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प. बंगाल चुनाव : मौलाना अब्बास की एंट्री से बिगड़ सकता है टीएमसी का समीकरण - मौलाना अब्बास सिद्दीकी

बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले फुरफुरा शरीफ दरगाह के एक प्रभावशाली मौलाना अब्बास सिद्दीकी ने एक नया राजनीतिक संगठन इंडियन सेकुलर फ्रंट (आईएसएफ) बनाने की घोषणा की. राजनीति जानकारों का मानना है कि उनकी पार्टी के आने से मुस्लिम वोटों का बंटवारा हो सकता है और इसका सीधा नुकसान ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी को होगा. वहीं, ममता ने सिद्दीकी की नई पार्टी को फुरफुरा शरीफ दरगाह के लिए काला दिन करार दिया है.

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बंगाल विधानसभा चुनाव
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Published : Jan 22, 2021, 9:06 PM IST

कोलकाता : पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव को लेकर तमाम पार्टियां अपनी तैयारियों में जुटी हैं. इसको लेकर राजनीतिक पार्टियों के नेताओं के दौरे और जनता के बीच अपनी पैठ बनाने की कवायद तेज हो गई है. अन्य राज्यों की तुलना में यहां पर पहली बार ऐसा रुझान देखा जा रहा है.

संभवत: यह पहली बार होगा, जब लोग किसी धार्मिक नेता को एक राजनीति पार्टी की स्थापना करते हुए देख रहे हैं. ऐसा करने वाले व्यक्ति का नाम मौलाना अब्बास सिद्दीकी है. उन्होंने आगामी विधानसभा चुनावों से पहले ही नया राजनीतिक संगठन इंडियन सेकुलर फ्रंट (आईएसएफ) बनाने की घोषणा की है.

सिद्दीकी का बयान
राजनीतिक संगठन की शुरुआत के मौके पर सूफी मजार के प्रमुख सिद्दीकी ने कहा कि हमने इस पार्टी का गठन यह सुनिश्चित करने के लिए किया है कि संवैधानिक लोकतंत्र की रक्षा हो, सभी को सामाजिक न्याय मिले और हम सभी सम्मान के साथ रहें.

हालांकि, सिद्दीकी ने यह भी दावा किया कि उनकी पार्टी धर्म के आधार पर चुनाव नहीं लड़ेगी. इसके बजाय उनकी पार्टी धर्मनिरपेक्षता के आधार पर चुनाव लड़ेगी.

सिद्दीकी का कहना है कि वास्तविकता में बड़े सपने दिखाने के बावजूद तृणमूल ने लोगों के लिए वास्तविकता में कुछ भी नहीं किया है, इसके कारण ही वह नई पार्टी बनाने के लिए प्रेरित हुए.

लंबे समय से लगाए जा रहे थे कयास
सिद्दीकी नई पार्टी का एलान कर सकते हैं, ऐसे कयास काफी समय से लगाए जा रहे थे. फुरफुरा शरीफ दरगाह के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी ने इससे पहले नई पार्टी बनाने की प्रक्रिया कई बार टाली थी, लेकिन अंतत: हुगली जिले में फुरफुरा शरीफ दरगाह के मौलाना अब्बास सिद्दीकी ने नई पार्टी बना ही ली.

राजनीति के जानकारों का क्या मानना है
राजनीति के जानकार विधानसभा चुनावों से पहले नई पार्टी के एलान पर सवाल उठा रहे हैं, लेकिन राजनीतिक आंकड़े कुछ अलग ही कह रहे हैं. राजनीतिक जानकारों को लगता है कि नई पार्टी की घोषणा राज्य में राजनीतिक समीकरणों में एक नया आयाम जोड़ेगी. खासकर मुर्शिदाबाद, मालदा, उत्तरी दिनाजपुर और उत्तर 24 परगना जैसे जिलों में, जहां मुस्लिम मतदाता अक्सर निर्णायक साबित होते हैं. यही समीकरण दक्षिण 24 परगना और पूर्वी मिदनापुर जिलों के कुछ हिस्सों में दिखता है.

