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चारधाम यात्रा की एसओपी 21 जून तक अदालत में दाखिल करने का निर्देश

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Published : Jun 17, 2021, 6:41 AM IST

उत्तराखंड हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को चारधाम यात्रा के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) बनाकर उसे 21 जून तक अदालत में दाखिल करने का निर्देश दिया है. साथ ही 23 जून को मामले की सुनवाई की अगली तारीख पर मुख्य सचिव, स्वास्थ्य सचिव और अपर पर्यटन सचिव को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अदालत में पेश होने को कहा गया है.

उत्तराखंड हाई कोर्ट
उत्तराखंड हाई कोर्ट

नैनीताल : उत्तराखंड हाई कोर्ट ने बुधवार को राज्य सरकार की खिंचाई करते हुए उसे चारधाम यात्रा के संबंध में कुंभ की तरह ढिलाई न बरतने की सख्त हिदायत दी. एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को चारधाम यात्रा के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (Standard Operating Procedure) बनाकर उसे 21 जून तक अदालत में दाखिल करने का निर्देश दिया है.

साथ ही हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रघुवेंद्र सिंह चौहान और न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की खंडपीठ ने 23 जून को मामले की सुनवाई की अगली तारीख पर मुख्य सचिव, स्वास्थ्य सचिव और अपर पर्यटन सचिव को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अदालत में पेश होने को कहा है.

अदालत में पेश हुए पर्यटन सचिव दिलीप जावलकार द्वारा चारधाम के संबंध में दाखिल हलफनामे से असंतुष्ट खंडपीठ ने कहा कि सरकार ने केवल यह बताया है कि चारधाम यात्रा 22 जून तक के लिए प्रतिबंधित है लेकिन इसमें कोई स्पष्टता नहीं है कि उसके बाद चरणबद्ध तरीके से चारधाम यात्रा शुरू होगी या नहीं?

खंडपीठ ने कहा कि आखिरी क्षण में निर्णय लेने के दुष्परिणाम होते हैं और कुंभ के दौरान भी अंत समय में अधिसूचना जारी होने के कारण व्यवस्था के अनुपालन में कठिनाई आई थी.

अदालत ने कहा कि नीतिगत निर्णय लेना सरकार का काम है और अगर सरकार चारधाम यात्रा चरणबद्ध तरीके से शुरू करना चाहती है तो उसके लिए एसओपी और यात्रियों और स्थानीय निवासियों की सुरक्षा के लिए मेडिकल सुविधाएं होनी चाहिए. अदालत ने कहा कि इन व्यवस्थाओं पर समय से निर्णय होना चाहिए.

सभी श्रद्धालुओं को नियमों का पालन करना होगा
हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि चारधाम यात्रा पर आने वाले सभी श्रद्धालुओं को नियमों का पालन करना होगा और यह सरकार की जिम्मेदारी है इसलिए आखिरी क्षण में निर्णय करने की बजाय सरकार को समय-समय पर फैसले करने होंगे और व्यवस्थाओं को देखना होगा.

अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली और सच्चिदानंद डबराल की याचिका की सुनवाई के दौरान अदालत ने पर्यटन सचिव को फटकार लगाई और कहा कि चारधाम यात्रा कुंभ मेले की तरह नहीं होनी चाहिए. अदालत ने पाया कि कुंभ मेला शुरू होने से एक दिन पहले सरकार ने उसकी एसओपी जारी की थी और तैयारी न होने के कारण कोरोना मामलों में बढ़ोत्तरी हुई, जिससे राज्य की प्रतिष्ठा खराब हुई और प्रदेश में कोरोना का ग्राफ भी बढ़ा.

यह भी पढ़ें- रथयात्रा के दो दिन बाद 25 जुलाई को जनता के लिए खुलेगा जगन्नाथ मंदिर

अदालत ने सरकार से पूछा कि क्या इन क्षेत्रों के स्थानीय लोगों और व्यापारियों का टीकाकरण हो चुका है? चारधाम यात्रा की तैयारियों के निरीक्षण के दौरान मिली कमियों के साथ ही पर्यटन सचिव को यह सूचना देने को भी कहा गया है कि यात्रा के दौरान कितने पुलिसकर्मी तैनात किए जाएंगे? सचिव से चारधाम यात्रा के पैदल रास्ते को रोजाना सैनेटाइज करने पर विचार करने को भी कहा गया है.

