पानीपत: शायद ही कोई होगा जिसने पानीपत जिले का नाम नहीं सुना होगा. सदियों से इस जिले को तीन लड़ाइयों के लिए पढ़ा जाता है, लेकिन आज ये जिला अपनी पहचान कई क्षेत्रों में बना चुका है. इस जिले को देश का टेक्सटाइल इंडस्ट्री हब कहा जाता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि अकेले पानीपत जिले से साढ़े 7 हजार करोड़ रुपए के हैंडलूम प्रोडक्ट सालाना एक्सपोर्ट किए जाते हैं.
पानीपत में हुई धागा उत्पादन में क्रांति
आजादी के समय से ही यहां हैंडलूम का काम जोरों से चलता रहा है, यहां बने कंबल पूरी दुनिया में धूम मचा चुके हैं, लेकिन अब पानीपत रिसाइकिल धागों के लिए विश्वस्तरीय पहचान बना रहा है. साल 1987 में ओपन इंडस्ट्री का आगाज हुआ था. तब से आज तक पूरी दुनिया में पानीपत से धागा एक्सपोर्ट किया जाता है, और आज आलम ये है कि धागों की रिसाइकलिंग करने में पानीपत पूरी दुनिया में नंबर एक पर है.
धागा रिसाइकलिंग में नंबर वन है पानीपत
पानीपत के स्पिनिंग मिल अलग-अलग देशों से लाखों टन यूज्ड कपड़ा मंगाते हैं. रंगों के हिसाब से उसकी छंटाई की जाती है. फिर उन कपड़ों की रूई बनाई जाती है, और फिर वो रूई मशीनों के जरिए धागा बनाने में इस्तेमाल किया जाता है.
पानीपत के धागों की पूरी दुनिया में है डिमांड
इस प्रोसेस में फ्रेश धागा बनाने से बहुत कम कीमत लगती है. यही वजह है कि विश्वस्तरीय धागा इंडस्ट्री में पानीपत जिला इतना पॉपुलर हुआ. यहां जो धागा बनाया जाता है, उसकी कीमत इतनी कम होती है कि पूरी दुनिया के दूसरे बाजार इतनी कम कीमत में धागों की रंगाई भी नहीं कर पाते हैं.
पूरे देश के 80% धागे यहां होते हैं रिसाइकिल
आपको जान कर हैरानी होगी कि आज पूरे देश के धागा रिसाइकलिंक करने के 80% उद्योग पानीपत में हैं. जिले में करीब 400 स्पीनिंग मिल रोजाना 20 हजार किलो धागा बनाती हैं. जिसका रोजाना 500 करोड रुपए टर्न ओवर है. पानीपत की धागा रिसाइकलिंग इंडस्ट्री करीब 4000 लोगों को रोजगार देती है. ऐसे में अगर पानीपत को धागों का शहर कहा जाए तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी.