देहरादून (उत्तराखंड): 27 दिसंबर से उत्तराखंड में पहली बार शीतकालीन चारधाम यात्रा की शुरुआत हो गई है. ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के आह्वान पर उत्तराखंड में शीतकालीन चारधाम यात्रा शुरू हुई है. 27 दिसंबर 2023 को हरिद्वार से ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने शीतकालीन चारधाम यात्रा की शुरुआत की. शीतकालीन चारधाम यात्रा शुरू करने से पहले स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने हरिद्वार के चंडीघाट पर मां गंगा की पूजा अर्चना की. इस दौरान उन्होंने शीतकालीन चारधाम यात्रा की सफलता की कामना की.
पूजा अर्चना के बाद ज्योतिष पीठ शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के नेतृत्व में एक दल शीतकालीन चारधाम यात्रा पर निकल पड़ा. बुधवार देर शाम शीतकालीन चारधाम यात्रा पर निकला दल मां यमुना के शीतकालीन गद्दीस्थल खरसाली पहुंचा. जहां पहुंचने पर दल का भव्य स्वागत किया गया. इसके बाद खरसाली मंदिर परिसर पहुंचकर शंकराचार्य ने यमुना की आरती एवं पूजन किया. रात्रि प्रवास के बाद शंकराचार्य ने आज सुबह सोमेश्वर महाराज और राजराजेश्वरी देवी के दर्शन किए. इस दौरान शंकराचार्य ने गांव में भ्रमण किया फिर माता यमुना की पूजा आरती की.
पढ़ें- उत्तराखंड में पहली बार शीतकालीन चारधाम यात्रा शुरू, शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने गंगा पूजन से किया शुभारंभ
इस दौरान शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि, विश्व भर में सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व होना चाहिए. सनातन धर्म के अनुसार ही बातों को आगे किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा ऋषि-मुनि, साधु-संतों ने ही इस तीर्थयात्रा को आगे बढ़ाया है. शंकराचार्य, ऋषियों और मुनियों ने जो संस्कृति शुरू की है उसे ही शीतकाल में भी आगे बढ़ाना चाहिए.
पढ़ें- स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने दयानिधि को बताया अहंकारी, आज से शुरू करेंगे शीतकालीन चारधाम यात्रा
उन्होंने कहा, मैं खुद आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा ढाई हजार वर्ष पूर्व स्थापित परंपराओं का निर्वहन करते हुए शीतकालीन पूजा स्थलों की तीर्थ यात्रा कर रहा हूं. आदिगुरु शंकराचार्य परंपरा के इतिहास में यह पहला अवसर है कि जब ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य द्वारा उत्तराखंड स्थित चारों धामों के शीतकालीन पूजा स्थलों की तीर्थ यात्रा की जा रही है.
पढ़ें- मां यमुना के मायके खरशाली पहुंची शीतकालीन चारधाम यात्रा, अविमुक्तेश्वरानंद ने की पूजा अर्चना
शीतकालीन यात्रा के दौरान पहाड़ों का नजारा बेहद शानदार नजर आ रहा है. लगातार यात्रा के साथ लोग भी जुड़ रहे हैं. उत्तराखंड में अगर ये यात्रा आने वाले समय में यूं ही आगे बढ़ती है तो इससे शीतकालीन स्थलों को भी पहचान मिलेगी. यहां रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. इसका सीधा फायदा पहाड़ियों को होगा.
क्यों शुरू की गई शीतकालीन यात्रा: दरअसल, ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का कहना है कि यात्रा केवल 6 महीने की नहीं होनी चाहिए, केवल 6 महीने ईश्वर का पूजन करके अगले 6 महीने के लिए उन्हें भूल जाना ठीक नहीं है क्योंकि ईश्वर हर समय विराजमान हैं. इसलिए इस यात्रा को हमेशा होते रहना चाहिए. यही इस शीतकालीन यात्रा का उद्देश्य है कि श्रद्धालुओं का ध्यान इस ओर आकर्षित हो सके.
इस यात्रा के अंतर्गत चारों धामों के शीतकालीन गद्दीस्थल की यात्रा और दर्शन किए जाएंगे. यात्रा क्रम के अनुसार सबसे पहले यात्रा दल यमुनोत्री के शीतकालीन गद्दीस्थल खरसाली पहुंचेगा, फिर गंगोत्री के शीतकालीन गद्दीस्थल मुखबा, केदारनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल ऊखीमठ और अंत में बदरीनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल जोशीमठ में यात्रा संपन्न होगी. शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का सभी भक्तों से आह्वान है कि उत्तराखंड के चारों धाम आपको आशीर्वाद देने के लिए सदैव विद्यमान हैं, इसलिए यात्रा जारी रखें.