नई दिल्ली : हरियाणा में कांग्रेस पार्टी को एकजुट करने में जुटी है. हाल में घोषित की गई नई टीम में कांग्रेस ने सामाजिक और जातीय संतुलन साधन की कोशिश की थी. इस फेरबदल के बाद उम्मीद के मुताबिक जिम्मेदारी नहीं मिलने से कुलदीप विश्नोई नाराज हो गए. उन्होंने बड़ी सफाई से इस फैसले पर नाराजगी भी दर्ज करा दी. फिलहाल हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी विवेक बंसल नाराज कुलदीप विश्नोई को मनाने में जुटे हैं. सूत्रों के अनुसार, बंसल ने उन्हें बताया कि हरियाणा में बीजेपी जेजेपी की सरकार के खिलाफ एकजुट रहने की जरूरत है.
हालांकि कुलदीप विश्नोई ने बीजेपी से साथ पींगे बढ़ाकर कांग्रेस की चिंता बढ़ा दी है. हाल ही विश्नोई ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मुलाकात की और हिसार जिले के गांव आदमपुर को ग्राम पंचायत का दर्जा देने मांग रखी. सीएम खट्टर ने भी उनकी मांगों पर हामी भर दी है. बता दें कि आदमपुर कुलदीप विश्नोई का पैतृक गांव है. जब 19 मई को कांग्रेस की बैठक हुई तो उसमें कुलदीप विश्नोई के बीजेपी प्रेम पर भी चर्चा हुई. पार्टी नेताओं ने आशंका जताई कि कुलदीप बीजेपी की तरफ जा सकते हैं.
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Like late Indira Ji,Late Rajeev Ji too had an eye for talent&took decisions on merits,that is why congress was an undefeated force.When any party takes decisions under pressure or money influence it is certain to sink.We miss the eternal #Rajeev Ji, the architect of modern India. pic.twitter.com/fRzAYkkH7Q
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हालांकि कुलदीप विश्नोई ने राजीव गांधी की पुण्यतिथि 21 मई को एक ट्वीट कर एक तीर से दो निशाने साध लिए. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांघी और अपने पिता भजनलाल की एक पुरानी तस्वीर शेयर की. मगर उस तस्वीर के साथ जो लिखा, उसमें तारीफ के साथ तंज की मिलावट की गई थी. कुलदीप विश्नोई ने लिखा कि इंदिरा जी की तरह राजीवजी की भी नजर टैलंट पर रहती थी. वे गुण-दोष के आधार पर निर्णय लेते थे, इसलिए कांग्रेस एक न हारने वाली शक्ति थी. जब कोई पार्टी दबाव या पैसे के प्रभाव में निर्णय लेती है, तो उसका डूबना तय है. उन्होंने आगे लिखा कि दयालु बनो लेकिन लोगों को अपनी भावनाओं से खेलने मत दो.
हरियाणा में कांग्रेस ने बड़ा फेरबदल किया था. कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कुमारी शैलजा के स्थान पर उदय भान को नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया था. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेस विधायक दल के नेता है. माना जा रहा है कि इस कॉम्बिनेशन ने पार्टी ने जाट और गैर-जाट नेतृत्व की जोड़ी फिर से बनाने की कोशिश की है. यह हरियाणा में कांग्रेस का आजमाया हुआ पुराना फार्मूला है. इससे पहले कुमारी शैलजा हरियाणा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष थीं, मगर वह भूपेंद्र सिंह हुड्डा से झगड़ों के कारण एक टीम के तौर पर काम नहीं कर सकीं.
संगठन में फेरबदल से पहले यह माना जा रहा था कि कुलदीप विश्नोई को पार्टी प्रदेश अध्यक्ष जैसी बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है. फेरबदल से पहले उन्हें ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के महासचिव और संगठन प्रभारी के सी वेणुगोपाल ने बुलाया भी था. इससे उनके प्रदेश अध्यक्ष बनने की चर्चा को काफी हवा भी मिली. मगर उदयभान की नियुक्ति ने इस उम्मीद पर ताला जड़ दिया.
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Don’t blame distractions, improve your focus… Good morning 🙏
— Kuldeep Bishnoi (@bishnoikuldeep) May 23, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी हाल ही में बिश्नोई का समर्थन किया था. सुरजेवाला ने कहा था कि कुलदीप विश्नोई राज्य इकाई के एक अच्छे प्रमुख होते. सुरजेवाला ने तब उम्मीद जताई थी कि पार्टी राज्य में बिश्नोई को कुछ अहम पद देने पर विचार करेगी. बिश्नोई ने सोमवार सुबह अपने तेवर का संकेत देते हुए ट्वीट किया, "ध्यान भटकाने के लिए दोष न दें, अपना फोकस सुधारें. कुलदीप के समर्थकों का कहना है कि पार्टी को राज्य में पंजाबी हिंदुओं, बनिया, ब्राह्मण, राजपूत, सैनी और खाती वोटों पर भी ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है. समर्थकों का दावा है कि केवल बिश्नोई ही इन जातियों के वोटरों को दोबारा कांग्रेस में वापस ला सकते हैं.
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