नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अमेरिकी में कहा कि भारत की डिजिटल मुद्रा 2023 की शुरुआत में लॉन्च होने की संभावना है. इसका उद्देश्य न केवल वित्तीय समावेशन को बढ़ाना है बल्कि इसे जन-धन-आधार और मोबाइल ट्रिनिटी के लक्ष्य को भी प्राप्त करना है. सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक 2023 की शुरुआत में एक डिजिटल रुपया लॉन्च करके कुछ अन्य वाणिज्यिक हित को पूर्ति की संभावना पर भी विचार कर रही है.
अमेरिका के कैलिफोर्निया के पालो ऑल्टो में एक व्यापार गोलमेज को संबोधित करते हुए वित्त मत्री सीतारमण ने कहा कि भारत में डिजिटल मुद्रा को आगे बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा घोषित कई उपायों को सूचीबद्ध किया, जिसमें आरबीआई द्वारा डिजिटल रुपये का शुभारंभ भी शामिल है. चालू वित्तीय वर्ष में एक डिजिटल विश्वविद्यालय और डिजिटल बैंकों की स्थापना करने का लक्ष्य भी शामिल है. अमेरिकी निवेशकों को भारत की डिजिटल क्रांति में निवेश करने के लिए आमंत्रित करते हुए सीतारमण ने कहा कि सरकार लगातार सभी क्षेत्रों में डिजिटल तकनीकों को अपनाने पर जोर दे रही है.
इंडस्ट्री समूह फिक्की और यूएसआईएसपीएफ द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित बिजनेस राउंड टेबल में प्रतिभागियों के साथ बातचीत करते हुए, सीतारमण ने कहा कि वित्तीय समावेशन अन्य देशों के विपरीत प्रस्तावित डिजिटल मुद्रा का एकमात्र उद्देश्य नहीं था. सरकार और आरबीआई इसके कई व्यावसायिक उपयोग के उद्देश्यों को भी देख रहे हैं. डिजिटल मुद्रा इस साल के बजट में सरकार द्वारा घोषित कई प्रगतिशील कदमों में से एक है. पिछले आठ वर्षों में पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार के लिए डिजिटल अर्थव्यवस्था और डिजिटल भुगतान प्रणाली को बढ़ावा देना एक महत्वपूर्ण नीति रही है. भारत में वर्तमान में 50 करोड़ से अधिक स्मार्टफोन उपयोगकर्ता हैं, जिनमें से 68 प्रतिशत के पास 4जी नेटवर्क है. यूपीआई, डिजिटल साक्षरता और डिजिलॉकर द्वारा संचालित देश का 'डिजिटल इंडिया' कार्यक्रम, डिजिटल पुश को दर्शाता है. यूपीआई के तहत लेनदेन का मूल्य पिछले वित्तीय वर्ष में 1 ट्रिलियन डॉलर को पार कर गया है, जो पिछले दो वर्षों में पांच गुना बढ़ गया है.
FM ने अमेरिकी निवेशकों को भारतीय स्टार्टअप के लिए आमंत्रित किया : वित्त और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्री, पिछले दो साल से अधिक पुराने आर्थिक व्यवधान के मद्देनजर भारतीय अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने की चुनौती से जूझ रही है, ने भी निवेशकों की चिंताओं को समझा और उन्हें दूर करने के लिए निरंतर जुड़ाव को प्रोत्साहित किया. साथ ही निवेशकों की चिंताओं को दूर करने की इच्छा भी व्यक्त की. भारत के आर्थिक सुधार के लिए विदेशी निवेश को आकर्षित करना उनके लिए महत्वपूर्ण है.
बीते वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की अर्थव्यवस्था में 6.6% की कमी आई. जब भारत और अन्य देश महामारी के बाद आर्थिक पुनरुद्धार की उम्मीद कर रहे थे तब रूस-यूक्रेन युद्ध फिर कच्चे तेल और वैश्विक कमोडिटी की कीमतों में वृद्धि ने इन संभावनाओं को काफी प्रभावित किया है. अपनी यात्रा के दौरान वित्त मंत्री ने अमेरिकी निवेशकों को भारतीय स्टार्टअप में निवेश करने और वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत उद्योग और आंतरिक व्यापार के संवर्धन विभाग में स्टार्टअप सेल के साथ जुड़ने के लिए आमंत्रित भी किया.
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