तेल अवीव (इजराइल) : इजराइल के शोधकर्ताओं ने कोरोना वायरस अणुओं की पहचान की है, जो वायरस के खिलाफ टीके के विकास में मददगार साबित हो सकते हैं. मध्य इजराइल स्थित इलन विश्वविद्यालय (बीआईयू) ने यह जानकारी दी है.
एमडीपीआई टीके जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में बीआईयू शोधकर्ताओं ने एंटीजन अणुओं की जांच की, जो एंटीबॉडी उत्पादन की प्रतिरक्षा को बढ़ाता है.
टीम ने वायरस के प्रोटीन सेट में संभावित एपिटोपेस, एंटीजन अणुओं के प्रोटीन भागों के एक समूह की पहचान की है. यह एंटीबॉडी और सेल की प्रतिरक्षा शक्ति को उत्पन्न करता है.
शोधकर्ताओं ने वायरस की प्रोटीन सामग्री को जैव सूचना के लिए विज्ञान-आधारित कम्प्यूटेशनल तरीका इजाद किया है और वायरस के एपिटोप्स की पहचान की है, जोकि सबसे तेज प्रतिरक्षा को विकसित करता है.
इस प्रकार टीम ने 15 संभावित क्षेत्रों की पहचान की, जो वायरस के तीन प्रोटीनों में प्रतिरक्षा बढ़ा सकते हैं और वायरस के अन्य प्रोटीनों के 25 एपीटोपेस का मैप कर सकते हैं.
टीम के अनुसार दुनियाभर में वायरस प्रभावित आबादी के 87 में से सात एपीटोपेस मौजूद हैं.
पढ़ें : कोविड-19 : टीका बनाने के लिए पैनेसिया बायोटेक का अमेरिका के साथ गठजोड़
सात एपिटोपेस को उनके गैर-एलर्जेनिक और गैर-विषैले व्यवहार के लिए कई उपकरणों का उपयोग करके परीक्षण किया गया है. साथ ही साथ यह प्रदर्शित करता है ये कि किसी भी ऑटोइम्यून प्रतिक्रियाओं को कम जोखिम रखते है.
टीम के अनुसार परिणाम बताते हैं कि सात एपिटोपेस छोटे प्रोटीन (पेप्टाइड-आधारित वैक्सीन) से बने टीके के लिए संभावित प्रभावी उम्मीदवारों का प्रतिनिधित्व करते हैं.