नई दिल्ली/गाजियाबाद : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बीते एक सितंबर को एक मामले की सुनवाई में गाय को सिर्फ धार्मिक नजरिए से ना देखने और संस्कृति की रक्षा करने की बात कही थी. साथ ही कहा था कि गाय को राष्ट्रीय पशु का दर्जा दिया जाना चाहिए और इसके लिए संसद में बिल लाना चाहिए.
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि गाय की पूजा होगी तभी देश समृद्ध होगा. ऐसे में गाय का क्या कुछ महत्व है और किस तरह से एक गाय मनुष्य के जीवन को बेहतर बना सकती है इसको जानने के लिए ईटीवी भारत ने गाजियाबाद के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी मुकेश कुमार और आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. राहुल चतुर्वेदी से बातचीत की.
गाय के दूध में क्लस्टम पाया जाता है. मां के दूध में जो गुण पाए जाते हैं वह देसी गाय के दूध में होते हैं. गाय के दूध से मस्तिष्क का विकास होता है. डॉ राहुल चतुर्वेदी ने बताया कि ठंडा-गरम खाना खाने से शरीर के अंगों को नुकसान पहुंचता है. ऐसे में दुनिया में गाय का दूध एकमात्र 'पदार्थ' है जो अंगों को ठीक कर सामान्य स्थिति में लेकर आता है. गाय के गोबर के उपले बनाकर घर में धुनि करने से मच्छर मक्खी खत्म होते हैं.
इसके साथ ही घर के अंदर के कीटनाशक खत्म होते हैं और वातावरण अच्छा होता है. गाय के अंदर से निकलने वाली ऊर्जा बहुत ही सकारात्मक होती है. गाय के सानिध्य में रहकर के प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत बनाया जा सकता है. इसके साथ ही मनुष्य को ऊर्जा से मानसिक, शारीरिक और आत्मिक बल मिलता है.
डॉ. राहुल चतुर्वेदी ने बताया कि जहां एक तरफ गाय का दूध मनुष्य को निरोगी बनाती है, तो वहीं दूसरी तरफ गाय के गोबर का विभिन्न कार्यों में प्रयोग किया जा सकता है. गाय के गोबर और पराली को मिलाकर उपलें बनाए जाए तो बड़े स्तर पर पेड़ों को कटने से बचाया जा सकता है. इन उपलों का प्रयोग अंतिम संस्कार आदि में किया जा सकता है.
गौर करने वाली बात यह है कि गाय के उपले किसी तरह का प्रदूषण नहीं करते हैं, जबकि लकड़ी के जलने से प्रदूषण होता है और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है. ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को रोजगार भी मिल सकता है.
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