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SC जल्द करेगा अनुच्छेद 370 की वैधता को चुनौती देने वाली PIL पर सुनवाई

जम्मू-कश्मीर से जुड़े भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 को चुनौती देने वाली जनहित याचिका (PIL) उच्चतम न्यायालय में दायर की गई है. इस परने अदालत ने कहा है कि इस मामले को हम जल्द देखेंगे. हालांकि इस मामले की सुनवाई के लिए कोई तिथि निश्चित नहीं हुई है. जानें क्या है पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
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Published : Jul 10, 2019, 5:34 PM IST

नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 की वैधानिकता को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. जिसे सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है. इसके बाद इस याचिका पर जल्द सुनवाई होने की उम्मीद है.

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और अनिरुद्ध बोस की खंडपीठ भारतीय जनता पार्टी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर जल्द सुनवाई के लिए तैयार हुए. उन्होंने कहा, 'ज्ञापन दाखिल करें. हम देखेंगे.'

पढ़ें: रेलवे के निजीकरण का कोई प्रस्ताव नहीं, लोकसभा में गोयल ने दिया जवाब

इस साल 18 फरवरी को, उन्होंने तत्काल सुनवाई के लिये जनहित याचिका का उल्लेख किया था.

बता दें कि संविधान का यह अनुच्छेद जम्मू और कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करता है. देश के संविधान में अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर राज्य को स्वायत्तता का दर्जा दिया गया है. संविधान के भाग 21 में लेख का मसौदा तैयार किया गया है.

इस अनुच्छेद के प्रावधनों के अनुसार संसद को जम्मू कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में ही कानून बनाने का अधिकार है. किसी अन्य विषय से संबंधित कानून को लागू करवाने के लिए केंद्र को राज्य सरकार के अनुमोदन की जरुरत पड़ेगी.

इस विशेष दर्जे की वजह से जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती है. इस वजह से ही राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्खास्त करने का अधिकार भी नहीं है.

नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 की वैधानिकता को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. जिसे सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है. इसके बाद इस याचिका पर जल्द सुनवाई होने की उम्मीद है.

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और अनिरुद्ध बोस की खंडपीठ भारतीय जनता पार्टी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर जल्द सुनवाई के लिए तैयार हुए. उन्होंने कहा, 'ज्ञापन दाखिल करें. हम देखेंगे.'

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इस साल 18 फरवरी को, उन्होंने तत्काल सुनवाई के लिये जनहित याचिका का उल्लेख किया था.

बता दें कि संविधान का यह अनुच्छेद जम्मू और कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करता है. देश के संविधान में अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर राज्य को स्वायत्तता का दर्जा दिया गया है. संविधान के भाग 21 में लेख का मसौदा तैयार किया गया है.

इस अनुच्छेद के प्रावधनों के अनुसार संसद को जम्मू कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में ही कानून बनाने का अधिकार है. किसी अन्य विषय से संबंधित कानून को लागू करवाने के लिए केंद्र को राज्य सरकार के अनुमोदन की जरुरत पड़ेगी.

इस विशेष दर्जे की वजह से जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती है. इस वजह से ही राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्खास्त करने का अधिकार भी नहीं है.

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SC-ARTICLE 370
SC to consider plea for early hearing of PIL challenging Article 370
         New Delhi, Jul 10 (PTI) The Supreme Court Wednesday said it would consider the plea seeking urgent hearing of a PIL challenging the constitutional validity of Article 370 which grants special status to Jammu and Kashmir and limits Parliament's power to make laws for the state.
         A bench comprising Chief Justice Ranjan Gogoi and Justices Deepak Gupta and Aniruddha Bose took note of the submission of BJP leader and lawyer Ashwini Upadhyay that his PIL be listed for an urgent hearing.
         "File a memo. We will see," the bench said.
         On February 18 this year as well, he had mentioned the PIL for urgent listing for the hearing.
         Upadhyay, in his plea which was filed in September last year, has contended that the special provision was "temporary" in nature at the time of framing of the Constitution and Article 370(3) lapsed with the dissolution of the Jammu and Kashmir Constituent Assembly on January 26, 1957.
         The plea also seeks a declaration from the apex court that the separate Constitution of Jammu and Kashmir was "arbitrary" and "unconstitutional" on various grounds, including that it was against the "supremacy of the Constitution of India and contrary to dictum of 'One Nation, One Constitution, One National Anthem and One National Flag'".
         "The Constitution of Jammu and Kashmir is invalid mainly for the reason that the same has not yet got the assent of the President, which is mandatory as per provisions of the Constitution of India," the plea, which may come up for hearing next week, said.
         The petition, filed through advocate R D Upadhyay, claims that the maximum life span of Article 370 was only till the existence of the Constituent Assembly, that was January 26, 1950 when the national document was adopted.
         Article 370 is a "temporary provision" with respect to Jammu and Kashmir and restricts the applicability of various provisions of the Constitution by "curtailing" the power of Parliament to make laws on subjects which fall under the Union and Concurrent lists, it said.
         Consequently, it allows the state to accord special rights and privileges to the natives, the plea said.
         It claimed that the Article empowered the state legislature to frame any law without attracting a challenge on the grounds of violation of the right to equality of people from other states or any other right under the Constitution. PTI SJK MNL ABA
SA
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