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इस शख्स की बदौलत मिली बीजेपी को असम में जीत

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Published : May 3, 2021, 4:51 PM IST

राज्य में बीजेपी की इस बड़ी जीत के नायक रहे हेमंत बिस्वा सरमा के राजनीतिक करियर पर डालते हैं एक नजर.

victory of nda in assam
असम विधानसभा चुनाव 2021 में भारतीय जनता पार्टी

हैदराबाद: असम विधानसभा चुनाव 2021 में भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर बाजी मार ली है. बीजेपी की इस जीत में सबसे ज्यादा चर्चित नाम हेमंत बिस्वा शर्मा का है. हेमंत ने साल 2015 में कांग्रेस से नाराज होकर बीजेपी का दामन थामा था. इसके बाद उन्होंने अगले ही साल 2016 में बीजेपी को उत्तरपूर्वी राज्य में विधानसभा चुनाव में पहली जीत का स्वाद चखाया. अब हेमंत का नाम राज्य के मुख्यमंत्री पद के लिए सामने आ रहा है. राज्य में बीजेपी की इस बड़ी जीत के नायक रहे हेमंत बिस्वा सरमा के राजनीतिक करियर पर डालते हैं एक नजर.

असम विधानसभा चुनाव में एक बार फिर बीजेपी के हाथ सत्ता लगी है. राज्य में यह दूसरी बार हुआ है जब कोई गैर-कांग्रेसी गठबंधन सरकार बनाने में कामयाब हुआ है. अब राज्य में नये मुख्यमंत्री के नाम का एलान बाकी है. इस रेस में वर्तमान मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल और हेमंत बिस्वा शर्मा का नााम शामिल है.

कानून के अच्छे जानकार हैं हेमंत

बता दें,1 फरवरी 1969 को जन्मे हेमंत बिस्वा सरमा ने गुवाहटी के कमरूप अकादमी स्कूल और कॉटन कॉलेज से पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने गुवाहटी हाई कोर्ट में लॉ की प्रेक्टिस की. पढ़ाई के दौरान 1991 से 1992 तक वह कॉटेन कॉलेज की स्टूडेंट यूनियन के जनरल सेक्रेट्री भी रहे. बता दें कि साल 1996 में ही उन्होंने कांग्रेस में पैर जमाने शुरू कर दिए थे.

2001 में शुरू की राजनीतिक पारी

धीरे-धीरे सरमा की मेहनत रंग लाई और उन्होंने साल 2001 में पहली बार कांग्रेस की ओर से विधानसभा चुनाव लड़ा और झलूकबरी विधानसभा सीट से जीत कर अपने आगे के रास्ते साफ कर दिए. इस सीट पर उन्होंने भृगु कुमार फुकन को हराया था. साल 2011 में राज्य में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली जीत का श्रेय भी हेमंत सरमा को जाता है. साल 2011 के चुनाव में कांग्रेस ने सरमा की बदौलत ही राज्य की 126 सीटों में से 79 सीटों पर जीत हासिल की थी।.

कांग्रेस से थी नाराजगी

सरमा राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के करीबी रहे हैं, लेकिन पार्टी में कद और सम्मान ने मिलने के चलते सरमा ने बीजेपी में जाने का मन बनाया. साल 2015 में सरमा ने बीजेपी ज्वॉइन कर पार्टी में राजनीतिक विकल्प तलाशने शुरू कर दिए. बीजेपी में उनके सात साल के योगदान ने आज उन्हें मुख्यमंत्री तक का चेहरा बना दिया है. कमाल की बात यह है कि सरमा की अगुवाई में बीजेपी ने राज्य में 76 सीटों पर जीत हासिल की.

