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जुड़वा बच्चों को नई जिंदगी देने के लिए 70 किमी पैदल चले स्वास्थ्य कर्मी

छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में स्वास्थ्य कर्मियों ने 70 किलोमीटर का सफर पैदल तय करके कुपोषित जुड़वा मासूमों को एनआरसी पहुंचाया. वहां अब बच्चों और मां की अच्छे से देखभाल की जा रही है.

nutrition rehabilitation center
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Published : May 5, 2020, 4:37 PM IST

रायपुर : छत्तीसगढ़े के अबूझमाड़ स्वास्थ्य विभाग का अमला कोरोना को लेकर मुस्तैद तो है ही, साथ ही कुपोषण और मलेरिया जैसी जानलेवा बीमारी से भी लोगों को बचाने का काम कर रहा है.

राज्य के नारायणपुर जिले के ओरछा ब्लॉक के स्वास्थ्य विभाग ने ऐसी ही मिसाल पेश की है, क्योंकि सवाल तीन महीने के जुड़वा मासूमों की जिंदगी का था.

पोषण पुनर्वास केंद्र में मिल रहा नया जीवन
कच्चापाल के स्वास्थ्य कर्मी दोनों मासूमों और मां को पोषण पुनर्वास केंद्र लेकर आए, जहां उनकी बेहतर देखभाल हो रही है, लेकिन यहां तक पहुंचने की राह आसान नहीं थी.

यह पूरा मामला जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर चारों ओर घने जंगलों-पहाड़ों से घिरे नक्सल प्रभावति गांव मुसेर का है.

इस गांव में सोनाय और सन्नूराम को फरवरी महीने में जुड़वा बच्चे पैदा हुए थे. एक साथ घर में बेटी और बेटे के आने पर परिवार के सभी लोग काफी खुश थे, लेकिन धीरे-धीरे यह खुशी चिंता में बदलती जा रही थी.

जन्म के तीन महीने बाद भी बच्चों का वजन नहीं बढ़ रहा था, नन्हीं बच्ची का वजन तो काफी कम था और दोनों गंभीर कुपोषण के शिकार हो गए थे.

70 घंटे में 70 किलोमीटर का सफर
बच्चों के गंभीर रूप से कुपोषित होने की खबर जब स्वास्थ्य कर्मियों को मिली तो वह उन बच्चों को नई जिंदगी देने के लिए निकल पड़े. कच्चापाल से मुसेर की दूरी करीब 40 किलोमीटर है, लेकिन यहां जाने के लिए काफी हौसले और हिम्मत की जरूरत है, क्योंकि नक्सली प्रभावित होने के साथ ही जंगल, पहाड़ी और नालों को पार करने के बाद ही इस गांव तक पहुंचा जा सकता है.

स्वास्थ्य कर्मी बच्चों को लेने निकल पड़े और पैदल चलकर गांव पहुंचे, लेकिन उनकी मुश्किल खत्म नहीं हुई थी. क्योंकि परिवार वाले दोनों मासूमों को घर से बाहर कहीं भेजने के लिए राजी नहीं थे.

इसके बाद पोषण पुनर्वास केंद्र की महिला स्वास्थ्य कर्मी और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों ने परिवार को समझाया. इसके बाद सभी ने तीन दिन तक पैदल सफर किया और मां और दोनों बच्चों को कुंदला पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराया, जहां बच्चों की पूरी देखभाल की जा रही है.

400 कुपोषित बच्चे हुए सुपोषित
प्रदेश सरकार बच्चों को कुपोषण से मुक्त करने के लिए पोषक आहार से लेकर उपचार तक की सेवाएं मुहैया करा रही है. जिले में संचालित एनआरसी (पोषण पुनर्वास केंद्र) कुपोषित बच्चों के चिकित्सकीय देखभाल के साथ उनको समुचित पोषक आहार भी दे रहा है. पिछले एक वर्ष के भीतर जिले के 400 कुपोषित बच्चे पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती होने के बाद सुपोषित हुए हैं.

रायपुर : छत्तीसगढ़े के अबूझमाड़ स्वास्थ्य विभाग का अमला कोरोना को लेकर मुस्तैद तो है ही, साथ ही कुपोषण और मलेरिया जैसी जानलेवा बीमारी से भी लोगों को बचाने का काम कर रहा है.

राज्य के नारायणपुर जिले के ओरछा ब्लॉक के स्वास्थ्य विभाग ने ऐसी ही मिसाल पेश की है, क्योंकि सवाल तीन महीने के जुड़वा मासूमों की जिंदगी का था.

पोषण पुनर्वास केंद्र में मिल रहा नया जीवन
कच्चापाल के स्वास्थ्य कर्मी दोनों मासूमों और मां को पोषण पुनर्वास केंद्र लेकर आए, जहां उनकी बेहतर देखभाल हो रही है, लेकिन यहां तक पहुंचने की राह आसान नहीं थी.

यह पूरा मामला जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर चारों ओर घने जंगलों-पहाड़ों से घिरे नक्सल प्रभावति गांव मुसेर का है.

इस गांव में सोनाय और सन्नूराम को फरवरी महीने में जुड़वा बच्चे पैदा हुए थे. एक साथ घर में बेटी और बेटे के आने पर परिवार के सभी लोग काफी खुश थे, लेकिन धीरे-धीरे यह खुशी चिंता में बदलती जा रही थी.

जन्म के तीन महीने बाद भी बच्चों का वजन नहीं बढ़ रहा था, नन्हीं बच्ची का वजन तो काफी कम था और दोनों गंभीर कुपोषण के शिकार हो गए थे.

70 घंटे में 70 किलोमीटर का सफर
बच्चों के गंभीर रूप से कुपोषित होने की खबर जब स्वास्थ्य कर्मियों को मिली तो वह उन बच्चों को नई जिंदगी देने के लिए निकल पड़े. कच्चापाल से मुसेर की दूरी करीब 40 किलोमीटर है, लेकिन यहां जाने के लिए काफी हौसले और हिम्मत की जरूरत है, क्योंकि नक्सली प्रभावित होने के साथ ही जंगल, पहाड़ी और नालों को पार करने के बाद ही इस गांव तक पहुंचा जा सकता है.

स्वास्थ्य कर्मी बच्चों को लेने निकल पड़े और पैदल चलकर गांव पहुंचे, लेकिन उनकी मुश्किल खत्म नहीं हुई थी. क्योंकि परिवार वाले दोनों मासूमों को घर से बाहर कहीं भेजने के लिए राजी नहीं थे.

इसके बाद पोषण पुनर्वास केंद्र की महिला स्वास्थ्य कर्मी और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों ने परिवार को समझाया. इसके बाद सभी ने तीन दिन तक पैदल सफर किया और मां और दोनों बच्चों को कुंदला पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराया, जहां बच्चों की पूरी देखभाल की जा रही है.

400 कुपोषित बच्चे हुए सुपोषित
प्रदेश सरकार बच्चों को कुपोषण से मुक्त करने के लिए पोषक आहार से लेकर उपचार तक की सेवाएं मुहैया करा रही है. जिले में संचालित एनआरसी (पोषण पुनर्वास केंद्र) कुपोषित बच्चों के चिकित्सकीय देखभाल के साथ उनको समुचित पोषक आहार भी दे रहा है. पिछले एक वर्ष के भीतर जिले के 400 कुपोषित बच्चे पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती होने के बाद सुपोषित हुए हैं.

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