लेबनान की राजधानी बेरूत में हुए धमाकों ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया. इस घटना के बाद लोग सड़कों पर उतर आए और सरकार के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन किया. जिसके बाद लेबनान के प्रधानमंत्री सहित पूरी सरकार ने इस्तीफा दे दिया. पीएम हसन दीब पर विनाशकारी विस्फोट के बाद भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे थे. विरोध प्रदशनों के बाद 10 अगस्त को प्रधानमंत्री हसन दीब ने इस्तीफे की घोषणा की थी.
यहां हम उन सरकारों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने बड़े पैमाने पर सार्वजनिक विरोध प्रदर्शनों के कारण सत्ता से इस्तीफा दे दिया.
बोलीविया, 10 नवंबर 2019
बोलीविया में भी समाजवादी राष्ट्रपति इवो मोरालेस को प्रदर्शनकारियों और सेवा के दबाव के आगे झुकना पड़ा, जिसके बाद उन्होंने 14 साल बाद 10 नवंबर को सत्ता में कदम रखा. प्रदर्शनकारियों ने मोरालेस पर चुनाव में धांधली का आरोप लगाया था.
लेबनान, अक्टूबर 2019
लेबनान के साद अल-हरीरी के खिलाफ अक्टूबर के बीच शुरू हुए देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों के बीच इस्तीफा देने के लिए दबाव डाला गया था. अक्टूबर के महीने से शुरू हुआ शांतिपूर्ण प्रदर्शन उस समय उग्र होने लगा जब लोगों को लगा कि देश की आर्थिक हालत बद से बदतर हो रही है. इस बीच लेबनान की राजनीति में व्यापक भ्रष्टाचार को लेकर लोग सड़क पर उतर आए थे. दशकों में देश के सबसे खराब आर्थिक और वित्तीय संकट के बीच हरीरी के इस्तीफे ने गठबंधन सरकार को गिरा दिया, जिसमें ईरान द्वारा समर्थित शक्तिशाली शिया आतंकवादी समूह हिजबुल्लाह शामिल था.
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इराक, अक्टूबर 2019
इराकी पीएम एडेल अब्दुल महदी के इस्तीफे की वजह बड़े पैमाने पर चल रहे विरोध प्रदर्शन थे. इराक में प्रदर्शनकारियों को मारे जाने के बाद प्रधानमंत्री महदी ने इस्तीफा दिया था. इराक के लोग खस्ताहाल अनिवार्य सेवाओं, नौकरियों के अभाव और भ्रष्टाचार के खिलाफ अक्टूबर की शुरुआत से प्रदर्शन कर रहे थे. प्रदर्शनकारी 'भ्रष्ट' व्यवस्था को दुरुस्त करने और देश को विदेशी शक्तियों से मुक्त कराने की मांग पर अड़े हुए थे. जहां नागरिक एक ऐसी व्यवस्था को खत्म करने की मांग कर रहे थे, जिसे वे भ्रष्ट मानते थे. समाचार एजेंसियों के अनुसार, रैलियों के शुरू होने से 450 से अधिक लोग मारे गए हैं और 20,000 लोग घायल हुए हैं.
अल्जीरिया, 2019
अल्जीरिया राष्ट्रपति अब्देलाज़िज़ बुउटफ्लिका के 20 साल के शासन के खत्म होने का कारण भी ब़ड़े पैमाने पर उठ रहा सार्वजनिक विरोध था. सत्ता में 20 साल काबिज रहने के बाद, अल्जीरिया के बीमार राष्ट्रपति अब्देलाज़िज़ बुउटफ्लिका ने 20 अप्रैल को इस्तीफा दे दिया था. जब देश के शक्तिशाली सेना प्रमुख अहमद गैद सलाह ने मांग की थी कि, उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया जाए और तुरंत पद छुड़वा दिया जाए. बुउटफ्लिका की घोषणा के बाद फरवरी के मध्य बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे, जब वे कार्यालय में पांचवां कार्यकाल चाहते थे.
सूडान, 2019
तीन दशक तक सत्ता में रहने वाले सूडान के राष्ट्रपति ओमर-अल बशीर के खिलाफ भी बड़े पैमाने पर हो रहे विरोध प्रदर्शन के बाद तख़्तापलट हो गया था. सूचना के मुताबिक, विवादास्पद सार्वजनिक व्यवस्था कानून और देश के बिगड़ते आर्थिक हालात से युवाओं में आक्रोश था, यही वजह थी कि प्रदर्शनकारी इस्तीफे की मांग कर रहे थे. इसी बीच आक्रोशित जनता बशीर के तीन दशक पुराने शासन के खिलाफ 'आजादी, शांति और न्याय' के नारे लगाते हुए उनके इस्तीफे की मांग कर रहे थे. इन कारणों की वजह से बशीर को इस्तीफा देना पड़ा.
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ट्यूनीशिया, 2011
ट्युनीशियन क्रांति के कारण ट्यूनीशिया के राष्ट्रपति ज़ीन एल अबिडीन बेन अली को 15 जनवरी 2011 में इस्तीफा देना पड़ा था.
मिस्र, 2011
11.02.2011 मिस्र की क्रांति के कारण मिस्र के राष्ट्रपति होस्नी मुबारक ने 11 फरवरी 2011 को इस्तीफा दिया था.
टोंगा, 2006
राजनीति में शाही प्रभाव को कम करने के पक्ष में सार्वजनिक प्रदर्शनों के बाद टोंगा के प्रधानमंत्री प्रिंस लवाका अता उलूकलाला ने इस्तीफा दे दिया था.
किर्गिस्तान
किर्गिस्तान के राष्ट्रपति असकर अकायेफ़ को जनविरोध के कारण 24 मार्च 2006 को अपने पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा था.
जॉर्जिया, 2003
- जॉर्जिया के राष्ट्रपति एडुवर्ड शेवर्दनाद्ज़े ने रोज रिवोल्यूशन के बाद राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था.
- जॉर्जिया ने 2 नवंबर 2003 को एक संसदीय चुनाव आयोजित किया, जिसे अंतरराष्ट्रीय चुनाव पर्यवेक्षकों द्वारा अनुचित रूप से घोषित किया गया था. इस परिणाम ने कई जॉर्जियाई लोगों में रोष पैदा किया, जिससे त्बिलिसी और अन्य जगहों पर बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए, जिसे रोज़ क्रांति कहा गया.
- शेवर्नदेज़ ने 23 नवंबर को विपक्षी नेताओं के साथ मुलाकात की और अपने इस्तीफे की घोषणा की.
बोलिविया, अक्टूबर 17
सरकार की आर्थिक नीति के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के दौरान बोलीविया के राष्ट्रपति गोंज़ालो सानचेज़ डी लोज़ादा ने अक्टूबर 17 में इस्तीफा दे दिया था.
इंडोनेशिया, 1998
राष्ट्रपति सुहार्तो ने मई 1998 में इस्तीफा दे दिया, जो लोगों के शक्ति आंदोलन द्वारा लाए गए उनके 32 साल के शासन को समाप्त कर रहा था.