ETV Bharat / bharat

भ्रष्टाचार की जड़ों पर चोट करे सरकार, आम जनता देगी पूरा समर्थन

दो महीने पहले वैश्विक भ्रष्टाचार बैरोमीटर ने कहा था कि 39 प्रतिशत रिश्वत दर के साथ भारत भ्रष्टाचार के मामले में सबसे आगे है. स्थिति इस तथ्य को दर्शाती है कि भारत में आम आदमी अपने किसी भी कार्य को बिना सिफारिशी पत्र या रिश्वत दिए बिना नहीं कर सकता है. प्रधानमंत्री ने पिछले अक्टूबर में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक पूर्ण युद्ध का आह्वान किया था.

pitch
pitch
author img

By

Published : Feb 2, 2021, 6:25 PM IST

हैदराबाद : दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग ने कहा है कि एक ईमानदार प्रशासनिक प्रणाली भ्रष्टाचार को खत्म कर सकती है. आयोग की रिपोर्ट में कई तरह की बातें बताई गई हैं. विडंबना यह है कि यूपीए शासन में भ्रष्टाचार में सुधार के लिए गठित कमेटी द्वारा ही भ्रष्टाचार के मामले सामने आए और चरम पर पहुंचे.

लगभग पांच साल पहले ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने कहा था कि भारत ने पहली बार भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने में चीन से बेहतर प्रदर्शन किया है. हालांकि, ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की ताजा रिपोर्ट आज बिलकुल अलग तस्वीर पेश कर रही है. वैश्विक भ्रष्टाचार की प्रवृत्ति पर रिपोर्ट देने वाली ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के अनुसार 2014 में भारत की भ्रष्टाचार रैंकिंग 85वें स्थान पर थी. जो इस साल खिसक कर और आगे चली गई है. ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की ईमानदारी की परीक्षा में डेनमार्क और न्यूजीलैंड ने 100 में से 88 और फिनलैंड, सिंगापुर, स्वीडन और स्विटजरलैंड ने 85 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं. जो दुनिया के सबसे कम भ्रष्ट देश साबित हुए हैं. भारत इस टेस्ट में केवल 40 प्रतिशत स्कोर कर सका है, जबकि वैश्विक औसत 43 का है. एशिया-प्रशांत के 31 देशों द्वारा बनाया गया औसत 45 का है. भारत की रैंकिंग एशिया-प्रशांत औसत से भी बहुत खराब है. चीन ने 42 के स्कोर के साथ 78वीं रैंक हासिल की. ​​

कोविड ने उजागर किया भ्रष्टाचार का जहर

कोविड-19 महामारी सिर्फ एक आर्थिक और स्वास्थ्य आपदा नहीं है, इसने भ्रष्टाचार के जहर को उजागर किया है. ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने भ्रष्टाचार को रोकने में उनकी विफलता के लिए सरकारों की भी आलोचना की है. दो महीने पहले वैश्विक भ्रष्टाचार बैरोमीटर ने कहा था कि 39 प्रतिशत रिश्वत दर के साथ भारत भ्रष्टाचार के मामले में सबसे आगे है. स्थिति इस तथ्य को दर्शाती है कि भारत में आम आदमी अपने किसी भी कार्य को बिना सिफारिशी पत्र या रिश्वत दिए बिना नहीं कर सकता है. प्रधानमंत्री ने पिछले अक्टूबर में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक पूर्ण युद्ध का आह्वान किया था. उस युद्ध के लिए देश को किसको तैयार करना चाहिए?

