नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) ने गुरुवार को कहा कि आपदा प्रबंधन संबंधित सामग्री और प्रशिक्षण मॉड्यूल स्थानीय भाषाओं में भी तैयार किया जाना चाहिए. आपदा के बारे में जानकारी सही ढंग से देनी चाहिए और इसके लिए भी हमें पेशेवर विशेषज्ञता की आवश्यकता है. आपदा प्रबंधन में शामिल एजेंसियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आपदाओं के लिए जारी अलर्ट देश में दूरस्थ पंचायत तक समय पर पहुंच जाए और कई संगठन जैसे एनसीसी, महिला समूहों तथा होमगार्ड्स को इस काम का जिम्मा देना चाहिए.
उन्होंने संघीय एजेंसी राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) को ऐसी आपात स्थितियों के लिए प्रशिक्षण प्रदान करने एवं अभियान संचालित करने को कहा. उन्होंने कहा कि एनडीआरएफ को इस संदर्भ में नेतृत्वकारी भूमिका निभानी चाहिए ताकि जब भी ऐसी कोई आपात स्थिति आए तो प्रशिक्षित कर्मी, पेशेवर बचावकर्ताओं के घटनास्थल पर पहुंचने तक उस अंतराल के दौरान काम कर सकें.
शाह ने यहां दो दिवसीय 'आपदा प्रतिक्रिया के लिए क्षमता निर्माण पर वार्षिक सम्मेलन 2022' के उद्घाटन के अवसर पर बोल रहे थे. एनडीआरएफ ने यह सम्मेलन आयोजित किया है जिसमें विभिन्न केंद्रीय और राज्य आपदा मोचन बल तथा अन्य संबंधित एजेंसियां भाग ले रही हैं. गृह मंत्री ने कहा कि एनडीआरएफ को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आसन्न आपदा के लिए जारी अलर्ट संबंधित स्थान, गांव और पंचायत तक समय पर पहुंचे. उन्होंने कहा कि बिजली गिरने के मामलों पर विशेष ध्यान देना चाहिए, जिसमें समय कम होता है और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि सटीक अलर्ट संबंधित गांव और उसके निवासियों तक पहुंचे. शाह ने कहा, 'हमने विभिन्न तरह की आपदाओं के लिए कई ऐप (मोबाइल एपलिकेशंस) बनाए हैं लेकिन एक ठोस तंत्र बनाया जाना चाहिए ताकि अलर्ट दूरस्थ स्थान पर भी समय पर पहुंच सकें.'
एनसीसी को भी जोड़ना होगा : उन्होंने कहा कि इसके लिए नेशनल कैडेट कोर (एनसीसी), राष्ट्रीय सेवा स्कीम (एनएसएस) के स्वयंसेवकों, होमगार्ड्स, महिला स्व: सहायता समूहों को आपदा प्रबंधन प्रोटोकॉल में शामिल किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन संबंधित सामग्री और प्रशिक्षण मॉड्यूल स्थानीय भाषाओं में भी तैयार किया जाना चाहिए. हमें पेशेवर विशेषज्ञता की आवश्यकता है. शाह ने कहा, 'इससे यह सुनिश्चित होगा कि दूरस्थ स्तर पर भी एक प्रशिक्षित कर्मी मौजूदा होगा, जहां आपदा आयी है और यह व्यक्ति एनडीआरएफ या राज्य आपदा मोचन बलों के पहुंचने तक उस अंतराल के दौरान काम करेगा.'
उन्होंने कहा कि एनडीआरएफ को अपने राज्य समकक्षों के साथ यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसा कोई गांव या शहर न रहे, जहां युवाओं को मूल आपदा बचाव और राहत कार्यों का प्रशिक्षण न मिल पाए. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत में आपदा प्रबंधन के संदर्भ में 2000 से लेकर 2022 के बीच का समय 'स्वर्ण काल' रहा है. उन्होंने कहा कि 1990 से पहले ऐसी कोई योजना नहीं थी कि आपदाओं के दौरान लोगों की जान कैसे बचाई जाए. उन्होंने कहा, 'पिछले 20 वर्षों में विभिन्न एजेंसियों के समन्वित काम से हम बेहतर तरीके से लोगों की जान बचा सकते हैं.' शाह ने कहा कि हमारी बेहतर योजना के कारण चक्रवात जैसी आपदाओं के दौरान जनहानि बहुत कम हुई है. गृह मंत्री ने किशनगढ़ (राजस्थान), बालासोर (ओडिशा) और बेंगलुरु (कर्नाटक) में एनडीआरएफ के तीन नवनिर्मित क्षेत्रीय प्रतिक्रिया केंद्र (आरसीसी) का उद्घाटन भी किया.
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