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कोर्ट ने महिला के 22 हफ्ते के भ्रूण काे हटाने की दी अनुमति

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Published : Aug 2, 2021, 9:22 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महिला के 22 हफ्ते के भ्रूण को हटाने की अनुमति दे दी है. जस्टिस रेखा पल्ली की बेंच ने एम्स की रिपोर्ट पर गौर करने के बाद भ्रूण हटाने की अनुमति दी.

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नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महिला की 22 हफ्ते के भ्रूण को हटाने की अनुमति दे दी है. जस्टिस रेखा पल्ली की बेंच ने एम्स की रिपोर्ट पर गौर करने के बाद भ्रूण हटाने की अनुमति दी. एम्स की रिपोर्ट में कहा गया था कि भ्रूण में कई गंभीर बीमारियां हैं.

पिछले 28 जुलाई को कोर्ट ने एम्स को एक मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया था. एम्स ने महिला के भ्रूण की जांच करने के बाद कहा कि उसमें कई गंभीर बीमारियां हैं. 28 जुलाई को सुनवाई के दौरान महिला की ओर से वकील स्नेहा मुखर्जी ने कहा था कि वो 22 हफ्ते की गर्भवती है. गर्भ में पल रहे भ्रूण का अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट देखने के बाद पता चला कि उसमें कई बीमारियां हैं.

उसके पैर, रीढ़ की हड्डी और दिमाग में गड़बड़ी है. मुखर्जी ने कहा था कि उस भ्रूण को पूरे समय तक रखने का कोई मतलब नहीं है. भ्रूण के जन्म के बाद बच्चा बच नहीं पाएगा. ऐसा होने पर महिला को मानसिक और शारीरिक यंत्रणा से गुजरना पड़ेगा.

बता दें कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) एक्ट की धारा 3(2) के तहत 20 हफ्ते से ज्यादा के भ्रूण को हटाने की अनुमति नहीं है.

इसे भी पढ़ें : 22 हफ्ते का भ्रूण हटाने की मांग पर AIIMS को मेडिकल बोर्ड गठित कर रिपोर्ट देने का आदेश

12 से 20 हफ्ते के भ्रूण को तभी हटाया जा सकता है, जब दो डॉक्टरों का पैनल इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि भ्रूण महिला के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है.

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महिला की 22 हफ्ते के भ्रूण को हटाने की अनुमति दे दी है. जस्टिस रेखा पल्ली की बेंच ने एम्स की रिपोर्ट पर गौर करने के बाद भ्रूण हटाने की अनुमति दी. एम्स की रिपोर्ट में कहा गया था कि भ्रूण में कई गंभीर बीमारियां हैं.

पिछले 28 जुलाई को कोर्ट ने एम्स को एक मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया था. एम्स ने महिला के भ्रूण की जांच करने के बाद कहा कि उसमें कई गंभीर बीमारियां हैं. 28 जुलाई को सुनवाई के दौरान महिला की ओर से वकील स्नेहा मुखर्जी ने कहा था कि वो 22 हफ्ते की गर्भवती है. गर्भ में पल रहे भ्रूण का अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट देखने के बाद पता चला कि उसमें कई बीमारियां हैं.

उसके पैर, रीढ़ की हड्डी और दिमाग में गड़बड़ी है. मुखर्जी ने कहा था कि उस भ्रूण को पूरे समय तक रखने का कोई मतलब नहीं है. भ्रूण के जन्म के बाद बच्चा बच नहीं पाएगा. ऐसा होने पर महिला को मानसिक और शारीरिक यंत्रणा से गुजरना पड़ेगा.

बता दें कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) एक्ट की धारा 3(2) के तहत 20 हफ्ते से ज्यादा के भ्रूण को हटाने की अनुमति नहीं है.

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12 से 20 हफ्ते के भ्रूण को तभी हटाया जा सकता है, जब दो डॉक्टरों का पैनल इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि भ्रूण महिला के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है.

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