जैसलमेर : राजस्थान के सीमांत जैसलमेर जिले के पोखरण में थलसेना की सुदर्शन चक्र वाहिनी एवं वायुसेना के संयुक्त युद्धाभ्यास से सोमवार को रेगिस्तान थर्रा उठा. समझा जाता है कि पाकिस्तान से मिल रही नित नई चुनौतियों तथा सीमा पार से बढ़ रही उसकी नापाक हरकतों को कड़ा जवाब देने के लिए थलसेना और वायुसेना का यह युद्धाभ्यास चल रहा है. पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में रविवार से शुरू हुए इस युद्धाभ्यास में सेनाएं अपनी मारक क्षमता का प्रदर्शन कर रही हैं.
जानकारी के अनुसार सोमवार को युद्धाभ्यास के दौरान पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज धमाकों से गूंज उठी और सैनिकों ने दुश्मन के काल्पनिक ठिकानों पर अचूक बमबारी से उसे नष्ट कर दिया. इस दौरान के-9 वज्र गन ने अचूक निशाने साधे तथा अटैकिंग हेलीकॉप्टर एवं वायुसेना के विमानों ने जबरदस्त बमबारी करते हुए इन ठिकानों को तहस-नहस कर दिया. धमाकों के कारण पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में रेत का गुबार छा गया. वहीं, रॉकेट लॉन्चर से शत्रु के छद्म ठिकानों एवं आतंकवादी ठिकानों आदि को नष्ट करने का अभ्यास किया गया.
बता दें, इस युद्धाभ्यास में भारतीय सेना के दक्षिणी कमान के अंतर्गत भोपाल स्थित स्ट्राइक कोर सुदर्शन चक्र क्रॉप के साथ-साथ अन्य कई डिवीजन और भारतीय वायुसेना के साथ शुरू हुए इस युद्धाभ्यास में करीब 40 हजार सैनिक और अधिकारी हिस्सा ले रहे हैं. यह युद्धाभ्यास विभिन्न चरणों में 5 दिसम्बर तक चलेगा.
थल सेना की 21 स्ट्राइक कोर ने महज 48 घंटे में दुश्मन के ठिकानों को फतह करने के लक्ष्य से सुदर्शन चक्र के साथ शुरू हुए युद्धाभ्यास सिन्धु सुदर्शन में सोमवार को पोखरण फायरिंग रेंज में पूरे युद्ध जैसा नजारा प्रस्तुत किया. चारों तरफ जोरदार धमाकों की गूंज, टैंकों, गनों, रॉकेट लॉन्चरों से निकले बमों ने पूरी रेंज में एक जीवंत जलजला प्रस्तुत किया. वहीं, इस युद्धाभ्यास के धमाकों की गूंज सीमा पार पाकिस्तान तक भी पहुंच गई.
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जानकारी के अनुसार इस युद्धाभ्यास में हेलीकॉप्टर ध्रुव से फायरिंग में पहली बार सेना के फायर पॉवर में शामिल हो रही K9 वर्जा गन, बोफोर्स, मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर, स्मर्च, T-90 टैंक, BMP पिनाका रॉकेट लाॉन्चर, सॉल्टम गन, 130 mm गन, 105 mm गन, ग्रेड रॉकेट लॉन्चर के जरिये सेना ने एक के बाद एक दुश्मन के छद्म ठिकानों पर हमले कर पूरे रेंज में युद्ध सा नजारा प्रस्तुत किया.
वहीं, इस युद्धाभ्यास के जरिये भारतीय सेना बदली परिस्थितियों को ध्यान में रख तैयार किये गये किसी भी युद्ध के अपने नये डॉक्ट्रेन को परख रही है. इस दौरान इंटीग्रेटेड फायर पावर की जोरदार नुमाइश की जा रही है. इस युद्धाभ्यास में आसमां से लेकर जमीनी हमले करने में सक्षम खास हथियारों के माध्यम से भारतीय सेना ने अपनी फायर पावर का प्रदर्शन किया.
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जानकारी के अनुसार मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर, स्मर्च, ग्रेड आदि के माध्यम से क्लस्टर बमों से किये गये सटीक हमलों ने दुश्मन को चौंका दिया. बता दें कि थल एवं वायुसेना की मारक क्षमता को मजबूत और बेहतर बनाने के लिए सेना की दक्षिणी कमान के हजारों सैनिक अभ्यास कर रहे हैं. वायुसेना की ओर से कम समय में कैसे दुश्मन को नेस्तनाबूद किया जाए, इस पर थल सेना का साथ लेकर विजय प्राप्त करने का प्रदर्शन किया जा रहा है. खासकर दक्षिणी कमान की सुदर्शन चक्र कॉप्स ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.