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चुनाव सुधारों में राजनीतिक दलों की रूचि नहीं: टी एस कृष्णमूर्ति - राजनीतिक पार्टियां चुनाव सुधार पर उदासीन

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएस कृष्णमूर्ति ने कहा है कि चुनावी सुधार को लेकर राजनीतिक दल उदासीन रवैया अपनाए हुए हैं. उन्होंने कहा राजनीतिक दल व्यक्तिगत हमलों में शामिल हैं.

टीएस कृष्णमूर्ति (पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त)
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Published : May 7, 2019, 11:48 PM IST

हैदराबाद. पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) टी एस कृष्णमूर्ति ने अफसोस जताया कि राजनीतिक दल चुनावी सुधारों को लेकर गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं. उन्होंने दावा किया है कि पार्टियां यथास्थिति के साथ "प्रसन्न" हैं.
मौजूदा लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान पर उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल व्यक्तिगत हमलों में शामिल हैं और इससे बचा जा सकता था.

उन्होंने कहा, "लेकिन कोई भी पार्टी उसे (आदर्श आचार संहिता) सम्मान देती नहीं दिखती." 2004 का आम चुनाव कृष्णमूर्ति की देखरेख में हुआ था. उन्होंने कहा , "जब तक कानून के शासन के प्रति सम्मान नहीं होगा, तब तक इस तरह की समस्याएं सामने आएंगी और मैं कहना चाहूंगा कि चुनावी सुधारों की आवश्यकता शायद पिछले चुनावों की तुलना में बहुत अधिक महसूस की जा रही है."

पढ़ें:पश्चिम बंगाल BJP अध्यक्ष दिलीप घोष पर हुआ हमला

कृष्णमूर्ति ने कहा कि यदि राजनीतिक दल चुनाव सुधारों के बारे में गंभीर होते तो वे अपने घोषणा पत्रों में इसका जिक्र करते. वे यथास्थिति से खुश हैं. उन्होंने कहा कि विधि आयोग, चुनाव आयोग, गोस्वामी और इंद्रजीत गुप्ता समितियों ने चुनाव सुधारों की सिफारिश की है लेकिन उन पर गौर नहीं किया गया है.

हैदराबाद. पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) टी एस कृष्णमूर्ति ने अफसोस जताया कि राजनीतिक दल चुनावी सुधारों को लेकर गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं. उन्होंने दावा किया है कि पार्टियां यथास्थिति के साथ "प्रसन्न" हैं.
मौजूदा लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान पर उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल व्यक्तिगत हमलों में शामिल हैं और इससे बचा जा सकता था.

उन्होंने कहा, "लेकिन कोई भी पार्टी उसे (आदर्श आचार संहिता) सम्मान देती नहीं दिखती." 2004 का आम चुनाव कृष्णमूर्ति की देखरेख में हुआ था. उन्होंने कहा , "जब तक कानून के शासन के प्रति सम्मान नहीं होगा, तब तक इस तरह की समस्याएं सामने आएंगी और मैं कहना चाहूंगा कि चुनावी सुधारों की आवश्यकता शायद पिछले चुनावों की तुलना में बहुत अधिक महसूस की जा रही है."

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कृष्णमूर्ति ने कहा कि यदि राजनीतिक दल चुनाव सुधारों के बारे में गंभीर होते तो वे अपने घोषणा पत्रों में इसका जिक्र करते. वे यथास्थिति से खुश हैं. उन्होंने कहा कि विधि आयोग, चुनाव आयोग, गोस्वामी और इंद्रजीत गुप्ता समितियों ने चुनाव सुधारों की सिफारिश की है लेकिन उन पर गौर नहीं किया गया है.

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