ETV Bharat / bharat

प्रोफेसरों से 11 करोड़ से अधिक की धोखाधड़ी के आरोप में JNU का पूर्व कर्मचारी गिरफ्तार - cheating with professors

चीटिंग के मामले में दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने जेएनयू के रिटायर्ड सीनियर टेक्निकल असिस्टेंट को गिरफ्तार किया है. उनपर आरोप है कि हाउसिंग सोसायटी के नाम पर जेएनयू और आईआईटी के प्रोफेसरों को कम कीमत में बेहतर मकान दिलवाने का झांसा दिया.

delhi news
धोखाधड़ी के आरोप में JNU का पूर्व कर्मचारी गिरफ्तार
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 28, 2023, 9:01 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा की टीम ने 11 करोड़ की चीटिंग के मामले में जेएनयू के रिटायर्ड सीनियर टेक्निकल असिस्टेंट को गिरफ्तार किया है. जिसकी पहचान पीडी गायकवाड़ के रूप में हुई है. उन पर आरोप है कि जेएनयू और आईआईटी के प्रोफेसर से हाउसिंग प्रोजेक्ट के नाम पर करोड़ों की चीटिंग की है.

आर्थिक अपराध शाखा में दी गई शिकायत के अनुसार 2015 में जब पीडी. गायकवाड जेएनयू के स्कूल ऑफ एनवायरमेंटल साइंसेज में साइंटिफिक ऑफिसर के रूप में पोस्टेड था. तब उसने नोबेल सोशियो साइंटिफिक वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन बनाया और क्लेम किया कि वह अफॉर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट सबके लिए उपलब्ध कराएगा. उसके बाद पीड़ित प्रोफेसरों ने मेंबर के रूप में फ्लैट्स के लिए भुगतान किया. उसके बाद आरोपी लगातार समय-समय पर बताता रहा की प्रोजेक्ट का प्रोग्रेस हो रहा है. बाद में नवंबर 2015 में आरोपी ने नजफगढ़ इलाके में एक जगह दिखाई, लेकिन जमीन खरीदने का कोई सही डॉक्यूमेंट नहीं दिखा पाया.

बाद में आरोपी ने दूसरे ऑप्शन देकर भी मामले को टालने की कोशिश की, लेकिन जब लोगों को लगा की चीटिंग की गई है. तो इस मामले की शिकायत आर्थिक अपराध शाखा में किया गया. डीसीपी सुरेंद्र चौधरी की देखरेख में एसीपी हरि सिंह, इंस्पेक्टर कमल कोहली, सहायक सब इंस्पेक्टर प्रदीप की टीम ने छानबीन शुरू की. जिस एड्रेस पर आरोपी रहता था, जब उस पते पर नोटिस भेजा गया तो पता चला कि वहां वह नहीं रहता है. इसके बाद पुलिस ने छानबीन कर उसको गुरुग्राम से पकड़ लिया.

ये भी पढ़ें : दिल्ली मेट्रो में चोरी: पिछले साल की तुलना में दोगुनी महिलाएं हुईं गिरफ्तार, जान लें मॉडस ऑपरेंडी

पूछताछ में पता चला कि वह मूलतः महाराष्ट्र के नागपुर का रहने वाला है. नागपुर के अंबेडकर कॉलेज से 12वीं की पढ़ाई किया. नागपुर से ही बीएससी और फिर एमएससी किया और फिर वह दिल्ली में जेएनयू में सीनियर टेक्निकल असिस्टेंट के रूप में पोस्टेड हो गया. 2010 में वह कुछ सोसायटी वालों के संपर्क में आया और वहीं से उसे अफॉर्डेबल हाउसिंग स्कीम बनाने का आयडिया आया. फिर चीटिंग करने के लिए उसने 2011 में एक समिति बनाई और गवर्नमेंट एंप्लॉय को उसमें शामिल किया. अफोर्डेबल फ्लैट देने का वादा करके लोगों का उसमें अमाउंट इन्वेस्ट किया, फिर सबके पैसे इसमें डूब गए.

बता दें कि दिल्ली पुलिस समय-समय पर लोगों को जागरूक करती है कि इस तरह के फेक और इंडिविजुअल समिति बनाने वालों पर भरोसा नहीं करें. कई तरह के चीटिंग के मामले सामने आ चुके हैं, जो गवर्नमेंट स्कीम के नाम पर लोगों को ठगते हैं. किसी भी गवर्नमेंट स्कीम में पैसा लगाने से पहले पूरी तरह से उसकी छानबीन कर लें.