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ऐसी स्थिति में सिद्दीकी की पार्टी निश्चित रूप से राज्य में मुस्लिम मतदाताओं के एक वर्ग को प्रभावित करेगी. मौलाना अब्बास सिद्दीकी लंबे समय से बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का समर्थन कर रहे थे, जिससे तृणमूल कांग्रेस को मुस्लिम वोटों को पाने में मदद मिलती थी.

ओवैसी और पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की भेंट
हाल में AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पीरजादा अब्बास सिद्दीकी से मुलाकात की थी और अपनी एकजुटता को व्यक्त किया था. AIMIM पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयार में है. अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या सिद्दीकी की पार्टी और एआईएमआईएम एक साथ चुनावी मैदान में उतरेंगी या अलग-अलग.

पश्चिम बंगाल में 30 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम मतदाता हैं, जो अक्सर बंगाल के चुनावों में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. जानकारी के अनुसार, सिद्दीकी 44 मुस्लिम बहुल विधानसभा में अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रहे हैं.

तृणमूल का एआईएमआईएम पर आरोप
तृणमूल नेताओं ने आरोप लगाया है कि एआईएमआईएम का उद्देश्य भगवा खेमे को फायदा पहुंचाने के लिए मुस्लिम वोटों को बांटना है. ऐसा उदाहरण हाल के बिहार विधानसभा चुनावों में देखने को मिला है, जहां यह स्पष्ट हो गया है कि एआईएमआईएम ने मुस्लिम मतदाताओं के एक बड़े हिस्से पर सेंध लगाई, जिससे एनडीए को फायदा हुआ. अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या बिहार भी भांति बंगाल में ऐसा होगा या नहीं.

रोचक बात यह है कि सिद्दीकी ने कांग्रेस नेता रोहन मित्रा के साथ बैठक की, जो पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सीता मित्रा के बेटे हैं. अफवाहें हैं कि इस दौरान सिद्दीकी ने मित्रा को आश्वासन दिया कि उनकी पार्टी उन मुस्लिम बहुल सीटों पर उम्मीदवार नहीं उतारेगी, जहां कांग्रेस मजबूत है.

ममता ने काला दिन बताया
टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने सिद्दीकी द्वारा नई पार्टी की घोषणा को फुरफुरा शरीफ दरगाह के लिए काला दिन बताया है. वहीं, टीएमसी नेता सौगत रॉय ऐसे दलों को ज्यादा महत्व देने को तैयार नहीं हैं. हालांकि राज्य में राजनीति से संबंधित ऐसी घटनाएं घटित हो रही हैं, जो सत्तारूढ़ पार्टी पर दबाव डाल रही हैं.

कोलकाता : पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव को लेकर तमाम पार्टियां अपनी तैयारियों में जुटी हैं. इसको लेकर राजनीतिक पार्टियों के नेताओं के दौरे और जनता के बीच अपनी पैठ बनाने की कवायद तेज हो गई है. अन्य राज्यों की तुलना में यहां पर पहली बार ऐसा रुझान देखा जा रहा है.

संभवत: यह पहली बार होगा, जब लोग किसी धार्मिक नेता को एक राजनीति पार्टी की स्थापना करते हुए देख रहे हैं. ऐसा करने वाले व्यक्ति का नाम मौलाना अब्बास सिद्दीकी है. उन्होंने आगामी विधानसभा चुनावों से पहले ही नया राजनीतिक संगठन इंडियन सेकुलर फ्रंट (आईएसएफ) बनाने की घोषणा की है.

सिद्दीकी का बयान
राजनीतिक संगठन की शुरुआत के मौके पर सूफी मजार के प्रमुख सिद्दीकी ने कहा कि हमने इस पार्टी का गठन यह सुनिश्चित करने के लिए किया है कि संवैधानिक लोकतंत्र की रक्षा हो, सभी को सामाजिक न्याय मिले और हम सभी सम्मान के साथ रहें.

हालांकि, सिद्दीकी ने यह भी दावा किया कि उनकी पार्टी धर्म के आधार पर चुनाव नहीं लड़ेगी. इसके बजाय उनकी पार्टी धर्मनिरपेक्षता के आधार पर चुनाव लड़ेगी.

