भारतीय संघ में पूर्ण विलय के उपायों पर सहमति बनी. हालांकि निजाम ने विलय पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए थे, लेकिन उनके द्वारा भारतीय संविधान को स्वीकार करना विलय के बराबर माना गया था. इस तरह हैदराबाद भारतीय संघ में शामिल हो गया.
Hyderabad Liberation Day
भारत के तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल (फाइल फोटो)
  • हैदराबाद के पहले सीएम बने से मुल्लाथ कडिंगी वेलोडी : राज्य मंत्रालय में सचिव मुल्लाथ कडिंगी वेलोडी (वेलोडी) को 1 दिसंबर 1949 से मेजर जनरल चौधरी के उत्तराधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया था. बदले में निजाम ने सैन्य प्रशासन को समाप्त करते हुए राज्यमंत्री मुल्लाथ कडिंगी वेलोडी को हैदराबाद का मुख्यमंत्री (M K Vellodi) बना दिया. 26 जनवरी 1950 को भारत गणराज्य के गणराज्य बनने पर - निजाम ने हैदराबाद राज्य के राजप्रमुख के रूप में शपथ ली, और आम चुनावों के बाद 23 मार्च 1951 को उनके द्वारा पहली विधान सभा खोली गई.

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Last Updated : Oct 15, 2023, 10:16 AM IST
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