नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि कोरोना टीका (Covid Vaccine) सभी लोगों को मुफ्त मुहैया कराया जाएगा. सभी के टीकाकरण की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस (Coronavirus) पिछले 100 साल की सबसे बड़ी त्रासदी है. उन्होंने कहा कि इस वैश्विक आपदा से निपटने के लिए नया इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया गया है.
21 जून से मुफ्त मिलेगा टीका
पीएम मोदी ने कहा कि सरकार ने विदेश से भी दवाओं के आयात में कोई कसर नहीं छोड़ी. मोदी ने कहा, 'आज ये निर्णय़ लिया गया है कि राज्यों के पास टीकाकरण से जुड़ा जो 25 प्रतिशत काम था, उसकी जिम्मेदारी भी भारत सरकार उठाएगी. ये व्यवस्था आने वाले 2 सप्ताह में लागू की जाएगी. इन दो सप्ताह में केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर नई गाइडलाइंस के अनुसार आवश्यक तैयारी कर लेंगी.' प्रधानमंत्री ने कहा, 'उम्मीद है कि 21 जून से 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकारों को मुफ्त टीका (Free Covid Vaccine) देगी. किसी भी राज्य सरकार को टीके पर कुछ खर्च नहीं करना होगा.
एक डोज पर अधिकतम 150 रुपए सेवा शुल्क
उन्होंने घोषणा की, 'देश में बन रहे टीके में से 25 प्रतिशत, निजी क्षेत्र के अस्पताल सीधे ले पाएं, ये व्यवस्था जारी रहेगी. निजी अस्पताल, वैक्सीन की निर्धारित कीमत के उपरांत एक डोज पर अधिकतम 150 रुपए ही सेवा शुल्क ले सकेंगे. इसकी निगरानी करने का काम राज्य सरकारों के ही पास रहेगा.'
पीएम मोदी ने कहा कि 'अप्रैल-मई में ऑक्सीजन की डिमांड अकल्पनीय तरीके से बढ़ गई थी. मेडिकल इतिहास में इतनी जरूरत ऑक्सीजन की कभी नहीं हुई. सरकार के सभी तंत्र इसमें लग गए. रेल से लेकर नौसेना तक इसमें लग गया. लिक्विड ऑक्सीजन का उत्पादन 10 गुना बढ़ाया गया. दुनिया के हर कोने से जो भी मिला, उसे लाने का पूरा प्रयास किया गया. जरूरी दवाओं का प्रोडक्शन बढ़ाया गया. दवाओं को विदेशों से लाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई, लेकिन सबसे कारगर हथियार है- प्रोटोकॉल. मास्क लगाकर रहना. वैक्सीन सुरक्षा कवच की तरह है.'
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि 2014 से हमने वैक्सीनेशन के लिए मिशन इंद्रधनुष पर काम शुरू किया. पांच -छह सालों में ही वैक्सीनेशन कवरेज 60 फीसदी से 90 फीसदी तक हम पहुंच गए. दायरा भी बढ़ा और स्पीड भी बढ़ी. गरीबों की चिंता कर हमने इस मिशन की शुरुआत की थी. तभी अचानक ही हम कोरोना वायरस से घिर गए. चिंता थी कि भारत इतनी बड़ी आबादी को कैसे बचा पाएगा. नीति स्पष्ट हो, मंशा साफ हो, निरंतर प्रयास हों, तो नतीजे जरूर मिलते हैं. एक साल के भीतर ही भारत ने दो मेड इन इंडिया वैक्सीन लॉन्च कर दी.
उन्होंने कहा कि हमारे वैज्ञानिकों ने दिखा दिया कि भारत बड़े-बड़े देशों से पीछे नहीं है. 23 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन की डोज दी जा चुकी है.
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प्रधानमंत्री ने कहा कि वैक्सीन की डिमांड की तुलना में उत्पादन बहुत कम है.अगर हमारे पास भारत की अपनी निर्मित वैक्सीन न होती,तो क्या होता?, इसकी कल्पना नहीं की जा सकती है. भारत को विदेशों से वैक्सीन प्राप्त करने में दशकों लग जाते थे. वहां पर काम पूरा हो जाता था, तब भी हमारे यहां काम शुरू नहीं होता था. चेचक, पोलियो, हैपिटाइटस, का दशकों तक इंतजार किया था.
पीएम मोदी ने कहा 'आप पिछले 50-60 साल का इतिहास देखेंगे, तो पता चलेगा कि भारत को विदेशों से वैक्सीन प्राप्त करने में दशकों लग जाते थे. विदेशों में वैक्सीन का काम पूरा हो जाता था तब भी हमारे देश में वैक्सीनेशन का काम शुरू नहीं हो पाता था.' उन्होंने कहा कि तीन और वैक्सीन का ट्रायल एडवांस स्तर पर चल रहा है. दूसरे देशों से वैक्सीन खरीदने की प्रक्रिया को तेज किया गया है.