सिद्दीकी का कहना है कि वास्तविकता में बड़े सपने दिखाने के बावजूद तृणमूल ने लोगों के लिए वास्तविकता में कुछ भी नहीं किया है, इसके कारण ही वह नई पार्टी बनाने के लिए प्रेरित हुए.

लंबे समय से लगाए जा रहे थे कयास
सिद्दीकी नई पार्टी का एलान कर सकते हैं, ऐसे कयास काफी समय से लगाए जा रहे थे. फुरफुरा शरीफ दरगाह के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी ने इससे पहले नई पार्टी बनाने की प्रक्रिया कई बार टाली थी, लेकिन अंतत: हुगली जिले में फुरफुरा शरीफ दरगाह के मौलाना अब्बास सिद्दीकी ने नई पार्टी बना ही ली.

राजनीति के जानकारों का क्या मानना है
राजनीति के जानकार विधानसभा चुनावों से पहले नई पार्टी के एलान पर सवाल उठा रहे हैं, लेकिन राजनीतिक आंकड़े कुछ अलग ही कह रहे हैं. राजनीतिक जानकारों को लगता है कि नई पार्टी की घोषणा राज्य में राजनीतिक समीकरणों में एक नया आयाम जोड़ेगी. खासकर मुर्शिदाबाद, मालदा, उत्तरी दिनाजपुर और उत्तर 24 परगना जैसे जिलों में, जहां मुस्लिम मतदाता अक्सर निर्णायक साबित होते हैं. यही समीकरण दक्षिण 24 परगना और पूर्वी मिदनापुर जिलों के कुछ हिस्सों में दिखता है.

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ऐसी स्थिति में सिद्दीकी की पार्टी निश्चित रूप से राज्य में मुस्लिम मतदाताओं के एक वर्ग को प्रभावित करेगी. मौलाना अब्बास सिद्दीकी लंबे समय से बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का समर्थन कर रहे थे, जिससे तृणमूल कांग्रेस को मुस्लिम वोटों को पाने में मदद मिलती थी.

ओवैसी और पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की भेंट
हाल में AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पीरजादा अब्बास सिद्दीकी से मुलाकात की थी और अपनी एकजुटता को व्यक्त किया था. AIMIM पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयार में है. अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या सिद्दीकी की पार्टी और एआईएमआईएम एक साथ चुनावी मैदान में उतरेंगी या अलग-अलग.

पश्चिम बंगाल में 30 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम मतदाता हैं, जो अक्सर बंगाल के चुनावों में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. जानकारी के अनुसार, सिद्दीकी 44 मुस्लिम बहुल विधानसभा में अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रहे हैं.

तृणमूल का एआईएमआईएम पर आरोप
तृणमूल नेताओं ने आरोप लगाया है कि एआईएमआईएम का उद्देश्य भगवा खेमे को फायदा पहुंचाने के लिए मुस्लिम वोटों को बांटना है. ऐसा उदाहरण हाल के बिहार विधानसभा चुनावों में देखने को मिला है, जहां यह स्पष्ट हो गया है कि एआईएमआईएम ने मुस्लिम मतदाताओं के एक बड़े हिस्से पर सेंध लगाई, जिससे एनडीए को फायदा हुआ. अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या बिहार भी भांति बंगाल में ऐसा होगा या नहीं.

रोचक बात यह है कि सिद्दीकी ने कांग्रेस नेता रोहन मित्रा के साथ बैठक की, जो पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सीता मित्रा के बेटे हैं. अफवाहें हैं कि इस दौरान सिद्दीकी ने मित्रा को आश्वासन दिया कि उनकी पार्टी उन मुस्लिम बहुल सीटों पर उम्मीदवार नहीं उतारेगी, जहां कांग्रेस मजबूत है.

ममता ने काला दिन बताया
टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने सिद्दीकी द्वारा नई पार्टी की घोषणा को फुरफुरा शरीफ दरगाह के लिए काला दिन बताया है. वहीं, टीएमसी नेता सौगत रॉय ऐसे दलों को ज्यादा महत्व देने को तैयार नहीं हैं. हालांकि राज्य में राजनीति से संबंधित ऐसी घटनाएं घटित हो रही हैं, जो सत्तारूढ़ पार्टी पर दबाव डाल रही हैं.

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