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जम्मू-कश्मीर : RBI के खिलाफ CBI जांच की मांग, खराब नोट बदलने पर SC में याचिका

पंजाब के अमृतसर के रहने वाले सतीश भारद्वाज ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग को लेकर उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की है. भारद्वाज ने अपनी याचिका में दावा किया है कि 2013 में आरबीआई ने अपनी ही पॉलिसी के खिलाफ जाकर ऐसे नोट बदले, जिनपर अलगाववादी नारे लिखे हुए थे.

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सतीश भारद्वाज
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Published : Jan 7, 2020, 5:55 PM IST

Updated : Jan 7, 2020, 8:45 PM IST

नई दिल्ली : पंजाब के अमृतसर निवासी सतीश भारद्वाज ने खराब नोटों की अदला-बदली को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की है. इस बाबत उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है.

भारद्वाज ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि आरबीआई ने अगस्त 2013 में जम्मू-कश्मीर में 30 करोड़ रुपये के 'डिफेक्टेड' नोटों की अदला-बदली की थी. उन नोटों पर अलगाववादी नारे लिखे हुए थे.

सतीश भारद्वाज की ईटीवी से बातचीत.

बदले गए नोटों पर अलगाववादी नारे लिखे थे
भारद्वाज ने कहा कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा अपग्रेड की गई पॉलिसी 2009 के अनुसार, कटे-फटे या ऐसे नोटों की, जिनपर कुछ लिखा हुआ है, उनकी अदला-बदली नहीं की जाएगी. इसके बावजूद केंद्रीय बैंक ने अपनी पॉलिसी के विपरीत जाकर ऐसे नोट बदले.

याचिकाकर्ता ने दावा किया कि इस मामले को लेकर वह 2013 में सीबीआई के पास गए थे. वहां उनका बयान दर्ज कर मामले की प्राथमिक जांच के लिए उसे कश्मीर के एसएसपी क्राइम ब्रांच को सौंप दिया गया था.

पढ़ें- 'फ्री कश्मीर' के पोस्टर पर विवाद जारी

हालांकि, मार्च 2014 में भी एसएसपी ने इस बात को स्वीकार किया था. लेकिन यह पूछे जाने पर कि इसके पीछे किसका हाथ था तो उनके पास इसकी जानकारी नहीं थी.

भारद्वाज के अनुसार उन्हें सूचित किया गया कि चूंकि मामला बैंकिंग से संबंधित है और जमाकर्ता का विवरण अदालत के आदेश के बिना साझा नहीं किया जाएगा, इसलिए वे इसके बारे में ज्यादा कुछ नहीं कर सकते.

भारद्वाज ने कहा कि इस पूरे मामले में भारतीय रिजर्व बैंक का दृष्टिकोण कुछ खास गंभीर नहीं था.

सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को यह मामला देखने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है.

नई दिल्ली : पंजाब के अमृतसर निवासी सतीश भारद्वाज ने खराब नोटों की अदला-बदली को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की है. इस बाबत उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है.

भारद्वाज ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि आरबीआई ने अगस्त 2013 में जम्मू-कश्मीर में 30 करोड़ रुपये के 'डिफेक्टेड' नोटों की अदला-बदली की थी. उन नोटों पर अलगाववादी नारे लिखे हुए थे.

सतीश भारद्वाज की ईटीवी से बातचीत.

बदले गए नोटों पर अलगाववादी नारे लिखे थे
भारद्वाज ने कहा कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा अपग्रेड की गई पॉलिसी 2009 के अनुसार, कटे-फटे या ऐसे नोटों की, जिनपर कुछ लिखा हुआ है, उनकी अदला-बदली नहीं की जाएगी. इसके बावजूद केंद्रीय बैंक ने अपनी पॉलिसी के विपरीत जाकर ऐसे नोट बदले.

याचिकाकर्ता ने दावा किया कि इस मामले को लेकर वह 2013 में सीबीआई के पास गए थे. वहां उनका बयान दर्ज कर मामले की प्राथमिक जांच के लिए उसे कश्मीर के एसएसपी क्राइम ब्रांच को सौंप दिया गया था.

पढ़ें- 'फ्री कश्मीर' के पोस्टर पर विवाद जारी

हालांकि, मार्च 2014 में भी एसएसपी ने इस बात को स्वीकार किया था. लेकिन यह पूछे जाने पर कि इसके पीछे किसका हाथ था तो उनके पास इसकी जानकारी नहीं थी.

भारद्वाज के अनुसार उन्हें सूचित किया गया कि चूंकि मामला बैंकिंग से संबंधित है और जमाकर्ता का विवरण अदालत के आदेश के बिना साझा नहीं किया जाएगा, इसलिए वे इसके बारे में ज्यादा कुछ नहीं कर सकते.

भारद्वाज ने कहा कि इस पूरे मामले में भारतीय रिजर्व बैंक का दृष्टिकोण कुछ खास गंभीर नहीं था.

सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को यह मामला देखने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है.

Intro:Satish Bharadwaj, from Amritsar, moved to the Supreme court seeking CBI investigation against the Reserve Bank of India for exchanging "defaced" notes of worth 30 crores in Jammu and Kashmir in August 2013. The notes also had separatists' slogans written on it.


Body:Bharadwaj contended that according to the RBI's upgraded 2009 Note exchange policy the defaced notes or notes with slogans can not be exchanged yet the central bank exchanged them.

He claimed that he appeoached the CBI regarding the matter in November 2013 where his statement was recorded and was referred for first information investigation to the SSP crime in Kashmir. SSP also acknowledged the same in March 2014 but had also asked about who had defaced the notes to which Bharadwaj did not have information.

He was informed that as the matter is related to banking and the depoaitor's details will not be shared without court's order they can't do much about it.

Bharadwaj had enquired to RBI as well but had not gotten any positive response. "Reserve Bank of India's approach to this whole issue was very casual," said Bharadwaj.




Conclusion:The Supreme Court has given 2 weeks of time to the Solicitor General Tushar Mehta to look into the matter.
Last Updated : Jan 7, 2020, 8:45 PM IST
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