जयपुर : सीकर के रहने वाले एक युवक सुनील साई ने ब्रेन डेड होने के बाद चार लोगों को नई जिंदगी दी है. दरअसल 16 फरवरी को सड़क हादसे में सीकर के इस युवक के सिर में गंभीर चोट लगी थी. उसका इलाज सवाई मानसिंह अस्पताल (SMS Hospital) में चल रहा था, लेकिन डॉक्टरों ने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया. उसके अंगदान किए गए हैं. (sikar youth donated organ)
अस्पताल प्रशासन ने ऑर्गन डोनेशन के लिए परिजनों को राजी किया और देर रात अस्पताल में ऑर्गन ट्रांसप्लांट से जुड़ा प्रोसेस शुरू किया गया. जिसके बाद ब्रेन डेड मरीज की दोनों किडनी सवाई मानसिंह अस्पताल में ट्रांसप्लांट की जा रही हैं, जबकि ग्रीन कॉरिडोर बनाकर मरीज का हार्ट इंटरनल अस्पताल भेजा गया है. वहीं, मणिपाल अस्पताल में मरीज का लिवर ट्रांसप्लांट किया गया है.
परिजनों ने बताया कि 16 फरवरी को दूजोद, सीकर में खेती का काम करके घर लौटते समय एक अज्ञात कार ने सुनील की गाड़ी को टक्कर मार दी थी. टक्कर इतनी भीषण थी सुनील गंभीर रूप से घायल हो गया. उसे एसके अस्पताल में भर्ती करवाया गया जहां हालत गंभीर होने पर जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्ती करवाया गया.
पत्नी और बच्चे का छूट गया साथ : सुनील साई अपने पीछे अपनी पत्नी अनीता देवी और 5 वर्षीय बच्चे को छोड़ गया. परिजनों और गांव वालों के अनुसार सुनील साई हमेशा ही मदद के लिए तत्पर रहते थे और कभी भी किसी को मदद के लिए मना नहीं करते थे. ऐसे उदाहरण कम ही देखने को मिलते हैं जब कोई अपनी मौत के बाद अन्य को जीवन देता हो. सीकर के युवक ने भी चार लोगों को नया जीवन दे दिया है. परिजनों के इस कदम की हर तरफ तारीफ की जा रही है.
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क्या है अंगदान?
अंगदान वह प्रक्रिया है जिसमें एक जीवित या मृत व्यक्ति अपने स्वस्थ अंग का किसी दूसरे व्यक्ति के स्वास्थ्य हित में दान करता है. अंग प्रत्यारोपण के माध्यम से अंग को दाता के शरीर से निकालकर प्राप्तकर्ता के शरीर में प्रत्यारोपित किया जाता है. आमतौर पर शरीर के ज्यादातर अंगों का प्रत्यारोपण दाता व्यक्ति की मृत्यु के बाद एक सीमित अवधि तक ही संभव हो पाता हैं. वहीं कुछ अंगों या अंगों के हिस्सों को जीवित व्यक्ति भी दान कर सकते है.
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एक सर्वेक्षण के अनुसार भारत में हर साल लगभग 500,000 लोग अंगों की अनुपलब्धता के कारण मृत्यु से हार हो जाते हैं. इनमें लगभग 200,000 लोग लीवर की बीमारी से और 50,000 लोग हृदय रोग के कारण मृत्यु का शिकार बन जाते हैं.