हैदराबाद : दुनियाभर में कोरोना वायरस का कहर जारी है. इस वायरस के इलाज की अब तक संभव नहीं हो पाया है, लेकिन हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन दवा से इस वायरस से संक्रमित मरीजों को राहत मिल रही है. इसके बाद से ही भारत में लोग इस दवा को जमा करने में लग गए. कोरोना महामारी फैलने पर भारत ने इस दवा के निर्यात पर रोक लगा दी थी. हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन दवा भेजने के लिए कहा था, जिसके बाद भारत ने इस दवा के निर्यात पर से प्रतिबंध हटा दिया था. कहा जा सकता है कि कोरोना वायरस के आने के बाद यह दवा सुर्खियों में आ गई.
क्या है हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन
हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन एंटी मलेरिया दवा है. यह नियमित रूप से ऑटोइम्यून विकारों जैसे गठिया और ल्यूपस के लिए भी उपयोग में ली जाती है. जॉन हॉपकिंस ल्यूपस सेंटर ने इस दवा को 'ल्यूपस जीवन बीमा' कहा है. इस दवा को रोजाना हजारों भारतीय खाते हैं.
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कहा था कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन दवा को सिर्फ वही समूह (कोविड-19 का इलाज कर रहे स्वास्थ्यकर्मी) खाएं, जिन्हें कोविड-19 से ज्यादा खतरा हो. हालांकि अब तक किसी निर्णायक अध्ययन में यह नहीं चल पाया है कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन दवा कोरोना इलाज में प्रभावी है या नहीं, लेकिन प्राथमिक चिकित्सीय आंकड़े, प्रयोगशाला अध्ययन और इन-विवो अध्ययनों के आधार पर इस दवा को कोरोना इलाज में प्रभावी बताया जा रहा है.
अमेरिका ने मांगी भारत से हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन दवा
अमेरिका जैसे विकसित देशों में मलेरिया बीमारी नहीं होती है. इसलिए वहां पर इस दवा का निर्माण नहीं किया जाता है. मौजूदा समय में दुनियाभर में कोरोना से सबसे ज्यादा संक्रमित लोग अमेरिका में हैं और इस संक्रमण के इलाज के लिए अब तक दवा नहीं बन पाई है. इसलिए अमेरिका ने भारत से दवा निर्यात से प्रतिबंध हटाने के लिए कहा.
अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने दवा आयात करने के लिए इप्का (ipca) के दो संयंत्रों पर से आंशिक रूप से तीन साल पहले लगे 'आयात चेतावनी' को भी हटा दी है. जायडस कैडिला (Zydus Cadila) को भी अमेरिका से इस दवा का ऑर्डर मिला है.
भारत में होता है हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन निर्माण
भारत हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन का सबसे ज्यादा निर्माण करता है. इस दवा की दुनियाभर की 70 फीसद आपूर्ति भारत करता है. इप्का लेबोरेटरीज (Ipca Laboratories), जायडस कैडिला (Zydus Cadila) और वालेस फार्मास्यूटिकल्स (Wallace Pharmaceuticals) भारत में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन निर्माण करने वाली शीर्ष फार्मा कंपनियां हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप 'हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन' के लिए क्यों हैं परेशान
भारत को सक्रिय फार्मास्युटिकल घटक (एपीआई) चीन से मिलता है, जिसका उपयोग हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन बनाने के लिए किया जाता है. अबतक की आपूर्ति बनी हुई है. भारत में हर महीने 40 टन हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन (HCQ) की उत्पादन की क्षमता है, जिसमें 200 मिलीग्राम की 20 करोड़ गोलियां होती हैं.
देश में दवा का उपयोग रुमेटीइड गठिया (rheumatoid arthritis) और ल्यूपस जैसे ऑटोइम्यून रोगों के लिए भी किया जाता है. रुमेटोलॉजिस्टों ने बताया है कि उनके कई रोगियों ने बताया कि उन्हें अपने आरए या ल्यूपस के इलाज के लिए (हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन) दवा आसानी से नहीं मिल रहा है.
प्रत्येक कोविड-19 रोगी को 14 टैबलेट खाने की आवश्यकता होती है और इसलिए सरकार द्वारा आदेशित 10 करोड़ गोलियां संभावित रूप से 71 लाख से अधिक लोगों का इलाज कर सकती हैं.
इस दवा के संभावित दुष्प्रभाव
जब लोगों को पता चला कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन दवा कोविड-19 के खिलाफ प्रभावी है तो लोगों ने इस दवा को खरीदकर जमा करना शुरू कर दिया. सरकार ने लोगों से दवा न जमा करने की अपील की, क्योंकि बिना किसी डॉक्टर के सलाह पर ली गई दवा गंभीर रूप से दुष्प्रभावी हो सकती है.
जब अपेक्षाकृत हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन का उच्च खुराक लिया जाता है तो इससे अचानक बुखार के साथ यकृत पर भी चोट पहुंच सकती है. पोरफाइरिन (प्राकृतिक रंजक) के बढ़े हुए उत्सर्जन के साथ सीरम एंजाइम भी बढ़ जाता है.
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इस दवा को ज्यादा मात्रा में लेने वाले मरीजों को सिरदर्द, नींद लगना, साफ न दिखाई देना, हृदय संबंधित परेशानी (cardiovascular collapse), ऐंठन (convulsions), ल्सीमिया (hypokalemia), चलने में समास्या जैसे विकार हो सकते हैं, जिनमें क्यूटी प्रोलोग्रेशन, टॉरसेड्स डी पॉइंट्स, वेंट्रिकुलर टैचीक्लेरिया और वेंट्रिकुलर फाइब्रिलेशन शामिल हैं. यह अचानक श्वसन और हृदय की संबंधित विकार हो सकते हैं.