सुनवाई के दौरान अदालत को सूचित किया गया कि 2020 में चारधामों के दर्शन के लिए 3,10,568 श्रद्धालु आए थे.

(पीटीआई-भाषा)

नैनीताल : उत्तराखंड हाई कोर्ट ने बुधवार को राज्य सरकार की खिंचाई करते हुए उसे चारधाम यात्रा के संबंध में कुंभ की तरह ढिलाई न बरतने की सख्त हिदायत दी. एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को चारधाम यात्रा के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (Standard Operating Procedure) बनाकर उसे 21 जून तक अदालत में दाखिल करने का निर्देश दिया है.

साथ ही हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रघुवेंद्र सिंह चौहान और न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की खंडपीठ ने 23 जून को मामले की सुनवाई की अगली तारीख पर मुख्य सचिव, स्वास्थ्य सचिव और अपर पर्यटन सचिव को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अदालत में पेश होने को कहा है.

अदालत में पेश हुए पर्यटन सचिव दिलीप जावलकार द्वारा चारधाम के संबंध में दाखिल हलफनामे से असंतुष्ट खंडपीठ ने कहा कि सरकार ने केवल यह बताया है कि चारधाम यात्रा 22 जून तक के लिए प्रतिबंधित है लेकिन इसमें कोई स्पष्टता नहीं है कि उसके बाद चरणबद्ध तरीके से चारधाम यात्रा शुरू होगी या नहीं?

खंडपीठ ने कहा कि आखिरी क्षण में निर्णय लेने के दुष्परिणाम होते हैं और कुंभ के दौरान भी अंत समय में अधिसूचना जारी होने के कारण व्यवस्था के अनुपालन में कठिनाई आई थी.

अदालत ने कहा कि नीतिगत निर्णय लेना सरकार का काम है और अगर सरकार चारधाम यात्रा चरणबद्ध तरीके से शुरू करना चाहती है तो उसके लिए एसओपी और यात्रियों और स्थानीय निवासियों की सुरक्षा के लिए मेडिकल सुविधाएं होनी चाहिए. अदालत ने कहा कि इन व्यवस्थाओं पर समय से निर्णय होना चाहिए.

सभी श्रद्धालुओं को नियमों का पालन करना होगा
हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि चारधाम यात्रा पर आने वाले सभी श्रद्धालुओं को नियमों का पालन करना होगा और यह सरकार की जिम्मेदारी है इसलिए आखिरी क्षण में निर्णय करने की बजाय सरकार को समय-समय पर फैसले करने होंगे और व्यवस्थाओं को देखना होगा.

अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली और सच्चिदानंद डबराल की याचिका की सुनवाई के दौरान अदालत ने पर्यटन सचिव को फटकार लगाई और कहा कि चारधाम यात्रा कुंभ मेले की तरह नहीं होनी चाहिए. अदालत ने पाया कि कुंभ मेला शुरू होने से एक दिन पहले सरकार ने उसकी एसओपी जारी की थी और तैयारी न होने के कारण कोरोना मामलों में बढ़ोत्तरी हुई, जिससे राज्य की प्रतिष्ठा खराब हुई और प्रदेश में कोरोना का ग्राफ भी बढ़ा.

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अदालत ने सरकार से पूछा कि क्या इन क्षेत्रों के स्थानीय लोगों और व्यापारियों का टीकाकरण हो चुका है? चारधाम यात्रा की तैयारियों के निरीक्षण के दौरान मिली कमियों के साथ ही पर्यटन सचिव को यह सूचना देने को भी कहा गया है कि यात्रा के दौरान कितने पुलिसकर्मी तैनात किए जाएंगे? सचिव से चारधाम यात्रा के पैदल रास्ते को रोजाना सैनेटाइज करने पर विचार करने को भी कहा गया है.

सुनवाई के दौरान अदालत को सूचित किया गया कि 2020 में चारधामों के दर्शन के लिए 3,10,568 श्रद्धालु आए थे.

(पीटीआई-भाषा)

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