कांग्रेस का तोड़ा घमंड

बीजेपी में शामिल होने के बाद से ही सरमा ने असम में साल 2016 के विधानसभा चुनाव के लिए कमर कस ली थी. 2016 के असम विधानसभा चुनाव में सरमा का सपना कांग्रेस का घमंड तोड़ने का था. सरमा का सपना सच हुआ और उन्होंने बीजेपी को पहली बार उत्तरी-पूर्वी राज्य से बड़ी जीत दिलाई. इधर, इस जीत से उत्तरी-पूर्वी राज्यों में बीजेपी की उम्मीदें भी बलवान होने लगी थी. बता दें, 2016 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट और असम गण परिषद के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. चुनाव में इस गठबंधन ने 86 सीटों पर जीत दर्ज की थी.

बीजेपी मे मिला बड़ा कद

इस जीत के साथ ही पार्टी में हेमंत बिस्वा सरमा का कद और भी बढ़ा हो गया, जिस सम्मान की उम्मीद वह कांग्रेस से कर रहे थे वो उन्हें बीजेपी के साथ जुड़कर मिल गया. बता दें, सर्बानंद सोनोवल की सरकार में हेमंत बिस्व सरमा को वित्त, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे मंत्रालय सौंपे गए. साथ ही उन्हें नॉर्थ ईस्ट डेवलेपमेंट एलायंस (NEDA) का संयोजक भी बनाया गया.

पढ़ें: असम में एनडीए के लिए काम कर गईं कल्याणकारी याेजनाएं

अपनी सीट पर बरकरार रखी जीत

उत्तरी-पूर्वी राज्यों में बीजेपी के विकास का श्रेय हेमंत के काम और उनकी राजनीतिक रणनीतियों को दिया जाता है. हेमंत की उत्तरी-पूर्वी राज्यों के लोगों और उनकी समस्याओं पर नजर साफ है और चुनावी अभियानों में हेमंत ने ऑल इंडिया यूनाटेड फ्रंट और कांग्रेस के गंठबंधन पर जमकर निशाना साधकर असम की जनता को अपने विश्वास में लिया. यही कारण है कि राज्य में बीजेपी को दूसरी बार सत्ता संभालने का मौका मिला. वहीं, सरमा ने इस बार के चुनाव में भी अपनी सीट झलुकबरी को अपने पाले में रखा. बता दें कि सरमा इस सीट से पहले ही चार बार चुनाव जीत दर्ज कर चुके हैं.

हैदराबाद: असम विधानसभा चुनाव 2021 में भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर बाजी मार ली है. बीजेपी की इस जीत में सबसे ज्यादा चर्चित नाम हेमंत बिस्वा शर्मा का है. हेमंत ने साल 2015 में कांग्रेस से नाराज होकर बीजेपी का दामन थामा था. इसके बाद उन्होंने अगले ही साल 2016 में बीजेपी को उत्तरपूर्वी राज्य में विधानसभा चुनाव में पहली जीत का स्वाद चखाया. अब हेमंत का नाम राज्य के मुख्यमंत्री पद के लिए सामने आ रहा है. राज्य में बीजेपी की इस बड़ी जीत के नायक रहे हेमंत बिस्वा सरमा के राजनीतिक करियर पर डालते हैं एक नजर.

असम विधानसभा चुनाव में एक बार फिर बीजेपी के हाथ सत्ता लगी है. राज्य में यह दूसरी बार हुआ है जब कोई गैर-कांग्रेसी गठबंधन सरकार बनाने में कामयाब हुआ है. अब राज्य में नये मुख्यमंत्री के नाम का एलान बाकी है. इस रेस में वर्तमान मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल और हेमंत बिस्वा शर्मा का नााम शामिल है.

कानून के अच्छे जानकार हैं हेमंत

बता दें,1 फरवरी 1969 को जन्मे हेमंत बिस्वा सरमा ने गुवाहटी के कमरूप अकादमी स्कूल और कॉटन कॉलेज से पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने गुवाहटी हाई कोर्ट में लॉ की प्रेक्टिस की. पढ़ाई के दौरान 1991 से 1992 तक वह कॉटेन कॉलेज की स्टूडेंट यूनियन के जनरल सेक्रेट्री भी रहे. बता दें कि साल 1996 में ही उन्होंने कांग्रेस में पैर जमाने शुरू कर दिए थे.

