भोपाल : बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर में धनतेरस की पूजा के बाद से ही दिवाली की शुरूआत हो गई है. रूप चतुर्दशी के मौके पर बाबा महाकाल का स्वरूप निखारा गया. परंपरा अनुसार भस्मार्ती के बाद बाबा को गर्म पानी से स्नान कराया गया. जिस बाद महाकाल को शहद, घी, दूध, दही, उबटन,चमेली का तेल, हल्दी, चंदन, केसर, विभिन्न प्रकार के फूलों और फलों के रसों के साथ इत्र आदि सुगंधित द्रव्य पदार्थों से अभ्यंग स्नान कराया गया. स्नान के बाद बाबा का श्रृंगार किया और पूजारियों ने फुलझड़ियां महाकाल के साथ दिवाली मनाई गई. कई श्रद्धालु बाबा के इस स्वरूप के दर्शन करने मंदिर पहुंचे थे.
56 पकवानों का महाभोग
14 नवंबर को महाकाल राजा के दरबार में अन्नकूट महोत्सव मनाया गया, सुबह 4 बजे होने वाली भस्म आरती के दौरान बाबा महाकाल को 56 पकवानों का महाभोग अन्नकूट उत्सव के रूप में लगा गया. परंपरानुसार हर त्योहार की शुरुआत महाकाल के दरबार में सबसे पहले होती है. इस मौके पर महाकाल मंदिर को आकर्षक रंग बिरंगी विद्युत लाइटों से रौशन किया गया है. वहीं कार्तिकेय मंडपम, गणेश मंडपम और गर्भ ग्रह को भी फूलों से सजाया गया.
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कार्तिक-अगहन मास में भगवान महाकालेश्वर प्रजा को छह बार दर्शन देने नगर भ्रमण पर निकलेंगे. पहली सवारी दिवाली के दूसरे दिन 15 नवंबर को निकलेगी. श्रावण-भादौ मास की तर्ज पर हर सवारी शाम चार बजे निकलना शुरू होगी. एक सवारी वैकुंठ चौदस पर रात 11 बजे निकलेगी, जिसे हरि-हर मिलन कहा जाता है. इस दिन शिव पृथ्वी का भार गोपालजी को सौंपते हैं.