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पूर्व LG नजीब जंग बोले- सिर्फ अल्लाहु अकबर कहने से नहीं होगी तरक्की, आगे बढ़ने का एकमात्र साधन है शिक्षा

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 22, 2023, 10:43 PM IST

बाराबंकी में नजीब जंग (Najeeb Jung in Barabanki ) स्वर्गीय रफी अहमद किदवई की याद में बन रहे डिग्री कॉलेज (Rafi Ahmed Kidwai degree college) की आधार शिला रखने आये थे. इस मौके पर नजीब जंग ने कहा कि सिर्फ "अल्लाहो अकबर कहने से तरक्की नहीं होगी. इसका इंस्ट्रूमेंट (Education is instrument of progress) केवल पढ़ाई है.

बाराबंकी
बाराबंकी
पूर्व LG नजीब जंग ने मुसलमानों पर किया कटाक्ष

बाराबंकी: जिस मजहब की शुरुआत ही इकरा यानी पढ़ शब्द से शुरू हुई हो, वही मजहब आज सबसे पीछे है. इस मजहब के लोग यह समझते हैं कि सिर्फ 'अल्लाहु अकबर' कह देने से ही तरक्की होगी, लेकिन, ऐसा नही है. यह कहना है जामिया मिलिया इस्लामिया के पूर्व कुलपति और दिल्ली के उप राज्यपाल रहे नजीब जंग का. शिक्षा को लेकर तमाम काम कर रहे नजीब जंग ने अप्रत्यक्ष रूप से मुसलमानों पर कटाक्ष किया और साथ ही नसीहत भी दी.

नजीब जंग रविवार को बाराबंकी में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और आजाद भारत की पहली सरकार के संचार मंत्री रहे स्वर्गीय रफी अहमद किदवई की याद में बन रहे एक डिग्री कॉलेज की आधारशिला रखने आए थे. इस मौके पर एक जनसभा को सम्बोधित करते हुए नजीब जंग ने कहा कि आज तरक्की करने का केवल एक ही इंस्ट्रूमेंट है, और वह है पढ़ाई.

बाराबंकी-बहराइच हाईवे के किनारे जिला मुख्यालय से तकरीबन 15 किमी दूर स्थित मसौली कस्बे में फरवरी 1894 में पैदा हुए रफी अहमद किदवई की याद में उनके नाम से ट्रस्ट के लोगों और उनके परिवार ने डिग्री कॉलेज खोलने का फैसला किया और रविवार को बाकायदा इसका शिलान्यास किया गया. शिलान्यास करने पहुंचे दिल्ली के पूर्व एलजी नजीब जंग ने शिक्षा को एक अहम जरूरत बताया.उन्होंने कहा कि मुस्लिम, दलित और पिछड़ों को शिक्षा क्षेत्र में कैसे आगे बढ़ाया जाए, इसको लेकर उन्होंने एक संस्था बनाई. संस्था ने जब सर्वे किया तो पता चला कि यूपी, बिहार और मध्यप्रदेश में ये शिक्षा के मामले में बहुत पीछे हैं. इस मौके पर उन्होंने विशेष रूप से मुस्लिमों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि 'अल्लाहु अकबर' से तरक्की नहीं होने वाली.

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कौन थे रफी अहमद किदवई: मसौली कस्बे में जन्मे रफी अहमद किदवई ने कस्बे से प्राइमरी शिक्षा पूरी कर अलीगढ़ में दाखिला लिया. वहां से पढ़ाई पूरी कर आजादी के लिए चल रहे असहयोग आंदोलन में महात्मा गांधी के नेतृत्व में उन्होंने हिस्सा लिया.खिलाफत आंदोलन के जरिये राजनीति में दाखिल हुए रफी अहमद किदवई पंडित जवाहर लाल नेहरू के पिता मोती लाल नेहरू के सचिव रहे. उसके बाद मोती लाल नेहरू द्वारा संगठित स्वराज पार्टी के वे सक्रिय सदस्य भी रहे. आजादी के बाद बनी पहली सरकार में रफी अहमद संचार मंत्री बनाए गए थे. साल 1952 के आम चुनाव में रफी अहमद बहराइच संसदीय क्षेत्र से सांसद बने और केंद्र सरकार में कृषि मंत्री बने. 24 अक्टूबर 1954 को उनका देहावसान हो गया.

जवाहरलाल नेहरू ने बनवाई थी उनकी मजार: अहमद किदवई की मौत के बाद जवाहरलाल नेहरू मसौली आये थे. उन्होंने ही उनकी मजार बनवाई. रफी अहमद किदवई के नाम से एक ट्रस्ट संचालित है जो, मसौली में एक इंटर कॉलेज का संचालन करता है. लेकिन, उच्च शिक्षा के लिए क्षेत्र में कोई डिग्री कॉलेज नही था.इसी के मद्देनजर ट्रस्ट से जुड़े लोगों और उनके भतीजे और पूर्व मंत्री रहे फरीद महफूज किदवई समेत उनके परिवार के लोगों ने डिग्री कॉलेज बनवाने का फैसला किया.शिलान्यास के मौके पर पहुंचे प्रदेश के पूर्व डिप्टी सीएम रहे अम्मार रिज़वी ने इसकी सराहना करते हुए कहा कि ये डिग्री कॉलेज क्षेत्र में शिक्षा की अलख जगाएगा.कार्यक्रम में दिल्ली से आए कई अधिकारी और जिले भर के तमाम बुद्धिजीवी और समाजसेवी मौजूद रहे.

