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कोरोना संक्रमण को रोक सकती हैं शारीरिक दूरी व अन्य सावधानियां

वैश्विक स्वास्थ्य पत्रिका द लैंसेट ने अपने शोध में पुष्टि की है कि कोरोना से बचने के लिए शारीरिक दूरी और फेस मास्क ही अचूक उपाय हैं. लैंसेट के निष्कर्षों में कहा गया है कि वायरस का प्रसार एक मीटर या उससे अधिक की शारीरिक दूरी पर कम है. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Jun 3, 2020, 2:13 PM IST

Updated : Jun 3, 2020, 3:29 PM IST

नई दिल्ली : वैश्विक स्वास्थ्य पत्रिका द लैंसेट द्वारा किए गए एक नवीनतम अध्ययन में पाया गया है कि शारीरिक दूरी, चेहरे पर मास्क लगाना और आंखों की सुरक्षा कोरोना संक्रमण को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने से रोकने में काफी मदद करता है.

द लांसेट ने 16 देशों और छह महाद्वीपों में 172 विश्लेषणात्मक अध्ययनों की पहचान की है. इसमें स्वास्थ्य देखभाल और गैर-स्वास्थ्य देखभाल के 44 प्रासंगिक तुलनात्मक अध्ययन हैं. यह निष्कर्ष भारत जैसे देश के लिए बहुत महत्व रखता है.

इस संबंध में स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि अनलॉक-1 में हमें पर्याप्त सावधानी बरतनी होगी. साथ ही कोरोना से बचने के लिए सावधानियों का पालन भी करना होगा. एसोसिएशन ऑफ हेल्थ केयर प्रोवाइडर्स के महानिदेशक डॉ गिरिधर ज्ञानी ने ईटीवी भारत को बताया कि इस समय महामारी के खिलाफ लड़ने के लिए सामाजिक दूरी ही सबसे उपयुक्त दवा है.

लैंसेट के निष्कर्षों में कहा गया है कि वायरस का प्रसार एक मीटर या उससे अधिक की शारीरिक दूरी पर कम है. इसमें कहा गया है कि जितनी ज्यादा दूरी होगी उतना ज्यादा बचाव होगा. फेस मास्क के उपयोग से संक्रमण के जोखिम में बड़ी कमी हो सकती है.

वैश्विक स्वास्थ्य पत्रिका ने कहा कि भविष्य में कोरोना की रोकथाम के लिए गैर-फार्मास्युटिकल्स हस्तक्षेपों पर ही भरोसा किया जा सकता है.

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के वैज्ञानिकों ने कहा कि कोरोना के इलाज के लिए एंटी वायरल ड्रग एविफाविर (Avifavir) को रूस की मंजूरी भारत के लिए अच्छी खबर है, क्योंकि यह पहले से ही इन्फ्लूएंजा दवा पर आधारित है.

पुलवामा : सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में जैश के तीन आतंकी ढेर

नई दिल्ली : वैश्विक स्वास्थ्य पत्रिका द लैंसेट द्वारा किए गए एक नवीनतम अध्ययन में पाया गया है कि शारीरिक दूरी, चेहरे पर मास्क लगाना और आंखों की सुरक्षा कोरोना संक्रमण को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने से रोकने में काफी मदद करता है.

द लांसेट ने 16 देशों और छह महाद्वीपों में 172 विश्लेषणात्मक अध्ययनों की पहचान की है. इसमें स्वास्थ्य देखभाल और गैर-स्वास्थ्य देखभाल के 44 प्रासंगिक तुलनात्मक अध्ययन हैं. यह निष्कर्ष भारत जैसे देश के लिए बहुत महत्व रखता है.

इस संबंध में स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि अनलॉक-1 में हमें पर्याप्त सावधानी बरतनी होगी. साथ ही कोरोना से बचने के लिए सावधानियों का पालन भी करना होगा. एसोसिएशन ऑफ हेल्थ केयर प्रोवाइडर्स के महानिदेशक डॉ गिरिधर ज्ञानी ने ईटीवी भारत को बताया कि इस समय महामारी के खिलाफ लड़ने के लिए सामाजिक दूरी ही सबसे उपयुक्त दवा है.

लैंसेट के निष्कर्षों में कहा गया है कि वायरस का प्रसार एक मीटर या उससे अधिक की शारीरिक दूरी पर कम है. इसमें कहा गया है कि जितनी ज्यादा दूरी होगी उतना ज्यादा बचाव होगा. फेस मास्क के उपयोग से संक्रमण के जोखिम में बड़ी कमी हो सकती है.

वैश्विक स्वास्थ्य पत्रिका ने कहा कि भविष्य में कोरोना की रोकथाम के लिए गैर-फार्मास्युटिकल्स हस्तक्षेपों पर ही भरोसा किया जा सकता है.

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के वैज्ञानिकों ने कहा कि कोरोना के इलाज के लिए एंटी वायरल ड्रग एविफाविर (Avifavir) को रूस की मंजूरी भारत के लिए अच्छी खबर है, क्योंकि यह पहले से ही इन्फ्लूएंजा दवा पर आधारित है.

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Last Updated : Jun 3, 2020, 3:29 PM IST
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