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शांति एवं सुरक्षा को पर्यावरणीय नुकसान से जोड़ना अर्थपूर्ण नहीं: भारत

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत ने कहा कि पर्यावरणीय गिरावट का मानवीय प्रभाव हो सकता है. लेकिन पर्यावरणीय मुद्दों से जुड़ी हर चीज को सुरक्षा से जोड़ने पर समस्या का कोई हल नहीं निकलता है.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद
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Published : Sep 18, 2020, 12:07 PM IST

संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र में भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि पर्यावरण को हो रहे नुकसान से जुड़ी हर चीज को शांति एवं सुरक्षा से जोड़ने से जलवायु परिवर्तन संबंधी चिंताओं को दूर करने का न तो कोई अर्थपूर्ण समाधान मिलेगा और न ही इससे यह सुनिश्चित होगा कि वास्तविक अपराधी पर्यावरणीय मामलों संबंधी अपनी प्रतिबद्धताओं का पालन करेंगे.

भारत ने पर्यावरणीय क्षरण के मानवीय प्रभाव और शांति एवं सुरक्षा संबंधी विषय पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की उच्चस्तरीय खुली चर्चा के दौरान एक बयान में कहा कि पर्यावरण को हो रहे नुकसान के उसी प्रकार मानवीय प्रभाव हो सकते हैं, जैसे मानवीय गतिविधि के अन्य पहलुओं के मानवीय आयाम हैं.

इसने कहा, 'हालांकि पर्यावरणीय मामलों संबंधी हर चीज को शांति एवं सुरक्षा से जोड़ देने से हमें इस समस्या को लेकर समझ बढ़ाने में कोई मदद नहीं मिलेगी. हमें अर्थपूर्ण तरीके से इन समस्याओं से निपटने में इससे कोई मदद नहीं मिलेगी और न ही इससे असल में जिम्मेदार लोगों को सामने लाने एवं उनसे पर्यावरण संबंधी मामलों को लेकर उनकी प्रतिबद्धताओं का पालन कराने में कोई मदद मिलेगी.

यह भी पढ़ें - किसानों को सशक्त बनायेंगे पारित कृषि विधेयक: नीति आयोग

पिछले दशक के दौरान भारत में लगभग तीन मिलियन हेक्टेयर भूमि पर वन उगाए गए हैं और हरियाली बढ़ाई है. भारत ने कहा कि भारत ने पर्यावरण की रक्षा के लिए नेतृत्व की भूमिका निभाई है.

भारत का लक्ष्य है कि वह 2030 तक बंजर और जंगल विहीन हो चुकी 26 मिलियन हेक्टेयर भूमि को फिर से पुनर्जीवित कर सकें और 2030 तक भूमि-क्षरण को कम कर सके. हमने 2022 तक एकल-उपयोग प्लास्टिक को खत्म करने और 2030 तक 450 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा स्थापित करने का अतिरिक्त लक्ष्य रखा है.

भारत ने जोर देकर कहा कि निजी क्षेत्र, नागरिक समाज और सरकार सहित हर उद्योग, स्थायी जीवन शैली के लिए, संक्रमण को कम करने के लिए और जलवायु के अनुकूल जीवन शैली रखने का विकल्प दे सकता है.

संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र में भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि पर्यावरण को हो रहे नुकसान से जुड़ी हर चीज को शांति एवं सुरक्षा से जोड़ने से जलवायु परिवर्तन संबंधी चिंताओं को दूर करने का न तो कोई अर्थपूर्ण समाधान मिलेगा और न ही इससे यह सुनिश्चित होगा कि वास्तविक अपराधी पर्यावरणीय मामलों संबंधी अपनी प्रतिबद्धताओं का पालन करेंगे.

भारत ने पर्यावरणीय क्षरण के मानवीय प्रभाव और शांति एवं सुरक्षा संबंधी विषय पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की उच्चस्तरीय खुली चर्चा के दौरान एक बयान में कहा कि पर्यावरण को हो रहे नुकसान के उसी प्रकार मानवीय प्रभाव हो सकते हैं, जैसे मानवीय गतिविधि के अन्य पहलुओं के मानवीय आयाम हैं.

इसने कहा, 'हालांकि पर्यावरणीय मामलों संबंधी हर चीज को शांति एवं सुरक्षा से जोड़ देने से हमें इस समस्या को लेकर समझ बढ़ाने में कोई मदद नहीं मिलेगी. हमें अर्थपूर्ण तरीके से इन समस्याओं से निपटने में इससे कोई मदद नहीं मिलेगी और न ही इससे असल में जिम्मेदार लोगों को सामने लाने एवं उनसे पर्यावरण संबंधी मामलों को लेकर उनकी प्रतिबद्धताओं का पालन कराने में कोई मदद मिलेगी.

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पिछले दशक के दौरान भारत में लगभग तीन मिलियन हेक्टेयर भूमि पर वन उगाए गए हैं और हरियाली बढ़ाई है. भारत ने कहा कि भारत ने पर्यावरण की रक्षा के लिए नेतृत्व की भूमिका निभाई है.

भारत का लक्ष्य है कि वह 2030 तक बंजर और जंगल विहीन हो चुकी 26 मिलियन हेक्टेयर भूमि को फिर से पुनर्जीवित कर सकें और 2030 तक भूमि-क्षरण को कम कर सके. हमने 2022 तक एकल-उपयोग प्लास्टिक को खत्म करने और 2030 तक 450 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा स्थापित करने का अतिरिक्त लक्ष्य रखा है.

भारत ने जोर देकर कहा कि निजी क्षेत्र, नागरिक समाज और सरकार सहित हर उद्योग, स्थायी जीवन शैली के लिए, संक्रमण को कम करने के लिए और जलवायु के अनुकूल जीवन शैली रखने का विकल्प दे सकता है.

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