नई दिल्लीः उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने आज स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थियों जैसे संवेदनशील वर्गों में नशे तथा उसके दुष्परिणामों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए विशेष अभियान चलाने का आह्वान किया है.
उन्होंने यह बात आज नई दिल्ली में मादक पदार्थों के सेवन के दुष्प्रभावों से लोगों को अवगत कराने के लिए सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा आयोजित कार्यक्रम के दौरान कही.
अपनी राय व्यक्त करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि नशे की लत की समस्या इतनी बड़ी है कि अकेले सरकारी एजेंसियों के प्रयास पर्याप्त नहीं होंगे. इस लत के उन्मूलन की बड़ी जिम्मेदारी गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) और अन्य समर्पित लोगों को भी उठानी होगी.
वेंकैया नायडू ने कहा कि मादक पदार्थों का सेवन एक वैश्विक चुनौती है. यहां तक कि विकसित देश भी इसके खिलाफ लड़ाई में मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। मादक पदार्थ किसी भी आयु वर्ग के व्यक्ति को अपनी गिरफ्त में ले सकता है. विशेषकर युवा, किशोर और कम उम्र के युवक में मादक पदार्थ तस्करों के गिरफ्त में आने की संभावना अधिक रहती है.
केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि इस बात का मंत्रालय ने ज्यादा जोखिम वाले कुछ जिलों की पहचान भी की है जिन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है, ताकि मादक पदार्थों की मांग हटाने के लिए सामुदायिक भागीदारी और जन सहयोग बढ़ाया जा सके.
उन्होंने कहा कि हमारे देश में नशे की समस्या चिंतनीय है, सीमावर्ती राज्यों में बाहर से नशीले पदार्थ आते हैं इसके लिए हमारा मंत्रालय निरंतर कार्य कर रहा है. थावरचंद गहलोत ने कहा कि हमने नशीले पदार्थों का सेवन करने वाले लोगों की पहचान करने के लिए हमने 2018 से एक विस्तृत सर्वे करने का निर्णय लिया है जिसकी शुरुआत हो चुकी है.
केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ने बताया कि यह सर्वे देश के सभी राज्यों में किया जा रहा है और इस सर्वे की जो प्रारंभिक रिपोर्ट आई है वह बड़ी चिंताजनक है। इस रिपोर्ट में हमें पता चला है कि यदि देश में यदि एक तरफ 100 लोग नशा मुक्त होते हैं तो वहीं दूसरी तरफ 101 नए लोग नशा करना शुरु कर देते हैं.
बता दें कि सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय हर वर्ष 26 जून को मादक पदार्थ और उनकी अवैध तस्करी के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाता है.