नई दिल्ली : संसद के बजट सत्र के दूसरे दिन राज्यसभा में दिल्ली हिंसा को लेकर विपक्ष के नेताओं ने नियम 267 के तहत कार्यस्थगन (सस्पेंशन ऑफ बिजनेस) का नोटिस दिया है.
कांग्रेस के सांसद अधीर रंजन चौधरी, गौरव गोगोई और मणिका टैगोर ने लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया. वहीं गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा समेत भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के सांसद केके रागेश और बहुजन समाज पार्टी के सतीश चंद मिश्रा ने दिल्ली में हिंसा को लेकर राज्यसभा में नोटिस दी है.
दरअसल, सोमवार को बजट सत्र के दूसरे चरण का पहला दिन था. पहले ही दिन दिल्ली हिंसा को लेकर जमकर हंगामा हुआ. कांग्रेस की अगुआई वाला विपक्ष दिल्ली हिंसा पर गृहमंत्री अमित शाह का इस्तीफा मांगने लगा था.
इस पर विपक्षी सांसदों की सत्तापक्ष के सांसदों से जमकर बहस हुई. माहौल गरमाता देख स्पीकर ओम बिरला को सांसदों से सदन की गरिमा बनाए रखने की अपील करनी पड़ी, लेकिन सांसदों ने उनकी दरख्वास्त भी नामंजूर कर दी और एक दूसरे से धक्का-मुक्की करने लगे.
बता दें कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली के कुछ हिस्सों में फैली हुई हिंसा में करीब 46 लोग मारे गए हैं. इस मामले में दिल्ली पुलिस ने आर्म्स एक्ट के तहत 41 मामलों सहित 254 एफआईआर दर्ज की हैं. इसके अलावा करीब 903 लोगों पुलिस ने हिरासत में लिया है. हिंसा की जांच के लिए दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा के तहत दो विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया है.
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क्या है नियम 267
नियम के अनुसार संसद के सदन में कोई सदस्य, सभापति की सहमति से, यह प्रस्ताव कर सकेगा कि उस दिन राज्य सभा के समक्ष सूचीबद्ध कार्य से संबंधित किसी प्रस्ताव पर किसी नियम का लागू होना निलंबित कर दिया जाए और यदि वह प्रस्ताव स्वीकृत हो जाता है, तो संबंधित नियम उस समय के लिए निलम्बित कर दिया जाएगा, परन्तु यह और कि यह नियम उस मामले में लागू नहीं होगा, जहां नियमों के किसी विशेष अध्याय के अधीन किसी नियम के निलम्बन के लिए पहले ही कोई विशिष्ट उपबंध किया गया हो.