भ्रष्टाचार बन गया एक उद्योग

भारत कर्म की भूमि है, जहां अधिकांश लोग गलतियों के प्रति सजग हैं. वे खुद को सांत्वना देते हैं कि सबको अपने कर्म के फल का स्वाद चखना है. परिणामस्वरूप भ्रष्टाचार के जहरीले पेड़ ने हर जगह मजबूत जड़ें जमा ली हैं. भ्रष्टाचार भी एक उद्योग बन गया है जो न्यूनतम जोखिम के साथ उच्च रिटर्न देता है. यह लोगों के जीवन के साथ भी खिलवाड़ कर रहा है. महज चार हफ्ते पहले उत्तर प्रदेश में 25 लोगों की मौत उस वक्त हो गई जब मुरादाबाद के कब्रिस्तान में बारिश की वजह से छत ढह गई. शेड का निर्माण 30 लाख की लागत से किया गया था. इस राशि का लगभग 30 प्रतिशत रिश्वत में चला गया. ठेकेदार को अपने लाभ को शेष राशि के साथ भी समायोजित करना पड़ा. निर्माण में गुणवत्ता से समझौता होने के कारण जान चली गई. सुप्रीम कोर्ट ने खुद कहा था कि 1993 के मुंबई बम विस्फोट नहीं हुए होते अगर आठ पुलिस अधिकारी और पांच कस्टम अधिकारी रिश्वत लेने के बाद सतर्कता में ढील नहीं बरतते.

बजट में भारी-भरकम घोषणाएं

हर साल लाखों-करोड़ों के भारी-भरकम वार्षिक बजट की घोषणा बहुत धूमधाम से की जाती है. लेकिन प्रगति के रथ को अपने रास्ते में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. डेनमार्क जैसे देश जो भ्रष्टाचार के अभाव के लिए जाने जाते हैं, अपने सकल घरेलू उत्पाद का 55 प्रतिशत सार्वजनिक कार्यों और सेवाओं पर खर्च कर रहे हैं. भारत इसके लिए उस औसत का एक चौथाई हिस्सा भी नहीं निकाल पा रहा. भ्रष्टाचार के उन्मूलन के उद्देश्य से लागू किया गया सूचना का अधिकार कानून स्वयं अप्रभावी हो गया है. यह भ्रष्टाचार की काली शाम नहीं तो क्या है.

यह भी पढ़ें-कृषि आंदोलन : गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे संजय राउत, राहुल बोले- दीवारें नहीं, पुल बनाए भारत सरकार

सरकार से पहल की उम्मीद

मुख्य सतर्कता आयुक्त के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान एन विट्ठल ने एनसीसी की तर्ज पर युवाओं के लिए एक राष्ट्रीय सतर्कता समिति (एनवीसी) का सुझाव दिया था. सुझाव दिए हुए दो दशक से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन इसमें कुछ भी प्रगति नहीं हुई. लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में भी सरकार का समर्थन करेंगे जैसे कि उन्होंने नोटबंदी के दौरान किया था. इसके लिए अब मोदी सरकार को बिगुल बजाने भर की देरी है.

हैदराबाद : दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग ने कहा है कि एक ईमानदार प्रशासनिक प्रणाली भ्रष्टाचार को खत्म कर सकती है. आयोग की रिपोर्ट में कई तरह की बातें बताई गई हैं. विडंबना यह है कि यूपीए शासन में भ्रष्टाचार में सुधार के लिए गठित कमेटी द्वारा ही भ्रष्टाचार के मामले सामने आए और चरम पर पहुंचे.

लगभग पांच साल पहले ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने कहा था कि भारत ने पहली बार भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने में चीन से बेहतर प्रदर्शन किया है. हालांकि, ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की ताजा रिपोर्ट आज बिलकुल अलग तस्वीर पेश कर रही है. वैश्विक भ्रष्टाचार की प्रवृत्ति पर रिपोर्ट देने वाली ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के अनुसार 2014 में भारत की भ्रष्टाचार रैंकिंग 85वें स्थान पर थी. जो इस साल खिसक कर और आगे चली गई है. ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की ईमानदारी की परीक्षा में डेनमार्क और न्यूजीलैंड ने 100 में से 88 और फिनलैंड, सिंगापुर, स्वीडन और स्विटजरलैंड ने 85 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं. जो दुनिया के सबसे कम भ्रष्ट देश साबित हुए हैं. भारत इस टेस्ट में केवल 40 प्रतिशत स्कोर कर सका है, जबकि वैश्विक औसत 43 का है. एशिया-प्रशांत के 31 देशों द्वारा बनाया गया औसत 45 का है. भारत की रैंकिंग एशिया-प्रशांत औसत से भी बहुत खराब है. चीन ने 42 के स्कोर के साथ 78वीं रैंक हासिल की. ​​