ये भी पढ़ें : बिजनेस में साझेदार बनाकर पिता-पुत्र ने हड़पे करोड़ों रुपए, नोएडा पुलिस जांच में जुटी

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा की टीम ने 11 करोड़ की चीटिंग के मामले में जेएनयू के रिटायर्ड सीनियर टेक्निकल असिस्टेंट को गिरफ्तार किया है. जिसकी पहचान पीडी गायकवाड़ के रूप में हुई है. उन पर आरोप है कि जेएनयू और आईआईटी के प्रोफेसर से हाउसिंग प्रोजेक्ट के नाम पर करोड़ों की चीटिंग की है.

आर्थिक अपराध शाखा में दी गई शिकायत के अनुसार 2015 में जब पीडी. गायकवाड जेएनयू के स्कूल ऑफ एनवायरमेंटल साइंसेज में साइंटिफिक ऑफिसर के रूप में पोस्टेड था. तब उसने नोबेल सोशियो साइंटिफिक वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन बनाया और क्लेम किया कि वह अफॉर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट सबके लिए उपलब्ध कराएगा. उसके बाद पीड़ित प्रोफेसरों ने मेंबर के रूप में फ्लैट्स के लिए भुगतान किया. उसके बाद आरोपी लगातार समय-समय पर बताता रहा की प्रोजेक्ट का प्रोग्रेस हो रहा है. बाद में नवंबर 2015 में आरोपी ने नजफगढ़ इलाके में एक जगह दिखाई, लेकिन जमीन खरीदने का कोई सही डॉक्यूमेंट नहीं दिखा पाया.

बाद में आरोपी ने दूसरे ऑप्शन देकर भी मामले को टालने की कोशिश की, लेकिन जब लोगों को लगा की चीटिंग की गई है. तो इस मामले की शिकायत आर्थिक अपराध शाखा में किया गया. डीसीपी सुरेंद्र चौधरी की देखरेख में एसीपी हरि सिंह, इंस्पेक्टर कमल कोहली, सहायक सब इंस्पेक्टर प्रदीप की टीम ने छानबीन शुरू की. जिस एड्रेस पर आरोपी रहता था, जब उस पते पर नोटिस भेजा गया तो पता चला कि वहां वह नहीं रहता है. इसके बाद पुलिस ने छानबीन कर उसको गुरुग्राम से पकड़ लिया.

ये भी पढ़ें : दिल्ली मेट्रो में चोरी: पिछले साल की तुलना में दोगुनी महिलाएं हुईं गिरफ्तार, जान लें मॉडस ऑपरेंडी

पूछताछ में पता चला कि वह मूलतः महाराष्ट्र के नागपुर का रहने वाला है. नागपुर के अंबेडकर कॉलेज से 12वीं की पढ़ाई किया. नागपुर से ही बीएससी और फिर एमएससी किया और फिर वह दिल्ली में जेएनयू में सीनियर टेक्निकल असिस्टेंट के रूप में पोस्टेड हो गया. 2010 में वह कुछ सोसायटी वालों के संपर्क में आया और वहीं से उसे अफॉर्डेबल हाउसिंग स्कीम बनाने का आयडिया आया. फिर चीटिंग करने के लिए उसने 2011 में एक समिति बनाई और गवर्नमेंट एंप्लॉय को उसमें शामिल किया. अफोर्डेबल फ्लैट देने का वादा करके लोगों का उसमें अमाउंट इन्वेस्ट किया, फिर सबके पैसे इसमें डूब गए.

बता दें कि दिल्ली पुलिस समय-समय पर लोगों को जागरूक करती है कि इस तरह के फेक और इंडिविजुअल समिति बनाने वालों पर भरोसा नहीं करें. कई तरह के चीटिंग के मामले सामने आ चुके हैं, जो गवर्नमेंट स्कीम के नाम पर लोगों को ठगते हैं. किसी भी गवर्नमेंट स्कीम में पैसा लगाने से पहले पूरी तरह से उसकी छानबीन कर लें.

ये भी पढ़ें : बिजनेस में साझेदार बनाकर पिता-पुत्र ने हड़पे करोड़ों रुपए, नोएडा पुलिस जांच में जुटी

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.