नई दिल्ली : केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने राजधानी दिल्ली में निर्माण एवं निर्माण को गिराने संबंधी गतिविधियां और खुले में कूड़ा डाले जाने को वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोत होने का उल्लेख करते हुए इस पर रोक लगाने के लिए दिल्ली की आप सरकार को पत्र लिखा है.
सीपीसीबी ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सर्दियों के समय वायु प्रदूषण को लेकर चिंता जताते हुए पूरे किये जाने वाले श्रृंखलाबद्ध कार्य सूचीबद्ध किए.
सीपीसीबी ने पत्र में लिखा है कि यह देखा गया है कि निर्माण और निर्माण को गिराने संबंधी गतिविधियां और खुले में कचरा डाला जाना अधिकांश क्षेत्रों में प्रमुख चिंता का विषय है, इसलिए इन गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए विशेष प्रयासों की आवश्यकता है. दिल्ली में वायु प्रदूषण पर अंकुश के लिए कुछ कार्य पूरे हो गए हैं, लेकिन और किए जाने की जरूरत है.
सीपीसीबी ने दिल्ली सरकार को तीन डंपिंग स्थलों भलस्वा, गाजीपुर अैर ओखला में मिश्रित ठोस अपशिष्ट डाले जाने पर जल्द कदम उठाने को कहा है.
उसने कहा कि दिल्ली में केवल एक सुरक्षित लैंडफिल बवाना में है. मिश्रित एमएसडब्ल्यू (नगरपालिका ठोस अपशिष्ट) को तीन अन्य डंपिंग स्थलों भलस्वा, गाजीपुर और ओखला में डाला जाता है. आज की तारीख तक लगभग 280 लाख टन कचरा जमा हो गया है. इस बारे में जल्द कार्रवाई की जानी है.
पढ़ें- एक्शन में दिल्ली सरकार, 6 बड़ी कंस्ट्रक्शन और डिमोलिशन साइट पर काम रोकने का आदेश
सीपीसीबी ने राजधानी में 13 सबसे अधिक प्रदूषित स्थलों की कार्ययोजना में कमी का उल्लेख करते हुए कहा कि वजीरपुर के बारे में अद्यतन जानकारी प्राप्त नहीं हुई है, जबकि प्रदूषित स्थलों को हरित बनाने और सड़कें पक्की करने के लक्ष्य का उल्लेख नहीं किया गया है.
उसने यह भी उल्लेखित किया कि सर्दियों के लिए कार्य योजना दिल्ली जलबोर्ड, लोक निर्माण विभाग और सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग द्वारा मुहैया नहीं करायी गई है.
सीपीसीबी ने यह भी उल्लेख किया कि अन्य स्थानों के अलावा पंजाबी बाग, मुंडका, बवाना, मायापुरी और द्वारका में दिन में एक बार या दो बार पानी के छिड़काव किया जाना चाहिए.
सीपीसीबी ने दिल्ली सरकार से एसएएमईईआर मोबाइल एप्लिकेशन के साथ-साथ अन्य सोशल मीडिया पोर्टल पर लंबित शिकायतों को दूर करने के लिए भी कहा.