कोविड ने उजागर किया भ्रष्टाचार का जहर

कोविड-19 महामारी सिर्फ एक आर्थिक और स्वास्थ्य आपदा नहीं है, इसने भ्रष्टाचार के जहर को उजागर किया है. ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने भ्रष्टाचार को रोकने में उनकी विफलता के लिए सरकारों की भी आलोचना की है. दो महीने पहले वैश्विक भ्रष्टाचार बैरोमीटर ने कहा था कि 39 प्रतिशत रिश्वत दर के साथ भारत भ्रष्टाचार के मामले में सबसे आगे है. स्थिति इस तथ्य को दर्शाती है कि भारत में आम आदमी अपने किसी भी कार्य को बिना सिफारिशी पत्र या रिश्वत दिए बिना नहीं कर सकता है. प्रधानमंत्री ने पिछले अक्टूबर में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक पूर्ण युद्ध का आह्वान किया था. उस युद्ध के लिए देश को किसको तैयार करना चाहिए?

भ्रष्टाचार बन गया एक उद्योग

भारत कर्म की भूमि है, जहां अधिकांश लोग गलतियों के प्रति सजग हैं. वे खुद को सांत्वना देते हैं कि सबको अपने कर्म के फल का स्वाद चखना है. परिणामस्वरूप भ्रष्टाचार के जहरीले पेड़ ने हर जगह मजबूत जड़ें जमा ली हैं. भ्रष्टाचार भी एक उद्योग बन गया है जो न्यूनतम जोखिम के साथ उच्च रिटर्न देता है. यह लोगों के जीवन के साथ भी खिलवाड़ कर रहा है. महज चार हफ्ते पहले उत्तर प्रदेश में 25 लोगों की मौत उस वक्त हो गई जब मुरादाबाद के कब्रिस्तान में बारिश की वजह से छत ढह गई. शेड का निर्माण 30 लाख की लागत से किया गया था. इस राशि का लगभग 30 प्रतिशत रिश्वत में चला गया. ठेकेदार को अपने लाभ को शेष राशि के साथ भी समायोजित करना पड़ा. निर्माण में गुणवत्ता से समझौता होने के कारण जान चली गई. सुप्रीम कोर्ट ने खुद कहा था कि 1993 के मुंबई बम विस्फोट नहीं हुए होते अगर आठ पुलिस अधिकारी और पांच कस्टम अधिकारी रिश्वत लेने के बाद सतर्कता में ढील नहीं बरतते.

बजट में भारी-भरकम घोषणाएं

हर साल लाखों-करोड़ों के भारी-भरकम वार्षिक बजट की घोषणा बहुत धूमधाम से की जाती है. लेकिन प्रगति के रथ को अपने रास्ते में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. डेनमार्क जैसे देश जो भ्रष्टाचार के अभाव के लिए जाने जाते हैं, अपने सकल घरेलू उत्पाद का 55 प्रतिशत सार्वजनिक कार्यों और सेवाओं पर खर्च कर रहे हैं. भारत इसके लिए उस औसत का एक चौथाई हिस्सा भी नहीं निकाल पा रहा. भ्रष्टाचार के उन्मूलन के उद्देश्य से लागू किया गया सूचना का अधिकार कानून स्वयं अप्रभावी हो गया है. यह भ्रष्टाचार की काली शाम नहीं तो क्या है.

यह भी पढ़ें-कृषि आंदोलन : गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे संजय राउत, राहुल बोले- दीवारें नहीं, पुल बनाए भारत सरकार

सरकार से पहल की उम्मीद

मुख्य सतर्कता आयुक्त के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान एन विट्ठल ने एनसीसी की तर्ज पर युवाओं के लिए एक राष्ट्रीय सतर्कता समिति (एनवीसी) का सुझाव दिया था. सुझाव दिए हुए दो दशक से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन इसमें कुछ भी प्रगति नहीं हुई. लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में भी सरकार का समर्थन करेंगे जैसे कि उन्होंने नोटबंदी के दौरान किया था. इसके लिए अब मोदी सरकार को बिगुल बजाने भर की देरी है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.