नई दिल्ली : इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) द्वारा बेसिलस कैलमेट-गुएरिन (बीसीजी) वैक्सीन के सफल परीक्षण बाद, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बुजुर्गों के लिए इस वैक्सीन के उपयोग पर चिंता जाहिर की. यह टीका मूल रूप से यूनिवर्सल टीकाकरण कार्यक्रम के तहत बच्चों के लिए है.
ईटीवी भारत से बात करते हुए मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज की सामुदायिक चिकित्सा की निदेशक प्रोफेसर डॉ सुनीला गर्ग ने कहा कि बीसीजी वैक्सीन बुजुर्गों में कोरोना से बचाव में मददगार हो सकती है.
उन्होंने आगे कहा कि यह एक सफलता है, लेकिन हमें इससे सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि हम वैक्सीन से समझौता नहीं करेंगे. यह वैक्सीन यूनिवर्सल टीकाकरण कार्यक्रम के तहत बच्चों के लिए है. यह वैक्सीन अगर बच्चों को नहीं मिलेगा तो वह टीबी और मलेरिया से पीड़ित हो जाएंगे.
डॉ. गर्ग ने कहा कि बीसीजी टीका सबसे पुराने वैक्सीन में से एक है, जिसका उपयोग टीकाकरण कार्यक्रम के तहत किया जा रहा है. अब आईसीएमआर में अलग-अलग परीक्षण किए जा रहे हैं. इसमें यह दिखता है कि यह प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ाता है.
उन्होंने कहा कि जब तक हमें कोविड-19 वैक्सीन नहीं मिलती है, तब तक यह बुजुर्गों के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था हो सकती है.'
आईसीएमआर के एक अध्ययन में पाया गया है कि बीसीजी वैक्सीन कोविड-19 से बचाव में उन बुजुर्गों के लिए फायदेमंद है, जिनकी उम्र 60 से 80 वर्ष के बीच है.