2001 में शुरू की राजनीतिक पारी

धीरे-धीरे सरमा की मेहनत रंग लाई और उन्होंने साल 2001 में पहली बार कांग्रेस की ओर से विधानसभा चुनाव लड़ा और झलूकबरी विधानसभा सीट से जीत कर अपने आगे के रास्ते साफ कर दिए. इस सीट पर उन्होंने भृगु कुमार फुकन को हराया था. साल 2011 में राज्य में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली जीत का श्रेय भी हेमंत सरमा को जाता है. साल 2011 के चुनाव में कांग्रेस ने सरमा की बदौलत ही राज्य की 126 सीटों में से 79 सीटों पर जीत हासिल की थी।.

कांग्रेस से थी नाराजगी

सरमा राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के करीबी रहे हैं, लेकिन पार्टी में कद और सम्मान ने मिलने के चलते सरमा ने बीजेपी में जाने का मन बनाया. साल 2015 में सरमा ने बीजेपी ज्वॉइन कर पार्टी में राजनीतिक विकल्प तलाशने शुरू कर दिए. बीजेपी में उनके सात साल के योगदान ने आज उन्हें मुख्यमंत्री तक का चेहरा बना दिया है. कमाल की बात यह है कि सरमा की अगुवाई में बीजेपी ने राज्य में 76 सीटों पर जीत हासिल की.

कांग्रेस का तोड़ा घमंड

बीजेपी में शामिल होने के बाद से ही सरमा ने असम में साल 2016 के विधानसभा चुनाव के लिए कमर कस ली थी. 2016 के असम विधानसभा चुनाव में सरमा का सपना कांग्रेस का घमंड तोड़ने का था. सरमा का सपना सच हुआ और उन्होंने बीजेपी को पहली बार उत्तरी-पूर्वी राज्य से बड़ी जीत दिलाई. इधर, इस जीत से उत्तरी-पूर्वी राज्यों में बीजेपी की उम्मीदें भी बलवान होने लगी थी. बता दें, 2016 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट और असम गण परिषद के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. चुनाव में इस गठबंधन ने 86 सीटों पर जीत दर्ज की थी.

बीजेपी मे मिला बड़ा कद

इस जीत के साथ ही पार्टी में हेमंत बिस्वा सरमा का कद और भी बढ़ा हो गया, जिस सम्मान की उम्मीद वह कांग्रेस से कर रहे थे वो उन्हें बीजेपी के साथ जुड़कर मिल गया. बता दें, सर्बानंद सोनोवल की सरकार में हेमंत बिस्व सरमा को वित्त, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे मंत्रालय सौंपे गए. साथ ही उन्हें नॉर्थ ईस्ट डेवलेपमेंट एलायंस (NEDA) का संयोजक भी बनाया गया.

पढ़ें: असम में एनडीए के लिए काम कर गईं कल्याणकारी याेजनाएं

अपनी सीट पर बरकरार रखी जीत

उत्तरी-पूर्वी राज्यों में बीजेपी के विकास का श्रेय हेमंत के काम और उनकी राजनीतिक रणनीतियों को दिया जाता है. हेमंत की उत्तरी-पूर्वी राज्यों के लोगों और उनकी समस्याओं पर नजर साफ है और चुनावी अभियानों में हेमंत ने ऑल इंडिया यूनाटेड फ्रंट और कांग्रेस के गंठबंधन पर जमकर निशाना साधकर असम की जनता को अपने विश्वास में लिया. यही कारण है कि राज्य में बीजेपी को दूसरी बार सत्ता संभालने का मौका मिला. वहीं, सरमा ने इस बार के चुनाव में भी अपनी सीट झलुकबरी को अपने पाले में रखा. बता दें कि सरमा इस सीट से पहले ही चार बार चुनाव जीत दर्ज कर चुके हैं.

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