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बाराबंकी: जिस मजहब की शुरुआत ही इकरा यानी पढ़ शब्द से शुरू हुई हो, वही मजहब आज सबसे पीछे है. इस मजहब के लोग यह समझते हैं कि सिर्फ 'अल्लाहु अकबर' कह देने से ही तरक्की होगी, लेकिन, ऐसा नही है. यह कहना है जामिया मिलिया इस्लामिया के पूर्व कुलपति और दिल्ली के उप राज्यपाल रहे नजीब जंग का. शिक्षा को लेकर तमाम काम कर रहे नजीब जंग ने अप्रत्यक्ष रूप से मुसलमानों पर कटाक्ष किया और साथ ही नसीहत भी दी.

नजीब जंग रविवार को बाराबंकी में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और आजाद भारत की पहली सरकार के संचार मंत्री रहे स्वर्गीय रफी अहमद किदवई की याद में बन रहे एक डिग्री कॉलेज की आधारशिला रखने आए थे. इस मौके पर एक जनसभा को सम्बोधित करते हुए नजीब जंग ने कहा कि आज तरक्की करने का केवल एक ही इंस्ट्रूमेंट है, और वह है पढ़ाई.

बाराबंकी-बहराइच हाईवे के किनारे जिला मुख्यालय से तकरीबन 15 किमी दूर स्थित मसौली कस्बे में फरवरी 1894 में पैदा हुए रफी अहमद किदवई की याद में उनके नाम से ट्रस्ट के लोगों और उनके परिवार ने डिग्री कॉलेज खोलने का फैसला किया और रविवार को बाकायदा इसका शिलान्यास किया गया. शिलान्यास करने पहुंचे दिल्ली के पूर्व एलजी नजीब जंग ने शिक्षा को एक अहम जरूरत बताया.उन्होंने कहा कि मुस्लिम, दलित और पिछड़ों को शिक्षा क्षेत्र में कैसे आगे बढ़ाया जाए, इसको लेकर उन्होंने एक संस्था बनाई. संस्था ने जब सर्वे किया तो पता चला कि यूपी, बिहार और मध्यप्रदेश में ये शिक्षा के मामले में बहुत पीछे हैं. इस मौके पर उन्होंने विशेष रूप से मुस्लिमों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि 'अल्लाहु अकबर' से तरक्की नहीं होने वाली.

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कौन थे रफी अहमद किदवई: मसौली कस्बे में जन्मे रफी अहमद किदवई ने कस्बे से प्राइमरी शिक्षा पूरी कर अलीगढ़ में दाखिला लिया. वहां से पढ़ाई पूरी कर आजादी के लिए चल रहे असहयोग आंदोलन में महात्मा गांधी के नेतृत्व में उन्होंने हिस्सा लिया.खिलाफत आंदोलन के जरिये राजनीति में दाखिल हुए रफी अहमद किदवई पंडित जवाहर लाल नेहरू के पिता मोती लाल नेहरू के सचिव रहे. उसके बाद मोती लाल नेहरू द्वारा संगठित स्वराज पार्टी के वे सक्रिय सदस्य भी रहे. आजादी के बाद बनी पहली सरकार में रफी अहमद संचार मंत्री बनाए गए थे. साल 1952 के आम चुनाव में रफी अहमद बहराइच संसदीय क्षेत्र से सांसद बने और केंद्र सरकार में कृषि मंत्री बने. 24 अक्टूबर 1954 को उनका देहावसान हो गया.

जवाहरलाल नेहरू ने बनवाई थी उनकी मजार: अहमद किदवई की मौत के बाद जवाहरलाल नेहरू मसौली आये थे. उन्होंने ही उनकी मजार बनवाई. रफी अहमद किदवई के नाम से एक ट्रस्ट संचालित है जो, मसौली में एक इंटर कॉलेज का संचालन करता है. लेकिन, उच्च शिक्षा के लिए क्षेत्र में कोई डिग्री कॉलेज नही था.इसी के मद्देनजर ट्रस्ट से जुड़े लोगों और उनके भतीजे और पूर्व मंत्री रहे फरीद महफूज किदवई समेत उनके परिवार के लोगों ने डिग्री कॉलेज बनवाने का फैसला किया.शिलान्यास के मौके पर पहुंचे प्रदेश के पूर्व डिप्टी सीएम रहे अम्मार रिज़वी ने इसकी सराहना करते हुए कहा कि ये डिग्री कॉलेज क्षेत्र में शिक्षा की अलख जगाएगा.कार्यक्रम में दिल्ली से आए कई अधिकारी और जिले भर के तमाम बुद्धिजीवी और समाजसेवी मौजूद रहे.

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