वाशिंगटन: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत ने कोविड-19 संकट से जो सबक सीखे हैं उन पर निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि महामारी के बाद दुनिया पहले की तरह नहीं होगी. वित्त मंत्री ने कहा कि कोविड-19 की दूसरी लहर आने से बहुत पहले सरकार ने प्रोत्साहन पैकेज दिया था और वह अर्थव्यवस्था के फिर से पटरी पर लौटने का इंतजार कर रही थी. वित्त मंत्री सीतारमण ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक में अपनी बैठकें खत्म होने के बाद भारतीय पत्रकारों के एक समूह को यह जानकारी दी.
वित्त मंत्री सीतारमण ने बताया कि उस चरण के दौरान और दूसरी लहर के बाद, उन्होंने जो कोई भी कदम उठाया उसके लिए ‘‘उनके पास निर्भर रहने के लिए कोई मिसाल’’ नहीं थी. वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘मेरे हिसाब से (कोविड-19 संकट से सीखे गए) सबक पर निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगी.’’ सीतारमण ने कहा कि वे उस तरह के उपाय नहीं थे, जो भारत अकेले कर रहा था. उन्होंने कहा कि दुनिया का हर देश इस संकट से प्रभावित हुआ है. वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘इसलिए, तुरंत पीछे पलटकर देखने और पिछले साल के अनुभव पर गौर करने के मामले में मुझे लगता है कि यह कहना थोड़ा जल्दबाजी होगी कि इसे बेहतर तरीके से संभाला जा सकता था.’’
सीतारमण ने कहा, ‘‘जैसा कि मैंने कहा कि पहले से कोई उदाहरण नहीं था और इस छोटी सी डेढ़ साल की अवधि से इसका आकलन करने पर इसकी गुंजाइश सीमित हो सकती है.’’ एक सवाल पर वित्त मंत्री ने कहा कि महामारी के बाद की दुनिया पहले की तरह नहीं होने वाली.
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सीतारमण ने कहा, भारत की प्राथमिकताएं निश्चित रूप से इस तथ्य के आधार पर हैं... जैसा कि हममें से अधिकांश इस बात पर सहमत होंगे कि महामारी के बाद यह वास्तव में वही दुनिया नहीं होगी, चाहे वह विनिर्माण का क्षेत्र हो या श्रम का क्षेत्र. उन्होंने कहा कि मुद्दे पहले की तुलना में काफी अलग होने जा रहे हैं. सीतारमण ने कहा कि वर्तमान में दुनिया भर में बहुत सारे बदलाव हो रहे हैं। वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘किसी एक क्षेत्र की बात नहीं है, हर क्षेत्र में ऐसा हो रहा है. वैश्विक संस्थानों में निश्चित रूप से बहुत विचार हुआ है. यह भी देखा जा रहा है कि कैसे राष्ट्रों के बीच अधिक से अधिक तालमेल हो सकता है ताकि संसाधनों का बेहतर उपयोग किया जा सके.
वित्त मंत्री ने कहा, और जहां तक भविष्य में महामारी या ऐसी आपात स्थिति के लिए तैयार होने के मुद्दे हैं, जहां देशों को एक दूसरे की मदद करने की जरूरत होगी, तो इस बार हमने जो किया, उससे बेहतर करने का तरीका होगा.
(पीटीआई-भाषा)