नासिक: भाजपा विधायक नितेश राणे ने मंगलवार को दावा किया कि एक जुलूस के सदस्यों द्वारा प्रसिद्ध त्र्यंबकेश्वर मंदिर के प्रवेश द्वार पर एक अनुष्ठान करने की कोशिश की गई, जिसके कुछ दिनों बाद एक अलग धर्म के कुछ लोगों ने कथित तौर पर जबरन प्रवेश करने का प्रयास किया गया. राणे ने मंदिर का दौरा किया और महाआरती की. राणे ने कहा कि 'चंदन' जुलूस के बाद भगवान त्र्यंबकेश्वर को धूप (धूप जलाने) दिखाने की परंपरा नहीं है. मैंने मंदिर के ट्रस्टियों से बात की है.
राणे ने एक संवाददाता सम्मेलन में दावा किया कि विशेषज्ञों और स्थानीय लोगों ने भी कहा है कि ऐसी कोई परंपरा नहीं है. ज्ञात हो कि 13 मई को त्र्यंबकेश्वर मंदिर में कथित रूप से अलग धर्म के लोगों के एक समूह ने जबरन घुसने की कोशिश करने के बाद पूजा स्थल को अपवित्र करने के आरोप में चार लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी. इस मामले की एक विशेष जांच दल जांच कर रहा है.
राणे ने कहा कि 13 मई की घटना के बाद से हिंदुओं की छवि खराब की जा रही है. कुछ लोग गलतफहमी पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. मंदिर में किसी के आने से हमें कोई आपत्ति नहीं है. कतार में खड़े होकर देवता के दर्शन कर सकते हैं. लेकिन 13 मई को आए युवक हरी झंडी लेकर अंदर जाने की कोशिश कर रहे थे. इससे पता चलता है कि उनका इरादा अच्छा नहीं था. एक पुलिस अधिकारी ने कहा था कि मंदिर के प्रवेश द्वार पर पहुंचे समूह के सदस्यों में स्थानीय लोग भी शामिल थे.
राणे ने कहा कि प्रथम दृष्टया, उन्होंने मंदिर के अधिकारियों से कई दशकों की परंपरा के अनुसार प्रवेश द्वार पर धूप अनुष्ठान करने की अनुमति देने का अनुरोध किया था. अधिकारी ने कहा कि उनके अनुरोध को अस्वीकार किए जाने के बाद, समूह वहां से लौट आया. मंदिर प्रबंधन के अनुसार केवल हिंदुओं को भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक इस मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति है.
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शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने दावा किया था कि धूप की परंपरा 100 साल पुरानी है और मंदिर के प्रवेश द्वार पर जाकर दूसरे धर्म के लोगों ने इस प्रथा का पालन किया. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे ने कहा था कि अगर कोई परंपरा वर्षों से चली आ रही है तो उसे रोकना ठीक नहीं है.